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बिहार के किसान अब कर रहे हैं मसालों की खेती, आम फसल से दुगना मुनाफ़ा हो रहा है

किसी ने सच कहा है “कृषि को व्यवसाय से जोड़कर हीं किसानों की समस्याओं का हल किया जा सकता है”… आज बात इसी संदर्भ में…

खेती भारत का आधार स्तम्भ है। यूं तो पूरे देश में किसानों द्वारा कई तरह की फसलें उगाई जाती हैं फिर भी आज के दौर में किसानों का व्यवसायिक फसलों के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है। गेहूं, धान जैसी परंपरागत फसलों की खेती से किसानों का मोह भंग हो रहा है और हो भी क्यूं ना आखिर परंपरागत कृषि में उनके लिए फायदेमंद कम होती है। किसान परंपरागत खेती से अलग हटकर वे मसालों, सब्जियों, औषधियों आदि की खेती कर रहे हैं। इसी संदर्भ में आज बात बिहार के कुछ किसानों की जो हल्दी की खेती कर सफलता के नए मुकाम हासिल कर रहे हैं। आईए जानते हैं कि किस तरह वे कम लागत में बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं…

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कर रहे हैं हल्दी की खेती

आज हम कुछ ऐसे किसानो की बात करेंगे जो परंपरागत खेती से अलग हटकर हल्दी तथा अन्य मसालों की खेती कर रहे हैं। बिहार (Bihar) के औरंगाबाद जिले के हसपुरा प्रखंड के हैबसपुर, धमनी, खुटहन, इटवां गाँव के किसान बताते हैं कि इस खेती में उनके लागत की तुलना में मुनाफा अधिक होता है। वहाँ के किसान गेहूं और धान की खेती करने के बजाए हल्दी की खेती में अपना हाथ आजमा रहे हैं। हल्दी की खेती में यह भी लाभ है कि यह बहुत कम जमीन में ज्यादा पैदावार देता है।

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हल्दी की खेती में है अधिक मुनाफा

हैबतपुर गांव के किसान रामकृपाल सिंह (Ram Kripal Singh), सुजीत वर्मा (Sujit Verma) तथा श्रीकांत कुमार ( Srikant Kumar) बताते हैं कि हल्दी की खेती में कई तरह के फायदे हैं। किसानों को बाजार जा कर बेचना नहीं पड़ता, व्यवसाई किसानों के घर से हीं बेहतर कीमत पर हल्दी की उपज ले जाते हैं। वह बताते हैं कि हल्दी की खेती में यह भी फायदा है कि इसके साथ दूसरा फसल भी उगाया जा सकता है जिससे मुनाफा भी बढ़ कर दुगुना हो जाता है।

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सरकार द्वारा 15,000 रुपये की सब्सिडी

निदेशक उद्यान जितेंद्र कुमार (Jitendra Kumar) ने बताया कि हल्दी तथा अन्य मसालों की खेती में प्रति हेक्टेयर 30,000 रुपये की लागत लगती है जिसमें से 15,000 रुपये की सब्सिडी सरकार की तरफ से किसानों को दी जाती है। जितेंद्र बताते हैं कि हल्दी की खेती में बहुत लाभ हैं और इसकी खेती के लिए वह अन्य किसानों को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं।

किसान बन रहे हैं आत्मनिर्भर

जितेंद्र कहते हैं कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही कृषि कल्याणकारी योजनाओं से अवगत होकर यदि किसान परंपरागत खेती से अलग हल्दी को अपनाते हैं तो उसका लाभ और भी ज्यादा होगा जिससे किसान आत्मनिर्भर बनेंगे।

The Logically हैबतपुर गांव के किसानों की नई पहल की प्रसंशा करता है और उम्मीद करता है कि उन लोगों को इस कार्य में सफलता मिलेगी !

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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