Wednesday, December 13, 2023

आगरा की रंजना ने किया कमाल, बाथटब में मोती उगाकर कमाई 80 हज़ार रुपये: जाने तरीका

कहते हैं जिन्हें अपनी मंजिल पता हो वह अपना रास्ता खुद ब खुद बना ही लेते हैं। कुछ इसी तरह से रंजना यादव को भी अपनी मंजिल पता थी और अपना रास्ता उन्होंने खुद ब खुद बना लिया। 27 वर्षीय रंजना यादव (Ranjana yadav) दो बच्चों की माँ है। इन्होंने फॉरेस्ट्री से एमएससी किया हुआ है। पढ़ाई के बाद रंजना ने अपना खुद का एक बिजनेस शुरू करने का सोचा। रंजना को शुरू से ही मोती आकर्षित करते थे। उन्हें इसमें बहुत रूचि थी कि मोती बनते कैसे हैं? इसलिए उन्होंने मोती की खेती करने का सोचा।

परिवार को मनाया मोती की खेती के करने के लिए

जब यह बात उन्होंने अपने परिवार को बताई तब उनके परिवार में कोई भी इसके लिए तैयार नहीं हुआ क्योंकि इसके पहले उनके परिवार में किसी ने बिज़नेस नही किया था। तब रंजना ने निश्चय किया कि वह अपने परिवार को सबसे पहले अपनी काबिलियत साबित करके दिखाएंगी। इसके लिए उन्होंने अपने घर में ही जनवरी 2018 में मोती की खेती की शुरुआत करने की सोची। उन्होंने सबसे पहले इसे छोटे स्तर पर शुरू किया इसके लिए उन्होंने अपने घर में ही पड़े हुए एक पुराने बाथटब में मोती की खेती शुरू की।

pearl farming

20 सीप में मोती उगाकर परिवार को मनाया

रंजना ने खेती छोटे स्तर पर शुरू करने का सोचा था इसलिए इसमें उन्होंने मात्र 20 सीप लगाए। लगातार हर रोज की मेहनत के बाद 10-12 महीने के बाद उन्होंने यह देखा कि उनके इस काम में उन्हें सफलता मिल रही हैं। उनके हर सीप में लगभग 2 मोती थे। रंजना के यह मोती हैदराबाद के एक गहनों के बाजार में 350 से 400 रुपये तक बिके, यानी कि रंजना को इन 20 सीपो से ही लगभग 80,000 रुपये का मुनाफा हुआ। इस सफलता से इनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उससे उनका परिवार भी उनके मोतियों की खेती और बिजनेस के लिए मान गया। इसके बाद रंजना ने इसमें थोड़ी ट्रेनिंग के लिए भुवनेश्वर के सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर में एक क्रैश कोर्स में दाखिला लिया।

विधिवानी पर्ल फार्मिंग(Vidhivani pearl farming) स्टार्ट अप की शुरुआत

भुवनेश्वर से लौटने के बाद रंजना ने अपनी पैतृक घर में ही मोती की खेती करने का फैसला लिया। उन्होंने अपने पिता सुरेश चंद्र यादव से अनुमति ली और घर के आंगन में ही 14×14 ज़मीन खुदवा कर तालाब बनवाया।
इसके बाद रंजना ने अहमदाबाद से 2000 सीप खरीदें। इस बाद उत्तर प्रदेश की आगरा में उन्होंने विधिवानी पर्ल फार्मिंग(vidhivani pearl farming) स्टार्टअप की शुरुआत की रंजना यादव अपने घर की पहली बिजनेसवीमेन बन गई।

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मोती बनाने की प्रक्रिया में बहुत ध्यान देना पड़ता है

