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नौकरी को साइड कर महिलाओं को पीरियड समस्या से दिला रहे हैं छुटकारा, MP के सत्यम मिश्रा ने समाज सेवा को बनाया लक्ष्य

वर्तमान समय में आज भी अनगिनत लड़कियां माहवारी (Menstruation) के कारण स्कूल नहीं जाती हैं, महिलाओं को आज भी इस मुद्दे पर बात करने में झिझक होती है जबकि आधे से ज्यादा को तो यह लगता है कि मासिक धर्म कोई अपराध है। पर यह आकंड़ें इस ओर जरूर इशारा करते हैं कि आधी महिलाएं वैसी भी हैं जिनकी सोच बदल रही है। बड़े स्तर पर भले ही ना हो, लेकिन फिर भी आज की लड़कियां अब उन मुश्किल दिनों के बारे में अपनों के बीच में खुलकर बातें करने लगी हैं।

इस बदलते समाज में कुछ लोग ऐसे भी है जो लगातार इस विषय पर काम कर रहे हैं। आज हम आपको मध्यप्रदेश (MP) के दतिया जिले (Datia District) के ‘सत्यम मिश्रा’ (Satyam Mishra) के बारे में बताएंगे जिन्होंने साल 2018 में कॉलेज के कुछ दोस्तों के साथ मिलकर “मदतघर वेलफेयर सोसाइटी” (Madatghar Welfare Society) नाम का एक संगठन बनाया था। आज यह संगठन महिलाओं के पीरियड्स के ऊपर काम कर रही है। जिस विषय पर लोग बात करना भी पसंद नहीं करते हैं। ऐसे विषय पर यह संस्था लगातार लोगों को जागरूक कर रही है। आइये जानते हैं सत्यम मिश्रा और इनकी संस्था मदतघर वेलफेयर सोसाइटी” के बारे में जो लगातार 3 सालों से समाज सेवा जैसे कार्यों में अपना योगदान दे रही है।

बचपन से समाज सेवा में लगाव

“मदतघर वेलफेयर सोसाइटी” (Madatghar Welfare Society) के संस्थापक सत्यम मिश्रा (Satyam mishra) का जन्म मध्यप्रदेश के दतिया जिले में हुआ था। सत्यम के पिता गणित के शिक्षक और गणित विषय के अच्छे जानकार भी हैं। सत्यम ने अपनी प्राथमिक शिक्षा दतिया जिले के ही एक स्कूल में की। बचपन से ही सत्यम के मन में समाज सेवा करने की ललक थी और इसी ललक के साथ उन्होंने सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई अपने जिले से ही सम्पन्न की।

Satyam mishra madatghar welfare society from madhyapradesh
सत्यम मिश्रा

पिता को माना आदर्श

सत्यम से बात करने पे पता चला कि वह अपने पिता “पुरुषोत्तम नारायण मिश्रा” को अपना आदर्श मानते हैं। सत्यम के पिता गणित विषय के शिक्षक (Math Teacher) है। उन्होंने गणित के क्षेत्र में काफी अच्छा कार्य किया है। सामाजिक कार्य में भी इनके पिता का काफी योगदान रहा है। बचपन में जब सत्यम अपने पिता को समाज से जुड़े कार्यों को करते देखते थे तो उनकी भी यह चाह होती थी कि वह भी समाज के लिए कुछ करें और यही चाह बड़े होने पर और बढ़ती चली गई।

दोस्तों के साथ बनाया संस्था

The Logically से बात करते हुए सत्यम मिश्रा ने बताया कि उन्होंने मदतघर (Madatghar Welfare Society) नाम की यह संस्था सात जून 2018 को बनाया था। संस्था के सदस्यों का इसे बनाने का एक ही उद्देश्य था कि जिन तक कोई ना पहुंच पाए उन तक हम पहुंचेंगे। मदतघर संस्था महावारी के ऊपर लगातार काम कर रही है जिस पर लोग बात करना भी पसंद नहीं करते हैं। ऐसे विषय पर यह संस्था लगातार लोगों को जागरूक कर रही है। मदतघर संगठन बाल कल्याण, महिला सशक्तिकरण, शिक्षा, माहवारी (Child Welfare, Women Empowerment, Education, Menstruation) जैसे और भी अनेक क्षेत्रों में लगातार काम कर रही है। पिछले 3 वर्षों में मदतघर की टीम ने अलग-अलग कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों के बीच में काम किया है।

