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गांव के बच्चों के साथ पशुओं की भी सेवा का उठाया जिम्मा, सुमन चौधरी की कहानी सबके लिए प्रेरणादायक है

व्यस्त जीवन में हमें किसी और के बारे में सोचने का समय ही नहीं मिलता है परंतु आज भी कुछ ऐसे लोग हैं, जो दूसरों के बारे में सोचते हैं तथा उनकी मदद करते हैं। कुछ ऐसी ही सोच झुंझुनूं (Jhunjhunu) की सुमन चौधरी (Suman Choudhary) की भी है। उन्होंने बच्चों को शिक्षित करने का जिम्मा उठाया और उसके लिए प्रयास किया।

आर्थिक आधार ना होने के वजह से एक कमरे से की शुरूआत

सुमन के पास आर्थिक मजबूती नहीं थी इसलिए उन्होंने एक कमरे से शुरूआत की। उनके इस सफर को एक साल पूरा होने वाला है। इस नेक कार्य के लिए उन्हें लोगों द्वारा कई बातें भी सुनने के लिए मिली लेकिन उन्होंने अपना फैसला नहीं बदला और अपने काम में लगी रहीं।

Suman Chowdhury from Jhunjhunu is teaching children and also helping animals
झलको इंडिया

सुमन बच्चों का भविष्य उज्जवल बनाना चाहती हैं

सुमन का मानना है कि अगर पचास बच्चों में से कुछ ही सही, पढ़ना लिखना सीख जाए और अपना मुकाम हासिल कर लें तो मेरे लिए बहुत होगा। वे चाहती हैं कि बच्चे पढ़ें ताकि उन्हें इस स्थिति से निकलने का मार्ग मिल सके। इसके लिए वे हर महीने बच्चों के माता पिता लोगों को बुलाकर उन्हें समझाती हैं कि बच्चों के भविष्य के बारे में सोचे।

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अब बच्चों की संख्या बढ़ रही है

सुमन की इस योजना से अब तक उन्हें कोई परिणाम तो नहीं मिला लेकिन सुमन खुश हैं कि वे बच्चों के लिए कुछ कर रही हैं। आसपास के लोग भी अब अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेज रहे है। बच्चों को देखकर आसपास के लोग अपने उत्सव के मौके पर यहां आते हैं और बच्चों को अपने हाथ से खिलाकर जाते हैं, जिससे उन्हें खुशी मिलती है और बच्चों को दाना। इनमें से कुछ बच्चों का परिवार बूंदी और कुछ जोधपुर से विस्थापित है, जो मजदूर है। वह सुबह दस से पांच तक मजदूरी पर रहते हैं और उस समय सुमन बच्चों के पास रहती हैं।

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सुमन बेसहारा जानवरों की भी करती हैं मदद

सुमन चौधरी (Suman Choudhary) ना केवल बच्चों की मदद कर रही हैं बल्कि पिछले आठ सालों से बेसहारा जानवरों की सहायता भी कर रही हैं। उनका मानना है कि यह जानवर भी हम पर ही निर्भर हैं इसलिए हमें इनका ख्याल रखना चाहिए। सुमन कहीं भी किसी जानवर को परेशान दिखती हैं, तो तुरंत उसे उपचार तक ले जाती हैं। लॉकडाउन के दौरान भी सुमन ने पशुओं के चारे का इंतजाम किया था। सुमन को अक्सर आर्थिक दिक्कतों का समान भी करना पड़ता है, परंतु वह पीछे नहीं हटती।

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हमेशा रहती है महिलाओं की मदद के लिए तैयार

सुमन बताती हैं अगर कोई पशु बीमार हो जाता है, तो उसके लिए डॉक्टर को बुलाना पड़ता है मगर दूर दराज इलाका होने के कारण डॉक्टर देर से पहुंचते हैं। ऐसे में उन्होंने स्वयं ही पशुओं का प्राथमिक उपचार करना सीख लिया। जिसमें वहीं के डॉ. सहाब और डॉ. अनिल खिचड़ ने उनकी सहायता की और उन्हें चिकित्सीय प्रक्रिया सिखाया।

इन सबके अलावा सुमन चौधरी (Suman Choudhary) महिलाओं के मदद के लिए हमेशा तैयार रहती हैं। उनका मानना है कि यह ज़माना बहुत क्रूर है। ऐसे वक़्त में हमें खुद ही आवाज उठानी पड़ेगी। वह अन्य महिलाओं को भी ऐसा ही करने की सलाह देती हैं।

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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