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कभी खुद के बच्चे को पिलाने के लिए दूध के पैसे नही थे, अब फ़ूड ट्रक से लाखों रुपये महीने में कमा रही हैं

कभी-कभी रास्ता बहुत कठिन होता है, पता ही नहीं होता कि करना क्या है ।लेकिन हम सब यह हमेशा भूल जाते हैं कि हर किसी में कोई ना कोई खूबी होती है। हम अपनी खूबी को उस समय भूल जाते हैं, जब हमें इसकी सख्त जरूरत होती है और अगर हमने इसे पहचान लिया तब रास्ता भी आसान और मंजिल भी साफ दिखने लगती है। कुछ ऐसी कहानी है एक बहुत ही सफल उद्यमी शिल्पा की। शिल्पा (Shilpa) को आज पूरा मंगलुरु उनके पाक कला के कारण जानता है। शिल्पा आज एक सफल हल्ली माने रोटी( Halli mane roti) स्टार्टअप की मालकिन है। उनका फास्ट फूड ट्रक पूरे मंगलूरु में बहुत ही प्रसिद्ध है। पर शिल्पा का यह सफर पहले इतना आसान नहीं रहा। बहुत संघर्षों से निकलकर वह आज इतने बड़े मुकाम पर हैं।

पति के लापता होने के बाद मुसीबत टूट पड़ी

2009 में अचानक से शिल्पा के पति लापता हो गए। उस समय उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह घर खर्च चला सके या अपने बेटे का पेट पाल सकें। पति के लापता होने के बाद भी रिश्तेदार और आस पड़ोस के लोग इन्हें ताना देते थे और इन्हे नौकरी मिलने में भी परेशानी आ रही थी। यह जब भी किसी नौकरी के लिए जाती तो लोग इनसे इनके पति के बारे में पूछते और जब उन्हे असलियत पता चलती तो वह इन्हें नौकरी देने की बजाय ताना देते। शिल्पा के पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वह अपने बेटे को ढंग इससे खाना खिला सके। वह अपने बेटे की भूख शांत करने के लिए उसे दूध में पानी मिलाकर पिलाया करती थी।

Single mom with food truck business

मां से बातचीत के दौरान हल्ली माने रोटी (Halli mane roti) का विचार आया

शिल्पा बताती है कि उन्हें अपना घर चलाने में इतनी परेशानी हो रही थी कि उनका भाई चिरंजीवी मंगलूर उनकी मदद के लिए आए और यहां उन्होंने सुरक्षा गार्ड की नौकरी करनी शुरू की। शिल्पा को भी साइबर कैफ़े और सैलून जैसे छोटे मोटे स्तर पर काम मिल रहे थे और यह काफी नहीं थे। वह बताती हैं कि एक दिन मां से बातचीत के दौरान उन्हें यह विचार आया कि उन्हें अपने पाककला का इस्तेमाल कर अपनी रोजी-रोटी का इंतजाम करना चाहिए। उन्हें याद था कि उनकी मां हमेशा उनके खाने की तारीफ किया करती थी। तब शिल्पा ने सोचा कि सब तो करके देख लिया अब अपनी पाक कला को भी आजमा कर देखना चाहिए।

बेटे की पढ़ाई के लिए रखे पैसे से शुरू किया अपना फ़ास्ट फ़ूड ट्रक

उनके पास उस समय इतने पैसे नहीं थे कि वह किराए पर घर लेकर होटल या रेस्टॉरेंट की शुरुआत कर सकें। इसलिए उन्होंने अपनी बेटे के पढ़ाई के लिए 1लाख रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट को तोड़कर उससे सेकंड हैंड ट्रक खरीदा। शिल्पा को अपने पाककला पर तो पूरा यकीन था पर उन्हें डर था कि कहीं मंगलूर के लोग उत्तरी कर्नाटक के खाने को पसंद करेंगे या नहीं। पर शिल्पा का यह डर सिर्फ डर ही रह गया क्योंकि 2015 में शुरू किए इस मोबाइल कैंटीन ने पहले दिन ही मुनाफा कमाया।

शिल्पा अपना यह मोबाइल कैंटीन स्कूल-कॉलेज, मॉल और ऑफिस के बाहर खड़ा करती थी। वह अपने खानों की कीमत होटलों से कम रखा करती थी जिससे कि सभी ग्राहकों को यह उपलब्ध हो सके। शिल्पा का यह ट्रक पिछले 5 सालों में दिन पर दिन लोकप्रिय होते जा रहा है। वह हर दिन लगभग 5000 तक कमा लेती हैं। उन्हें हर महीने लाखों का मुनाफा होता है। शिल्पा की मदद करने के लिए उनके भाई ने अपने सुरक्षा गार्ड की नौकरी छोड़ दी और उनके मोबाइल कैंटीन के साथ जुड़ गए।

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आनंद महिंद्रा ने गाड़ी उपहार में दी

शिल्पा की प्रेरक कहानी मंगलुरू के स्थानीय अखबार में छपी। इसके बाद उनकी कहानी कई अखबार में छपी और इस कहानी ने उनकी जिंदगी बदल दी। उनका संघर्षो से भरा सफर पढ़ कर आनंद महिंद्रा ने उन्हें बोलेरो मैक्सी ट्रक प्लस उपहार में दी।

शिल्पा (Shilpa)पूरी तरह से निश्चिंत है क्योंकि उन्होंने अपने 12 वर्षीय बेटे का भविष्य सुरक्षित कर लिया है और आज वह अपनी मेहनत से अपने पैरों पर खड़ी हैं। अब शिल्पा को कोई ताने नही देता बल्कि उनके अब उदाहरण दिए जाते हैं।

मृणालिनी बिहार के छपरा की रहने वाली हैं। अपने पढाई के साथ-साथ मृणालिनी समाजिक मुद्दों से सरोकार रखती हैं और उनके बारे में अनेकों माध्यम से अपने विचार रखने की कोशिश करती हैं। अपने लेखनी के माध्यम से यह युवा लेखिका, समाजिक परिवेश में सकारात्मक भाव लाने की कोशिश करती हैं।

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