Wednesday, December 13, 2023

वह पक्षी विज्ञानिक जिन्होंने पक्षियों के अनेकों विलुप्त होते प्रजाति को बचाया: डॉ सलीम अली

अक्सर हमारी नींद खुल जाती है. घर के आस-पास पेड़ो पर चिड़ियाँ और उनके बच्चे एक दाल से दुसरे डाल पर फुदकते है. उन्हें देखकर मन में अजीब प्रसन्नता होती है और बात यदि पक्षी की हो तो हम डॉ सलीम का नाम कैसे भूल सकते हैं।

कौन हैं सलीम-

भारत के बर्ड मैन” के नाम से विख्यात डॉ सलीम का पूरा नाम – डॉ सलीम मुईजुद्दीन अब्दुल अली था।ये एक भारतीय पक्षी विज्ञानी और वन्य प्रकृतिवादी और संरक्षणवादी रहे हैं। इनका जन्म 12 नवंबर 1986 को हुआ था।
पक्षियों के प्रति प्रेम के अनोखे उदाहरण, सलीम ने बहुत सारी किताबें लिखी हैं। ये पहले ऐसे भारतीय थे जिन्होंने बड़े पैमाने पर पक्षियों के संरक्षण का मुद्दा उठाया।

salim ali

विदेशों तक पाई लोकप्रियता-

डॉ सलीम भारत मे ही नही बल्कि विदेशों में भी बहुत मशहूर थे। इनकी किताबें कई वैज्ञानिक के लिए म वरदान मानी जाती है। जिस गहराई से उन्होंने पक्षियों के संरक्षण पर जोर डाला, लोगों में इसके प्रति जागरूकता फैलाई, वो काबिले तारीफ़ है। और इन्हें सम्मान मिलना हमारे लिए आश्चर्य का विषय नही होना चाहिए।

खुद भी बनना चाहते थे एक शिकारी-

डॉ सलीम खुद भी एक बेहतरीन शिकारी बनना चाहते थे। उन्हें भी औरों की तरह ये बहुत दिलचस्प लगता था लेकिन आगे चलकर चीज़े बिल्कुल विपरीत हो गई। एक छोटी सी घटना ने सलीम के नज़रिए को बदल कर रख दिया।

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एक गौरया के शिकार ने बदल दी सलीम की सोच-

एक बार की बात है, सलीम शिकार पे गए थे। उन्हीने अपना निशाना एक गौरया को बनाया। जब वो घायल हो कर नीचे गिरी तो सलीम ने देखा कि उसके मुंह के पास एक पीले रंग का दाग है। उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ। वो उस चिड़िया को उठाकर अपने चाचा अमुरुद्दीन के पास ले गए, लेकिन उनके पास भी इसका हल नही था, वो नही समझ पाए। फिर उनके चाचा पक्षी के साथ सलीम को नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के वरिष्ठ सचिव डब्लू मिलार्ड के पास भेज दिय।

Salim Ali

सलीम की जिज्ञासा ने मिलार्ड को किया प्रभावित-

मिलार्ड को बहुत अच्छा लगा कि सलीम पक्षियों में इतनी रुचि दिखा रहे हैं। उन्हीने घायल चिड़िया का नाम’ सोनकण्ठी’ बताया। यही नही, उन्होंने बहुत सारे विशिष्ट चिड़ियों के बारे में भी बताया और दिखाया। ये सब देख के सलीम ने अपने आप में कुछ बदलाव महसूस किया।
मिलार्ड ने सलीम को एक पुस्तक तोहफे में दी। जिसका नाम था- कॉमन बर्ड्स ऑफ मुम्बई।

सलीम की पुस्तक – फॉल ऑफ अ स्पैरो में है इस घटना का विवरण-

सलीम ने अपनी इस पुस्तक में इस पूरी घटना को बताया है और ये भी माना है कि यही घटना उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट भी था। अब उनका बस एक ही लक्ष्य बन गया – पक्षियों का अध्ययन।

अटूट जिज्ञासा ने बना दिया पक्षी शास्त्री-

10 साल की उम्र से शुरू इस जिज्ञासा ने सलीम को एक अलग ही पहचान दिलाई। इन्होंने अपने पूरे 65 वर्ष का सदुपयोग, पक्षियों को सहेजने और समझने में लगा दिया। इसलिए इन्हें लोग पक्षियों का चलता फिरता शब्दकोश समझते थे।

 Salim Ali birds

पी ए अजीज ने बताया व्यवहार-

सलीम अली पक्षी विज्ञान और प्रकृति विज्ञान केंद्र, जो कि कोयम्बटूर में स्थित है उसके निदेशक पी ए अजीज बताते हैं कि सलीम ने उस संबंध में अहम योगदान दिए हैं, और वो एक बहुत दूरदर्शी भी थे।
उनमे पक्षियों को समझने का हुनर भी था।

भारत के कोने कोने जाकर समझा पक्षियों के व्यवहार को-

चिड़ियों की प्रजाति को जानने के लिए सलीम ने बहुत भ्रमण किया है। बहुत से ऐसे पक्षियों की खोज की जो समान्यतः लुप्त ही हो चुकी थी। उसी में मिली उन्हें बया की प्रजाति। उनका सम्बंध हर पक्षी से बहुत दोस्ताना होता था। उन्हें चिड़ियों को बिना नुकसान पहुचाये पकड़ना भी बखूबी आता था।

गोंग एंड फायर, डेक्कन विधि की खोज भी उन्होंने ने ही कि थी, जिसका प्रयोग आज भी पक्षियों को पकड़ने के लिए किया जाता है।

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नेशनल पार्क का भी किया बचाव –

बात करे केरल के साइलेंट वैली की या भरतपुर के केवलादेव नेशनल पार्क की, उन्होंने सबका बचाव किया, संरक्षण दिया।

पदम् भूषण और पद्म विभूषण से किये गए सम्मानित-

सलीम को पद्म भूषण और पद्म विभूषण से भारत सरकार ने नवाज़ा है। देश से लेकर विदेश तक लोग इनके कार्य की सराहना करते नही थकते।शायद अलीम अली बनना सबके बस की बात नहीं है।

मुम्बई में हुआ निधन-

91 वर्ष की उम्र में, 27 जुलाई 1987 को सलीम ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। इनके नाम पे कई रिसर्च सेंटरों और पक्षी विहारों का नाम रखा गया। ‘The book of Indian birds‘ जो सलीम ने लिखी थी, वो आज भी बहुत प्रचलित है। सलीम तो इस दुनिया मे नही रहें, लेकिन उनके काम और उनके प्रयासों को हमेशा याद रखा जाएगा।