दिन-प्रतिदिन लोगों में फैशन का ट्रेंड बढ़ते जा रहा है, सभी अलग-अलग स्टाइल फॉलो करते हैं ताकि बेहतर दिख सके। उसी फैशन का एक हिस्सा जींस है, जो अलग-अलग स्टाइल के आ रहे हैं और जिसका शौक अनेकों लोगों में देखने को मिलता है। हालांकि, जींस की एक विशेषता ऐसी है जो पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक साबित होता है।
दरअसल, जींस जल्दी खराब नहीं होते हैं ऐसे में लोग इसको इस्तेमाल करने के बाद में या तो फेंक देते हैं या कबाड़ी वाले को दे देते हैं। यह प्रक्रिया हमारे वातावरण के लिए नुकसानदायक होने के साथ-साथ हमारी सेहत के लिए भी हानिकारक है। ऐसे में पर्यावरण को बचाने में अपना योगदान देते हुए बिहार के एक युवक ने पुरानी और बेकार जींस को कमाई का साधन बनाया है जिससे सालाना डेढ़ करोड़ का टर्नओवर हो रहा है। इसी कड़ी में आइए जानते हैं उस होनहार युवक के बारें में
जींस से प्रोडक्ट बनाकर सालाना डेढ़ करोड़ की कमाई कर रहे हैं
हम बात कर रहे हैं बिहार (Bihar) के मुंगेर जिले के एक मध्यम परिवार से ताल्लुक रखने वाले सिद्धांत कुमार (Siddhant Kumar) की, जो पिछ्ले 6 वर्षों से जींस को अपसाइक्लींग करके ईको-फ्रेंडली हैंडमेड प्रोडक्ट (Eco-friendly Handmade Products) बनाने की पहल शुरु की है। उनके प्रोडक्ट की डिमांड पूरे देश सहित विदेशों में भी है और इससे उनकी कम्पनी को सालाना डेढ़ करोड़ का टर्नओवर हो रहा है। Siddhant Kumar from Bihar is Making Eco-friendly And Creative Products from Old & Unused Jeans.
करते थे एजुकेशनल गेम्स डिजाइन का काम
साल 2012 में IIT मुंबई से मास्टर्स की शिक्षा हासिल करने के बाद वे बेंगलूर के एक कम्पनी में नौकरी करने लगे। लेकिन उस काम में रुचि होने की वजह से उन्होंने वहां महीने काम करके उस नौकरी को छोड़ दिया। उसके बाद वे दिल्ली चले गए जहां उन्होंने एक स्टार्टअप शुरु किया, को बच्चों के लिए एजुकेशनल गेम्स डिजाइन करता था। इस स्टार्टअप के जरिए उन्होंने लगभग एक दर्जन से अधिक गेम्स बनाया। लेकिन उसी दौरान उन्हें कुछ ऐसा करने का उपाय सुझा जिससे उनकी प्रोफेशन लाइफ ही बदल गई।
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घर की दिवारों को सजाने के लिए किया पुरानी जींस का इस्तेमाल
दरअसल, फाइन आर्ट्स और डिजाईनिंग के शौकीन सिद्धांत दिल्ली में एक किराए के मकान में रहते थे। उसी समय में उनके मन में विचार आया कि क्यों न पुरानी जींस से घर की दिवारों को डेकोरेट किया जाएं। चूँकि, उन्हें डिजाईनिंग में दिलचस्पी थी ऐसे में उन्होंने पुरानी जींस से कुछ डिजाइन्स तैयार करके उसपर वॉच और बॉटल लगाए। इसके अलावा सुंदर दिखने के लिए अन्य चीजों का भी इस्तेमाल किया। Siddhant Kumar from Bihar is Making Eco-friendly And Creative Products from Old & Unused Jeans.
