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बाल उत्पीड़न: बच्चों को किस उम्र में कौन सी जानकारी देनी चाहिए: जानें पूरा ब्यौरा

NCRB की रिपोर्ट के तहत हर साल बाल उत्पीड़न (Child abuse) की घटनाओं में 22% इज़ाफ़ा दर्ज किया जा रहा है। 2020 में लॉकडाउन के दौरान चाइल्ड पोर्नोग्राफी कंटेंट को न केवल कई बार सर्च किया गया बल्कि इसे शेयर भी करने का मामला सामने आया। बाल उत्पीड़न के बढ़ते अपराधों को ध्यान में रखते हुए हर पेरेंट्स को जरूरी है कि वो ऐसी चीजों के बारे में बच्चों को आगाह करने के साथ ही गुड और बैठ टच के बीच का फर्क बताएं।

यौन अपराधों या उनसे बचने के उपायों को कच्ची उम्र में बच्चों से सांझा करने में ज्यादातर पेरेंट्स झिझकते हैं। किस उम्र में बच्चों को इसके बारे में जानकारी देनी चाहिए और किस तरह इन सभी बातों को एक – एक कर समझते हैं।

3 साल की उम्र से शुरुआत करें

आमतौर पर बच्चों में तीन साल की उम्र से ही अपने शरीर को लेकर स्वाभाविक जिज्ञासा पैदा होने लगती है। “बच्चे अपने शरीर के अंगों की पहचान करना शुरू करते हैं और किसी भी तरह की शर्म को दूर करने के लिए अंगों का नाम बताना जरूरी है क्योंकि बच्चे इन संदेशों को आत्मसात कर सकते हैं।”

Parenting tips against child abuse

सेफ – अनसेफ टच की जानकारी जरूरी

3-4 साल के बच्चों को सेफ और अनसेफ टच के बारे में बताएं। जिसमें कहा गया है कि किसी को भी आपके प्राइवेट पार्ट को नहीं छूना चाहिए या आपको असहज नहीं करना चाहिए। अगर कोई ऐसा करता है तो, “जोर से चिल्लाओ और किसी करीबी बड़े को बुलाओ जैसे अपनी मां को बताओ।”

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जब स्कूल जाने लगे बच्चें

जब बच्चे स्कूल जाना शुरू करते हैं और दूसरों से घुलते मिलते हैं, “उन्हें टॉयलेट जाने में मदद की जरूरत हो सकती है। ऐसे में उन्हें आप बताएं कि वो किस जगह पर और किसके सामने अपने कपड़े उतार सकते हैं। यह पूरी तरह सेक्स एजुकेशन नहीं बल्कि निजी सीमाओं के बारे में ज्यादा है।

रजामंदी है जरूरी, हां और ना का फासला

शरीर के अंगों से परे बच्चों को इस बात को गहराई से समझने की जरूरत है कि रजामंदी का मतलब क्या है, यह किस तरह दोतरफा चीज है, जहां सम्मान देते हैं और सम्मान पाते हैं। एक और बात यह है कि मां-बाप इस बात पर जोर दे सकते हैं कि बच्चे को इस बात की समझ हो कि उनका शरीर उनका है, यह सुनिश्चित करके कि लोग उन्हें गले लगाने से पहले पूछें- और फिर उनकी हां या ना का सम्मान करें।

टीनऐज बच्चों और पेरेंट्स दोनों के लिए महत्वपूर्ण

इस उम्र में आप बातचीत में और खुलापन ला सकते हैं क्योंकि सोशल मीडिया पर, फिल्मों में और तमाम जगहों पर वे जो कुछ भी देख रहे हैं उसकी वजह से उत्सुकताएं बढ़ती हैं। “किशोरावस्था के दौरान क्या करना है, इस बारे में स्कूल ज्यादा औपचारिक तरीके से वर्कशॉप कर सकते हैं।

सेक्स एजुकेशन के बारे में जानकारी दें

इस उम्र में लड़के लड़कियों दोनों के अंदर शारीरिक और मानसिक बदलाव आने लगते हैं। बहुत सी लड़कियों के पीरियड्स आने शुरू हो चुके होंगे। यह ऐसी उम्र है जहां जेंडर और शरीर के बारे में उनके विचार ज्यादा स्थायी रूप से बन रहे होते हैं। चूंकि सीमाओं और सहमति को लेकर गहराई से चर्चा की जा चुकी है, अब समय है कि आप सेक्स पर चर्चा को थोड़ा और विस्तार दें।

सभी का सम्मान है जरूरी

सहमति में क्या शामिल है, इस पर बात करना जरूरी है। इस उम्र के लड़के खुद के द्वारा किए गए सीमा उल्लंघन को समझ नहीं पाते या पहचान नहीं पाते हैं, और कहते हैं कि हमें लगा कि हमें ऐसा ही करना है या कर सकते हैं। ऐसे में उन्हें अपने से विपरीत जेंडर का सम्मान करना जरूर सीखना चाहिए!

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