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स्थानीय फलों की खेती का स्मार्ट मॉडल बनाकर कर रहे हैं लाखों का कारोबार, बनाये अनोखा बिज़नेस मॉडल

वर्तमान समय में अधिकतर युवा अपने करियर की खोज में शहर की ओर जा रहे हैं। उनका शहर की ओर पलयान हो रहा है। शहर की चकाचौंध सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है और अधिक संख्या में युवा शहर की ओर जा रहे हैं। परंतु ऐसे भी कुछ युवा हैं जो या तो गांव में रहे हैं या गांव की ओर रूख कर रहे हैं। वे खेती को अपना करियर बना रहे हैं साथ हीं खेती को आधुनिक बनाने की कोशिश भी कर रहे हैं। वे खेती में ही अपना भविष्य बना रहे है तथा सफलता हासिल कर के खेती को कम आंकने वालों के लिए एक मिसाल भी कायम कर रहे हैं।

इसी क्रम में हम आपको एक ऐसे युवा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने अपने एक छोटे से पुस्तैनी जमीन को बिजनेस एम्पायर में परिवर्तित कर दिया। आइए जानते हैं उस काबिल और होनहार युवा के बारे में।

Rohit chauhan farming

रोहित चव्हान (Rohit Chawhan) महाराष्ट्र के पुणे (Pune) के रहनेवाले हैं। रोहित आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से ताल्लुक रखते है। उनके पिता खेती से सिर्फ एक सामान्य जीवन के मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हीं कर पाते थे। अपने पिता को खेती से कम आय को देखते हुए रोहित के लिए कृषि करियर का विकल्प नहीं हो सकता था। परंतु जिज्ञासा की वजह से उन्होंने अपने पिता को हो रहे परेशानियों का पास से अध्ययन किया। उसके बाद रोहित ने अनुभूति किया कि आपूर्ति श्रृंखला से एजेंटों को हटाने के बाद खेती एक फायदे का सौदा हो सकता है। प्रारंभिक शोध के अनुसार उन्होंने फैसला किया कि वह अपनी पुस्तैनी जमीन का इस्तेमाल कर के अपने परिवार की किस्मत परिवर्तन करके हीं चैन की सांस लेंगे।

रोहित बताते है कि उन्हें याद है जब उनके पास स्कूल के फीस भरने के लिए पैसे नहीं थे। उनके घर की आर्थिक स्थिति ने रोहित को अपनी जीवन शैली में बाधा उत्पन्न करने वाले वितीय अंतर को सीखने के लिए मजबूर कर दिया। आर्थिक तंगी के संघर्ष का सामना करते हुए रोहित ने कृषि में स्नातकोत्तर की पढ़ाई महाराष्ट्र के अहमदनगर से पूरा किया। रोहित अपने परिवार के जीवन को बदलने और पुस्तैनी जमीन से पैसे कमाने को बेहद इच्छुक थे। रोहित की भूमि का भौगोलिक क्षेत्र अंगूर और अनार की खेती करने का बढ़ावा दे रहा था। परंतु आधुनिक तकनीक के अभाव और बिचौलिए की वजह से किसान पर्याप्त मुनाफा नहीं कमा पा रहे थे। रोहित ने दोनों क्षेत्रों में कार्य करना आरंभ किया। उन्होंने स्थानीय फलों की खेती में आधुनिक विधि पर शोध करना आरंभ किया। रोहित को जलवायु पारिस्थितियों की वजह से हो रहे हानि को खत्म करने में वैज्ञानिक विधि पर शोध काफी बेहतर साबित हुआ।

इसके साथ ही वह फलों के निर्यात व्यापार को अच्छी तरह से समझने के लिए एक अवैतनिक कर्मचारी के रूप में एक निर्यात के फर्म के साथ कार्य करना शुरु किया। निर्यात एक आर्थिक रूप से आकर्षित व्यवसाय मॉडल है। परंतु किसान इस क्षेत्र में जानकारी न होने की वजह से सीधे निर्यात नहीं कर पाते हैं जिसकी वजह से उनकी मेहनत का एक बड़ा भाग बिचौलिए खा जाते हैं।

रोहित अपने ज्ञान का प्रयोग अन्य किसानों को शिक्षित करने के लिए भी कर रहे हैं। कोरोना महामारी के समय, रोहित ने कई किसानो को अंगूर से किशमिश बनाने और बिक्री नहीं होनेवाले स्टॉल के कारण से हो रहे नुकसान से बचाव में सहायता किया। जितने भी लाभ प्राप्त किसान हैं वह अपने व्यवसाय की वास्तविक क्षमता के बारे में जानकर बेहद खुश हैं।

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रोहित का मानना है कि किसानों द्वारा बड़ी संख्या में आत्महत्या करने का मुख्य कारण यह है कि उन्हें सही प्रकार से खेती करने का पर्याप्त ज्ञान नहीं है। जितना सम्भव है रोहित उतनी कोशिश कर रहे हैं किसानों को शिक्षित करने की और बेहतर भविष्य के निर्माण में सहयता करते हैं।

रोहित ने अपनी 15 एकड़ की पैतृक जमीन से खेती का आरंभ किया। आज वह 80 एकड़ की भूमि पर अपने “लक्ष्मी फर्म” का विस्तार कर चुके हैं। उनके खेत मे अंगूर और अनार के 1 लाख से अधिक पौधे हैं। रोहित ने अपनी उपज की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कठिन मेहनत किए हैं। ऊंच गुणवत्ता बड़े निर्यात आदेशों को निश्चित करती है। क्यूंकि निर्यात के लिए न्यूनतम गुणवत्ता मानक बहुत ऊंचा है। रोहित के अंगूर को जीरो रेजीडेंस मॉडल के साथ उगाया जाता है। इससे उत्पादन के गुणवत्ता में बढोतरी होती है। रोहित के लिए ऊंच गुणवत्ता हीं बिचौलिए के बिना हीं खुश उपभोक्ताओं का एक विशाल नेटवर्क बनाने में कारगर साबित हुआ है। रोहित के जितने भी ग्राहक हैं उनमें से अधिकतर ग्राहक अमेरिका, ब्रिटेन तथा ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के हैं।

यदि देखा जाए तो भारत एक कृषि अर्थवयवस्था का दावा करता है। परंतु भारत में कृषि अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के मुताबिक सबसे पिछड़े व्यापारों में से एक है। 1990 के दशक में विदेशी कम्पनियों के लिए भारत की अर्थवयवस्था के खुलने के बाद से युवा कृषि कार्य से दूर होने लगे। परंतु COVID-19 की महामारी की वजह से कृषि क्षेत्र का महत्व बेहद बढ़ गया है। कई युवा कृषि क्षेत्र मे नए प्रयोग कर रहे हैं।

रोहित ने जिस तरह से कृषि के माध्यम से उद्दमशीलता की परिभाषा दी है, वह नए युवाओं को करियर के लिए कृषि का ऑप्शन चुनने और कोरोना महामारी से उबरने के बाद भारत की अर्थव्यवस्था को फिर से आकार मिलने में काफी कारगर साबित होगा।

The Logically रोहित चव्हान को कृषि के जरिए एक नया मिसाल पेश करने के लिए नमन करता है।

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