Wednesday, December 13, 2023

गांव के बच्चों को मुफ्त कोचिंग देती है अंतरराष्ट्रीय वेटलिफ्टर पूनम, कई बच्चों ने बनाई अपनी पहचान

जिस काम में हमारी रुचि हो हमें वही करना चाहिए। इससे हम उस काम में अच्छा प्रदर्शन कर पाते हैं। आज हम एक ऐसी महिला पूनम तिवारी (Punam Tiwari) की बात करेंगे, जिन्होंने बिना लोगों की परवाह किए हमेशा अपने दिल कि सुनी। अब पूनम तिवारी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के हरदोई में कुछ लड़के और लड़कियों को पावर लिफ्टिंग, वेट लिफ्टिंग और स्ट्रेंथ लिफ्टिंग खेल का अभ्यास करा रही हैं। दरअसल 15 मार्च को इनमें से कुछ खिलाड़ी बिहार, पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय स्तर पर खेलने जा रहे हैं।

पूनम युवाओं को खेल का अभ्यास करा रही हैं

पूनम तिवारी (Punam Tiwari) राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी रह चुकी हैं। पूनम खेलकर अपने राज्य और देश के लिए कई मेडल्स जीत चुकी हैं। अब उनके द्वारा सिखाए गए खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर रहे हैं। पूनम बताती हैं कि अब तक उनके द्वारा प्रशिक्षित 23 खिलाड़ी राष्ट्रीय और 24 खिलाड़ी राज्य स्तर तक पहुंच चुके हैं। इनके खिलाड़ियों में से राष्ट्रीय स्तर पर 4 सिल्वर, 6 गोल्ड, 8 कांस्य पदक जीत चुके हैं। वहीं 14 ने स्टेट स्तर पर गोल्ड, 3 कांस्य, 2 सिल्वर मेडल जीते हैं। पूनम के पास सीखने वाले खिलाड़ियों में लड़कियों की संख्या ज्यादा है।

Punam Tiwari from Uttar Pradesh is giving free weight lifting coaching to boys and girls

सैलजा (Salja)

22 वर्षीय सैलजा लिफ्टिंग खेल का अभ्यास करने के लिए अपने गांव से 60 किलोमीटर का सफर रोज़ तय करती है। सैलजा बताती है कि हमारे गांव में लोग लड़कियों का खेलना पसंद नहीं करते। मेरी एक चार साल की बच्ची है इसलिए लोगों को मेरा खेलना बिल्कुल पसंद नहीं आता है। सैलजा को पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका मिल रहा है।इस बात से वह बेहद खुश भी हैं। वह बताती हैं कि मेरे घर वाले मुझे यहां खेल का अभ्यास करने की अनुमति इसलिए देते हैं क्योंकि इन्हीं कोच द्वारा प्रशिक्षित हमारी भांजी राष्ट्रीय स्तर पर एक गोल्ड और दो सिल्वर मेडल जीत चुकी है।

पलक सिंह जीत चुकी हैं गोल्ड मेडल

सैलजा की भांजी का नाम पलक सिंह (Palak Singh) है। जिसने साल 2017 में पावर लिफ्टिंग में गोल्ड मेडल जीता है। उसके बाद उनके आसपास के तीन-चार और लड़कियां को यहां आने का मौका मिला। 17 वर्षीय पलक सिंह कहती है कि हमारी कोच (पूनम तिवारी) के यहां हम लगभग पांच साल से सीखने आ रहे हैं। यहां सीखने के एक साल बाद मुझे पावर लिफ्टिंग में राष्ट्रीय स्तर पर पहला गोल्ड मिला। उसी साल उन्हें स्ट्रेंथ लिफ्टिंग में भी एक रजत पदक मिला। मेडल मिलने के बाद आस-पास के लोग भी इस और आकर्षित हुए।

Punam Tiwari from Uttar Pradesh is giving free weight lifting coaching to boys and girls

पूनम तिवारी का परिवार

45 वर्षीय की हो चुकी पूनम तिवारी (Punam Tiwari), अपने कामों से प्रसिद्र हैं। उनका यह सफर बहुत ही मुश्किलों से भरा रहा। पूनम के परिवार में उनके दो भाई और चार बहन हैं, जिसमें पूनम सबसे बड़ी हैं। उनके पिता ट्रक ड्राईवर और मां हाउस वाइफ हैं। उनका परिवार की आर्थिक स्थिति ज्यादा मजबूत नहीं थी, जिसके वजह से पूनम नौवीं कक्षा से ही अपनी पढ़ाई छोड़कर घर खर्च के लिए ट्यूशन पढ़ाना शुरु किया दिया। स्नातक के बाद पूनम ने डीपीएड (डिप्लोमा इन फिजिकल एजुकेशन) का एग्जाम दिया जिसमें उन्होंने पुरे प्रदेश में आठवां स्थान प्राप्त किया।

शिक्षकों के मदद से बनी खिलाड़ी

पूनम कहती हैं कि मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी बनूंगी। अपने घर की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के लिए वह सरकारी नौकरी करना चाहती थी, परंतु शिक्षकों की मदद से उन्हें खेलने का मौका मिला। पूनम भारोत्तोलन खेल को चुने की वजह बताते हुए कहती हैं कि भारोत्तोलन खेल मैंने इसलिए चुना क्योंकि मैं कोई ऐसा खेल खेलना चाहती थी, जो दूसरे खेलों से थोड़ा अलग और कठिन हो।

