कहा जाता है कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती है। अगर किसी भी काम को मेहनत और लगन से किया जाए तो उसमें सफलता जरुर हासिल होती है। संघर्ष से सफलता हासिल करने वाला वह इंसान एक सफल इंसान कहलाता है। आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताएंगे जिन्होंने खेती-बाड़ी छोड़कर डेयरी का काम शुरु किए और आज वो इस अपने डेयरी से महीनों के लाखों रुपए कमा रहे हैं।
सुल्तान देवेंद्र परमार (Sultan Devendra Parmar) ने आठवीं क्लास तक की पढ़ाई किए। इन्हें पढ़ाई में ज्यादा मन नहीं लगता था इसलिए आठवी तक पढ़ने के बाद इन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। परमार के परिवार कृषि पर ही आधारित थे। इनके पिता के पास 9 बीघा जमीन थी और इसी जमीन पर इनके पिता खेती करते थे। परमार भी अपने पिता के साथ खेतों में काम करते थे। परंतु जब यह अपने पिता के साथ खेतों में काम करते थे तब इन्होंने देखा कि इस खेती में लागत बहुत ज्यादा है और इससे आमदनी काफी कम होती है और जिससे घर का अच्छी तरह से गुजारा नहीं चलता था। यह सब देख कर परमार ने अपने इस जमीन पर डेयरी फार्म (Dairy Farm) खोलने का विचार किए और पूरे 9 बीघे में इन्होंने डेयरी फार्म हाउस बना दिया। इस डेयरी फार्म को बनाने में परमार को लगभग 60 लाख रुपए की खर्चा आया।
परमार ने अपने इस डेयरी को काफी छोटे स्तर से शुरुआत किया। शुरुआत में इन्हें थोड़ी बहुत मुश्किलें आईं परंतु उन्होनें लगातार मेहनत की। आज परमार के पास लगभग 100 पशु है जिसमें से 60 गाय, 15 एचएफ भैंस और 50 छोटे बछड़े हैं। गायों में परमार के पास गिर, देसी, जर्सी गाय हैं और भैंसों में मुर्रा भैंस और जफराबाद भैंस रखे हैं।
परमार को इन सब गाय और भैंस से मिलाकर प्रतिदिन 25 से 30 लीटर दूध हो जाता है। और इसके मुताबिक इनकी डेयरी में प्रतिदिन 200 से 300 लीटर के बीच दूध का उत्पादन हो जाता है। परमार बताते हैं कि वह पहले सुजालपुर के पास की कॉलोनी में दूध पहुंचाते थे परंतु अब अपनी डेयरी का सारा दूध सांची दुग्ध उत्पादक सहकारी संस्था को दे देते हैं। वे बताते हैं कि हम भैंस का दूध 45 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से देते हैं और वही गाय का दूध 35 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से देते हैं। अगर महीने का कुल जोड़ा जाए तो हम एक महीने में दो से ढाई लाख का दूध बेच देते हैं। अगर इनमें से लागत निकाल दिया जाए तो हमें एक लाख 20 हजार के आस-पास मुनाफा हो जाता है। इसके साथ-साथ हम गाय और भैंसों के गोबर को खाद बना करके भी बेचते हैं। जिसमें हमें इन खानों से भी फायदा होता है। हम इन खानों को एक ट्रॉली गोबर की खाद कीमत 2 हजार तक देते हैं। अगर महीने की जोड़ा जाए तो हम लगभग 20 से 22 ट्रॉली गोबर की खाद बेच देते हैं। और इससे हमें 45 से 50 हजार रुपए तक आमदनी हो जाती है।
परमार (Sultan Devendra Parmar) बताते हैं कि हम अपने इस डेयरी को और भी फैलाने के बारे में विचार कर रहे हैं। जिसमें हमें पशु की भी संख्या बढ़ाने की तैयारी में लगे हुए हैं। वे बताते हैं कि बाजार में शुद्ध दूध का डिमांड काफी बढ़ रहा है। जिसके लिए हम जल्दी ही अपनी डेयरी मैं लस्सी, पनीर, छाछ, दही और देसी घी बनाने की योजना कर रहे हैं। इसके लिए हमने थोड़ा बहुत काम भी शुरू कर दिया है। परमार ने पशुओं को चारा खिलाने के लिए अपने 3 बीघा जमीन में चार का इंतजाम कर रखे हैं। जिससे पशु को 1 साल तक चारा मिलता रहता है। अगर पशुओं को किसी भी तरह का कुछ दिक्कत आती है तो हम उसके इलाज के लिए पशु चिकित्सक को बुलाते हैं। और पशु को अच्छे से इलाज करवाया जाता है।
परमार (Sultan Devendra Parmar) बताते हैं कि हमने अपने खर्चे से 100 धन मीटर बायोगैस लगा रखा है। इस बायोगैस में 2500 किलोग्राम गाय का गोबर लगता है। गाय के गोबर से हमें 12 kv बिजली मिल जाती है जो हमारे पूरे डेयरी फार्म के लिए काफी है। परमार कहते हैं कि ऊर्जा मंत्रालय का 4 लाख 20 हजार का बोर्ड तो जरुर लगा हुआ है परंतु हमें इसे कोई लाभ नहीं मिलता है। वे कहते हैं कि हमने बहुत बार उर्जा मंत्रालय को आवेदन दिया परंतु आज तक हमें उर्जा अनुदान की राशि नहीं मिली।
परमार बताते हैं कि अगर कोई व्यक्ति काम को करने में मेहनत और लगन दिखाता है तो वह व्यक्ति को डेयरी फार्म का व्यवसाय करना चाहिए। क्योंकि इस डेयरी फार्मिंग में मेहनत बहुत लगती है परंतु मेहनत के बाद जो हमें सफलता हासिल मिलती है वह काफी आनंदमय होती है। यह बताते हैं कि हम लगभग 3-4 सालों से इस डेयरी फार्म (Dairy Farm) का व्यवसाय कर रहे हैं और हमें इसमें काफी सफलता हासिल हुई है।