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खुल कर बात करने में संकोच

सत्यम कहते हैं कि बचपन में जब उनकी माँ चार दिनों तक पूजा नही करती थीं तो वह उनसे पूछते थे पर उनके द्वारा सही जानकारी नही दी जाती थी। एक बार वह जब वॉश रूम गए तो रेड स्पॉट देखा। उन्होंने अपने पापा को बताया तो डांट कर भगा दिया गया और जब वह बड़े हुए और सभी बातें समझ आने लगीं तो सवाल उठा कि इस विषय पर बात क्यों नहीं होती। बाद में उन्होंने यह ठाना की बदलाव वह जरूर लाकर रहेंगे। बस इसी लक्ष्य के साथ वह आगे बढ़ते चले गए।

मदतघर संस्था के द्वारा चलाए जा रहे अभियान में सदस्य

लोगों के ताने सुनने पड़े

सत्यम का कहना है कि उनके पिता गणित के शिक्षक है और बड़ी बहन बैंक मैनेजर (Bank manager) हैं। जिसके कारण बेटा होने के नाते उनके परिवार के लोगों को उनसे नौकरी की उम्मीद थी पर उन्होंने समाज को पहले प्राथमिकता दी। उनके पड़ोसी उन्हें ताने भी मारते थे को सोशल वर्क में क्या रखा है कोई काम कर लेते पर उन्होंने किसी की भी नही सुनी और अपने लक्ष्य पर लगातार काम करते चले गए। पहले वह इस कार्य को करने में असहज थे। बस्तियों में काम के दौरान भी वह हिचकते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब यह इस विषय पर पुरुषों से भी खुलकर बात करते हैं। आज वह भारत के पहले पुरुष हैं जो पीरियड्स पर लगातार काम कर रहे हैं।

संस्था में युवाओं की फौज

मदतघर के संस्थापक सत्यम मिश्रा (Madatghar Welfare Society Satyam mishra) कहते हैं कि पिछले 3 वर्ष के इस छोटे समय समाज के लिए इतना काम करना कठिन जरूर था पर असंभव नही और यह सब मुमकिन हो पाया टीम के युवा साथियों के द्वारा। वो कहते हैं कि हमारे मदतघर परिवार के सदस्यों का हमेशा सहयोग मिलते आया है। हमारी टीम के सदस्य अलग- अलग शहरों में अलग-अलग कार्य कर रहे हैं पर सभी समाज के लिए भी हमेशा तत्पर रहते हैं। सत्यम के टीम का बड़ा हिस्सा युवा हैं जो कॉलेज के छात्र हैं। सत्यम का प्रयास है कि आने वाले समय में और भी बेहतर तरीके से मदतघर समाज सेवा में अपना योगदान देता रहे।

पीरियड्स पर रैप सॉन्ग

सत्यम की मदतघर संस्था के द्वारा पीरियड्स पर रैप सॉन्ग (Rap Songs on Periods) भी लॉन्च किया जा चुका है। मदतघर के वॉलेंटियर ऋष्ठांक वर्मा ने इस सॉन्ग को गाया एवं लिखा था। सत्यम का कहना है कि पीरियड्स जैसे विषय पर रैप सॉन्ग बनाना इस तरह का पहला प्रयोग है। उनका उद्देश्य है कि रैप के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपना संदेश पहुचाएं। जिस विषय पर लड़कियां बात करने में संकोच करती हैं वहां इस रैप गाने से वह सबकुछ आसानी से समझे और साफ-सफाई के तौर तरीकों को अपनाएं।

पीरियड पर बना रैप सॉन्ग

पीरियड्स वॉल के द्वारा जागरूक

सत्यम की मदतघर संस्था स्कूल, कॉलेज एवं शहर की मुख्य-मुख्य जगहों पर पीरियड्स वॉल बनाती है। इससे लड़कियों को पीरियड्स से जुड़ी सभी चीजों को समझने में और भी आसानी होती है। इस वॉल में उन सभी चीजों का जिक्र होता है जिससे होकर लड़कियां गुजरती हैं और इन चीजों को चित्र (Picture) के जरिए समझाया जाता है। पीरियड्स वॉल का शहर के मुख्य-मुख्य जगहों पर होना यह दर्शाता भी है कि पीरियड्स से जुड़ी बातों पर खुलकर बात करने की आवश्यकता है। इस विषय में संकोच करने की आवश्यकता नही है।

कोरोना के समय सहायता

पीरियड्स और उसके जागरूकता के ऊपर काम कर रही ‘मदतघर‘ कोरोनाकाल (Corona) में राज्य के 6000 कोविड पेशेंट को भोजन कराया था। मदतघर के टीम के सदस्य द्वारा कोरोना जैसे महामारी में अलग -अलग शहरों में कोरोना के बारे में लोगों को जागरूक किया गया था। यह जागरूकता उस समय इन लोगों ने घर पर रहकर वीडियो कॉल और डिजिटल माध्यम से दिया था। कोरोनावायरस से बचने के उपाय इनसे जुड़ी सावधानियां सभी विषयों पर लोगों को जागरूक किया गया था।

क्या कहते हैं सत्यम

सत्यम से बात करने पर पता चला कि जब साल 2020 एक वैश्विक महामारी (Global Pandemic) की चपेट में आ गया तो उनके इलाके के कुछ लोगों की नौकरियां छूट गई और वहीं कुछ लोगों के काम धंधे भी बंद हो गए। इन सब चीजों को देखते हुए कई लोगों को संस्था की ओर से काम भी दिया गया। इन सब के बीच मदतघर संस्था अपनी पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा से पीरियड्स के ऊपर काम करती गई। इस कोरोना काल में महिलाओं को पीरियड संबंधी समस्याएं हो रही थी पर वह डॉक्टर के पास जाने में झिझक रही थीं।

महिलाओं के लिए निशुल्क नंबर

The Logically से बात करते हुए सत्यम मिश्रा ने बताया की उनकी संस्था द्वारा कोरोना (Corona) के समय महिलाओं के लिए निःशुल्क नंबर (Helpline Number) जारी किया था। इस नंबर के जरिए महिलाएं को बिना संकोच के साथ डॉक्टर से पीरियड्स से जुड़े सवालों का जबाब मिला जाता था। उनकी टीम ऐसी महिलाओं के सीधे संपर्क में थी। सत्यम और उनकी टीम ने इस कोरोना जैसी महामारी के दौरान कई इलाकों में जाकर पैड (Sanitary Pads) भी बाटा। इससे खासकर ग्रामीण जगहों पर महिलाओं को काफी मदद मिली। कोरोना जैसी महामारी के दौरान उन्हें पीरियड्स से जुड़े समस्या का समाधान समय रहते होने भी लगा।

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गरीब बच्चों की मदद

मदतघर द्वारा झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों के लिए मेडिकल कैंप (Medical camp for the poor) भी लगाया जाता है वहीं दीवाली और होली जैसे त्यौहार में यहाँ जाकर बच्चों के साथ खुशियां भी बाटी जाती है। वहीं बाल दिवस के मौके पर बच्चों के बीच किताब-कॉपी भी बाटे जाते हैं। इतना ही नही सर्दी के समय में फुटपाथ पर रहने वालों को गर्म कपड़े और भोजन का वितरण मदतघर के द्वारा किया जाता है।

हर राज्य टीम गठन का लक्ष्य

सत्यम मिश्रा का लक्ष्य (Aim) है कि मदतघर टीम के सदस्य हर राज्य में हों जहां वह अपनी सेवा लोगों के बीच दे सकें। खासकर उन ग्रामीण इलाकों में जहां पीरियड्स पर लोग बात करने से संकोच करते हैं। वह गांव के उन लड़कियों के बीच अपने सदस्यों के भेजना चाहते हैं जहाँ पीरियड्स से जुड़ी बातों के बारे में लोग सही जानकारी नही रखते है। पीरियड्स में साफ-सफाई (menstrual hygiene) के तरीकों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने के लिए गांव के हर इलाके में वह काम करना चाहते हैं। इसके लिए सत्यम और उनकी टीम लगातार काम कर रही है।

पुरुषों को भी समझने की जरूरत

सत्यम का कहना है कि उन्होंने अभी तक 5000 महिलाओं और पुरुषों को पीरियड्स (Periods) के प्रति जागरूक (Aware) किया है । उन्होने कहा कि केवल महिला को ही जागरूक करने की जरूरत नहीं है बल्कि पुरुषों को भी इसके विषय में जानना होगा। मदतघर को टीम में 40 पुरुष और 30 महिलाओं सहित 70 लोगों को अलग-अलग इलाकों में भेजकर महिलाओं और पुरुषों के बीच जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें पीरियड्स के विषय में खुलकर बात की जा रही है। उनके परिवार वालों को भी इस विषय में समझाया जा रहा है।

आज सत्यम मिश्रा जैसे लोगों की समाज में बहुत जरूरत है। इनके द्वारा किए जा रहे कार्य की The Logically सराहना करता है।

अगर आप भी सत्यम मिश्रा से जुड़ना चाहते हैं और इस विषय में अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो आप सत्यम से 9806156865 दिए गए नंबर पर संपर्क कर सकते हैं। सत्यम के इंस्टाग्राम की आईडी पर भी आप इनसे बात कर सकते हैं।

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