लोगों द्वारा पंसद किए जाने के बाद आया बिजनेस का ख्याल
सिद्धांत के यहां आनेवाले हर शख्स को जींस से बने प्रोडक्ट काफी आकर्षक लगे और वे भी ऐसी चीजों की डिमांड करने लगे। उनकी मांग के अनुसार, सिद्धांत डिजाइन तैयार करके उन्हें उपहार स्वरूप दे दे देते थे। हालांकि, उस दौरान उनके मन में इसको कमाई का जरिया बनाने अर्थात इससे बिजनेस करने का कोई विचार नहीं था। लेकिन उन्होंने देखा कि, जब अधिकाधिक लोग जींस से बने प्रोडक्ट की डिमांड कर रहे हैं तो उन्हें लगा कि इस फील्ड में एक कोशिश जरुर करनी चाहिए।
साल 2015 में शुरु किया बिजनेस
उन्होंने साल 2015 में लगभग 50-60 हजार की लागत खर्च करके जींस से कुछ उत्पाद बनाया। अब प्रोडक्ट की मार्केटिंग के लिए उन्हें ऐसे जगह की तलाश थी जहां हमेशा लोगों का आना-जाना होता हो। तभी उन्हें मॉल का ख्याल आया और एक सप्ताह के लिए उन्होंने एक मॉल में स्टॉल लगाने की जगह बुक की। लोगों को उनका प्रोडक्ट इतना अधिक पसंद आया कि वहां सिर्फ तीन दिन में ही उनके सभी प्रोडक्ट की बिक्री हो गई। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने बिजनेस शुरु करने का फैस्ला किया। उसके बाद उन्होंने खुद के नाम से एक कम्पनी रजिस्टर्ड करवा लिया जिसका नाम “डेनिम डेकोर” (Denim Decor) रखा।
400 से अधिक प्रोडक्ट की कर रहे हैं मार्केटिंग
वर्तमान में सिद्धांत 400 से अधिक अलग-अलग प्रकार के प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर रहे हैं जिसमें पर्स, बैग, साइकिल, कार, बॉटल, वॉच, बाइक, होम डेकोर आइट्मस और रोजाना इस्तेमाल होनी वाली कई चीजें शामिल हैं। इसके अलावा वे इंटीरियर डिजाईनिंग के लिए भी काम करते हैं। अभी वे 40 लोगों की टीम के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जिसमें से अधिकांश मेम्बर गरीब परिवार से सम्बंध रखते हैं। बता दें कि वे और उनकी कस्टमर्स की डिमांड के अनुसार प्रोडक्ट बनाते हैं।
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कैसे बनाया जाता है जींस से अलग-अलग प्रोडक्ट?
जींस से उत्पाद बनाने के लिए जींस की जरुरत होती है, जिसके लिए उनकी कबाड़ वालों से सम्पर्क करने के साथ-साथ घर-घर जाकर जींस इकट्ठा करती है। इसके अलावा कुछ कंपनिया भी फटे या खराब जींस देती है। उसके बाद जींस की क्वालिटी चेक कर उसकी सफाई करके उसकी कलर और क्वालिटी के अनुसार अलग-अलग कर लिया जाता है। उसके बाद उससे प्रोडक्ट बनाया जाता है।
सिद्धांत (Siddhant Kumar) के अनुसार, अधिकांश उत्पादों को वे हाथ से बनाते हैं लेकिन कुछ प्रोडक्ट को बनाने के लिए मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है। इस काम को करने के लिए उनके टीम मेंबर्स को प्रशिक्षित किया गया है और अभी वे प्रतिदिन लगभग एक हजार से ज्यादा जींस को अपसाइकल कर रहें हैं।
कई जगहों से करते हैं प्रोडक्ट की मार्केटिंग
मार्केटिंग के बारें में सिद्धांत कहते हैं कि, एक मॉल में स्टॉल लगाकर शुरूआत की थी जिसके बाद लोगों का प्यार देखकर दिल्ली के अलग-अलग जगहों पर स्टॉल लगाकर मार्केटिंग करने लगे। इसके अलावा उन्होंने कई एक्जीबिशन में भाग लिया और प्रोडक्ट की प्रदर्शनी की। इतना ही नहीं प्रोडक्ट की मार्केटिंग के लिए वे अलग-अलग दुकानदारों से भी सम्पर्क किया।
परिणामस्वरूप आज देश में उनके प्रोडक्ट के कई डीलर्स एयर रिटेलर्स हैं जो उनके उत्पादों की मार्केटिंग करते हैं। इसके अलावा भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस काम को करते हैं। वहीं AMAZON और FLIPCART पर भी उनके प्रोडक्ट मौजूद हैं। Siddhant Kumar from Bihar is Making Eco-friendly And Creative Products from Old & Unused Jeans.
आप भी शुरु कर सकते हैं ऐसा काम
यदी आप भी क्रिएटिव माइंड हैं और इस काम को शुरु करना चाहते हैं तो गूगल की मदद ले सकते हैं। वहीं पुराने जींस के लिए कबाड़ी से भी बात कर सकते हैं। हालांकि, मार्केटिंग एक मुश्किल काम है लेकीन यदि आप यूनिक आइट्मस बनाते हैं और उसका प्राइस सही रखते हैं मार्केटिंग करना आसान होगा। इसके अलावा मार्केटिंग करने के लिए सोशल मीडिया एल अच्छा विकल्प है, वहीं पेड प्रोमोशन से भी मार्केटिंग कर सकते हैं।