रंजना बताती है की मोती बनाने की प्रक्रिया में बहुत ही ध्यान देना पड़ता है । वह बताती है कि इसमें जब आपको सीप मिलने लगे तो फिर उसे 1 दिन के लिए ऐसे ही छोड़ देना चाहिए। उसके बाद उसे 7 दिन के लिए क्षर उपचारित पानी में डुबोकर रखना चाहिए। इस दौरान उसे प्रत्येक दिन हरे शैवाल का चारा देना चाहिए और जब सीप का कवच ढीला हो जाए तो सीप के अंदर सांचा डाल देना चाहिए। इसके बाद उन्हें सहारे के लिए नायलॉन नेट या रस्सी से टांग देना चाहिए। इसके बाद उन्हें 10-12 महीने या उससे थोड़े ज्यादा दिन के लिए ऐसे ही छोड़ देना चाहिए। रंजना बताती है कि मोती बनाने की प्रक्रिया के अलावा कुछ और बातों पर ध्यान देना चाहिए जैसे कि पानी का तापमान समय-समय पर जांचते रहना चाहिए, तालाब की सफाई करते रहनी चाहिए, साथ ही यह भी देखते रहना चाहिए कि उन्हें ठीक से चारा मिल रहा है या नहीं।

 pearl farming by Ranjana

सीप की देखभाल अपने बच्चों जैसा करती हैं

रंजना खुद भी एक मां है और वह अपने मोतियों की भी अपने बच्चे की तरह ही देखभाल करती हैं। वह रोज सुबह अपने पैतृक घर का दौरा करती हैं। वहा 3 से 4 घंटे प्रत्येक दिन इन मोतियों की देखभाल में देती हैं। वह खुद भी कहती हैं कि मैंने इन मोतियों की देखभाल अपने बच्चों की तरह की है। प्रत्येक दिन वह इनकी जांच करती हैं। अगर कुछ परेशानी हो तो दवाइयां भी देती हैं। वह बताती हैं कि अगर मौसम अनुकूल ना हो तो उनकी मृत्यु दर की संभावना 90प्रतिशत तक बढ़ जाती है इसलिए हर बात पर ध्यान देना पड़ता और तापमान हमेशा जांचते रहना पड़ता है।

16 कृषि छात्रों को प्रशिक्षित भी कर चुकी हैं

रंजना बताती हैं कि वह अब तक 16 कृषि छात्रों को प्रशिक्षण भी दे चुकी हैं। वह यूपी के हाथरस के अब तक 10 किसानों को उनका मोती का खेत तैयार करवाने में भी मदद कर चुकी हैं। अलग-अलग पानी में तैयार की गई मोतियों के बारे में रंजना बताती हैं कि मीठे पानी मैं तैयार की गई मोती डिजाइनर होती है जबकि खारे पानी वाले मोती हमेशा गोल आकार के होते हैं। मीठे पानी वाले मोती उगाना भी आसान है और इसमें लागत भी कम लगती है और इसका लागत और मुनाफा का अनुपात भी अच्छा है। इसकी इन सबके अलावा वह यह भी बताती हैं कि समुंदर में अगर किसी को मोती उगाना हो तो उसके लिए उसे पूरी तरह से प्रशिक्षित होना चाहिए। उसमें उन्नत कौशल होना चाहिए। जबकि मीठे पानी में मोती कोई भी थोड़ी सी भी ट्रेनिंग के साथ उगा सकता है। अब तो एशिया में ही 1 सीप में ही लोग कम से कम 20 मोती उगा रहे हैं। रंजना यादव( Ranjana yadav) की कहानी वाकई में प्रेरणादायक है। अगर वह शुरू में ही अपने परिवार की बात मान कर बैठ जाती तो फिर आज वह इतनी सफल नहीं होती। इसलिए कहा जाता है कि अगर आपने कोई सपना देखा है तो उसमें परेशानियां आएंगी। इसका मतलब यह नहीं है कि आप उन परेशानियों से डर कर चुपचाप बैठ जाइए। अगर सपना सच्चा है तो उन सपने के लिए हमेशा लड़िए और शांत तभी बैठिए जब आप उसे हासिल कर चुके हो।