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पिता ने बढ़ाया हौसला

पूनम बताती हैं कि जब वह पहली बार पावर लिफ्टिंग में साउथ कोरिया खेलने जा रही थी, उसी समय उनके पिता को दिल का दौरा पड़ा और वह अस्पताल में भर्ती हो गए थे। उस समय डॉक्टरों ने कहा था कि उनकी कभी भी मृत्यु हो सकती है। ऐसी हालत में पूनम को खेल और अपनों को देखना था। ऐसे में उनके पिता ने उनका हौसला बढ़ाया और उन्हें खेलने जाने के लिए कहा। उनकी लगन देख हरदोई ज़िले के लोगों ने चंदा इकट्ठा करके पूनम को खेलने के लिए भेजा। इतनी मुश्किलों के बाद पूनम जब खेलने पहुंची तो उनका लक्ष केवल जीतना था। वह चाहती थी कि खेल जीत जाऊं और जो पैसा मिले उससे अपने पिता का अच्छे से इलाज करवा सकूं।

Punam Tiwari from Uttar Pradesh is giving free weight lifting coaching to boys and girls

पूनम ने आनगिनत अवार्ड जीते है

इतनी गंभीर हालत में खेलने के बाद भी पूनम तिवारी (Punam Tiwari) ने साउथ कोरिया (South Korea) में पावर लिफ्टिंग खेल कर एक सिल्वर मेडल जीता। यही से उनके कामयाबी का सिलसिला शुरू हो गया। पूनम के जीतने पर जो पैसे मिले उनसे वह अपने पिता का इलाज संभव हुआ। उसके बाद पूनम ने आनगिनत गोल्ड, सिल्वर और कांस्य पदक जीते। पूनम के घर पर एक कमरा केवल अवार्डों से ही भरा है। साल 2002 में पूनम ने भारोत्तोलन से कोच का कोर्स किया था। जिससे वह अन्तराष्ट्रीय रेफरी बनी। इसके साथ ही पूनम तिवारी (Punam Tiwari) स्ट्रांग वीमेन ऑफ नार्थ इण्डिया का खिताब और स्ट्रांग वीमेन ऑफ यूपी के खिताब से सम्मानित हुई। पूनम यूपी स्ट्रेंथ लिफ्टिंग में सचिव और भारत फेडरेशन की सदस्य भी हैं।

पिता द्वारा मिली खेलने की प्रेरणा

पूनम पिछले कुछ सालों से स्टेडियम में सैकड़ों बच्चों की कोच रही हैं। कोविड काल के स्टेडियम बंद होने के बाद से पूनम अपने घर के बाहर कच्चे रास्ते पर ही पिछले एक साल से बच्चों को अभ्यास करा रही हैं। पूनम बताती हैं कि यहां तक पहुंचने में उनके पिता और पति ने उनका पूरा साथ दिया है। जब लोग पुराने ख्यालात के हुआ करते थे उस समय में भी उनके पिता ने कभी उन्हें स्टेडियम जाने से नहीं रोका। पांच साल पहले पूनम के पिता का मृत्यु हो गया है। पूनम तिवारी बताती हैं कि मुझे खेलने के लिए मेरे पिता ने ही प्रोत्साहित किया, जिससे मुझे खेलने की प्रेरणा मिली।

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पूनम के पति ने दिया उनका पूरा साथ

पूनम के पति राजधर मिश्रा (Rajdhar Mishra) भी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं। जब पूनम भारोत्तोलन का प्रशिक्षण करती थी, उस समय उनके पति सप्ताह में एक दिन हरदोई आकर उन्हें प्रशिक्षण दिया करते थे। इतनी बड़ी कामयाबी पूनम के लिए एक सपने जैसा था। अपने साथ ही पूनम ने अपने भाई बहनों को भी खेलने के लिए प्रोत्साहित किया, परंतु उन्हें इसके लिए रूचि नहीं थी, जिसके वजह से वह आगे नहीं बढ़ पाए। पूनम बताती हैं कि अबतक मैं 50 से अधिक महिलाओं को यह खेल सिखा चुकी हूं। आज भी गांव में महिलाएं खेलने में हिचकिचाती है। भारोत्तोलन (वेटलिफ्टिंग) खेल महिलाओं के लिए बहुत ही कठिन और मेहनत से भरा हैं। पूनम तिवारी (Punam Tiwari) कहती हैं कि मेरे जैसी छोटे से गांव की एक सामान्य परिवार में जन्मीं लड़की यहां तक पहुंच सकती है, तो कोई भी कड़ी मेहनत से आगे बढ़ सकता है।

Punam Tiwari from Uttar Pradesh is giving free weight lifting coaching to boys and girls

पूनम बिना पैसे लिए कराती हैं अभ्यास

पूनम के पास 21साल की एक मुस्लिम लड़की सनोवर (Sanovar) भी सीखने आती है। जो 15 मार्च को स्ट्रेंथ लिफ्टिंग में नेशनल खेलने जा रही है। वह बताती हैं कि हमारे समुदाय में लड़कियों को खेलने की इजाजत नहीं है पर मुझे अच्छा लगता है, तो मैं खुद ज़िद करके सीखने आती हूं। सनोवर खेल में ही अपना करियर बना चाहती हैं। साथ ही वह लड़कियों की प्रतिभा को भी साबित करना चाहती हैं। 18 वर्षीय अनंतराम रैदास (Anantram Raidas) मजदूरी से आधे दिन कि छुट्टी लेकर अभ्यास करने आते है। वह कहते हैं कि मैं मजदूरी न करूं तो घर का खर्चा नहीं चलेगा लेकिन खेलना मेरा जूनून है, इसलिए मैं दोनों काम एक साथ करता हूं। पूनम के पास खेल सीखने के लिए फीस नहीं देनी पड़ती। अनंतराम बताते हैं कि सुबह 6 बजे से 8 बजे तक खेल का अभ्यास करता हूं। उसके बाद 9 से 5 मजदूरी करता हूं। अनंतराम राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं।