हमारे पास जितनी अधिक सफलता हो, हमारी तलब आगे उतनी ही बढ़ती रहती है। अगर आप असफलता से सीख लेना चाहते हैं, तो आपको नेत्रहीन बाला नागेन्द्रन से सीखना चाहिए। उनकी कहानी बहुत प्रेरणादायक है, जिसे जानकर आपको भी असफलता से लड़ने की हिम्मत आएगी।
जन्म से हैं नेत्रहीन
बाला नागेन्द्रन (Bala Nagendran) जन्म से नेत्रहीन हैं, लेकिन अपनी मेहनत के बदौलत वह आईएएस ऑफिसर बने हैं। साल 2019 में उन्होंने 659वीं स्थान प्राप्त कर यूपीएससी एग्जाम में सफलता हासिल की है।
बाला नागेन्द्रन का परिचय
बाला नागेन्द्रन (Bala Nagendran) तमिलनाडु (Tamilnadu) के निवासी हैं। उनका सम्पूर्ण नाम डी. बाला नागेन्द्रन (D. Bala Nagendran) हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा लिटिल फ्लावर कान्वेंट एवं रामा कृष्णा मिशन विद्यालय से सम्पन्न की है। बचपन से ही वह पढ़ने में बहुत तेज-तर्रार थे। उन्हें हमेशा शिक्षकों से प्रोत्साहन मिलता था कि तुम आईएएस बनना। शुरुआती शिक्षा ग्रहण करने के लिए वह चेन्नई गये थे, जहां उन्होंने बीकॉम किया था।
पिता चलाते हैं टैक्सी
नागेन्द्रन के पिता इंडियन आर्मी से सेनानिवृत हैं और अब टैक्सी चलाते हैं। वही उनकी मां गृहणी हैं। जन्म के दौरान उनके पैरेंट्स को यह जानकारी लग गई कि उनका बेटा नेत्रहीन है, जिस कारण उन्हें भी अपने बेटे के भविष्य की चिंता हुई लेकिन उन्होंने शिक्षा के महत्व को जानते हुए उन्हें पढ़ाया।
शुरू हुआ यूपीएससी का सफर
साल 2011 में उन्होंने यूपीएससी की तैयारी प्रारंभ की। उन्होंने शुरुआती शिक्षा तमिल भाषा से की थी जिस कारण इंग्लिश विषय एक टास्क की तरह साबित हुआ। उन्होंने बताया, “साल 2011 से 2015 तक, मैं 4 बार असफल हो चुका था लेकिन हार नहीं मानी। साल 2016 में उन्होंने फिर से एग्जाम दिया और 927वीं रैंक हासिल कर सफलता हासिल हुई, लेकिन उन्होंने इसे जॉइन नहीं किया क्योंकि लक्ष्य मात्र IAS था।”
आखिरकार बने IAS, पूरा किया अपना लक्ष्य
उन्होंने तैयारी जारी रखा और साल 2017 में एग्जाम दिया, जिसमें वह 1 नम्बर से असफल हुए। आगे उन्होंने 2 बार फिर एग्जाम दिया और वह असफल हुए फिर जब उन्होंने 2019 में एग्जाम दिया, तो इस बार उनकी मेहनत के आगे असफलता को घुटने टेकने पड़े। वह 659वीं रैंक हासिल कर IAS ऑफिसर बने।
उनकी मेहनत और दृढ़ संकल्प के लिए The Logically उनकी सराहना करता है। उम्मीद है, आपको भी IAS बनने का उनका यह सफर प्रेरणा से भर देगा।