लोग कहते हैं, “शादी दो व्यक्तियों का ही मेल नहीं बल्कि दो आत्माओं का मेल होता है।” जब मनुष्य दाम्पत्य बंधन में बंधते हैं तो सात वचन लिए जाते हैं और सात जन्म तक साथ देने का वादा किया जाता है। आज की हमारी यह कहानी एक ऐसे पति के विषय में है जो सबकुछ दांव पर लगाकर अपनी पत्नी की जान बचाई और जन्म-जन्म साथ जीने-मरने के वादा को पूरा किया।
मोहब्बत हमारे जिंदगी का सबसे बेहतरीन उपहार होता है, इसमें साथी अपने साथी का साथ देने के लिए हर सम्भव तत्पर रहते हैं। मोहब्बत का एक ऐसा ही बेहतरीन उदाहरण सबके सामने पेश किया है डॉक्टर सुरेश चौधरी और उनकी अर्धांगिनी ने।
पत्नी की इलाज हेतु MBBS की डिग्री गिरवी रखी
अगर आप उन दंपती की प्रेम कहानी को जाने तो आपका विश्वास प्रेम पर बहुत ही मजबूत हो जाएगा। डॉक्टर सुरेश ने अपनी पत्नी को मौत के मुंह से बाहर निकाला। उन्होंने पूरी सम्पति और नौकरी तक भी दाव पर लगा दी ताकि उनकी पत्नी बच सके। उन्होंने अपनी MBBS की डिग्री को 70 लाख रुपए में गिरवी रख दिया ताकि इलाज में लगने वाले सवा करोड़ रुपए वह एकत्रित कर पाए।
दैनिक भास्कर के रिपोर्ट के मुताबिक 32 वर्षीय डॉक्टर सुरेश चौधरी (Suresh Chaudhary) राजस्थान (Rajasthan) पाली के खैरवा गांव के निवासी हैं। वह वर्तमान में पीएचसी में पोस्टेड हैं। दोनों पति-पत्नी अपने जीवन में खुशहाल थे परन्तु उनके खुशियों को वर्ष 2021 में ग्रहण लगा। इस दौरान कोरोना अपने चरम थी उसी दौरान अनिता चौधरी जो उनकी पत्नी हैं उनको बुखार हुआ। जब उनका कोरोना टेस्ट हुआ तो उनका रिपोर्ट पोजेटिव निकला। अब उनका स्वास्थ्य दिन-प्रतिदिन बिगड़ने लगा।
हुईं अस्पताल में एडमिट
अस्पताल में मरीजों को काफी दिक्कत हो रही थी, जिससे अनिता को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। 14 मई के दिन वह जोधपुर एम्स में एडमिट हुईं। डॉक्टर सुरेश भी अपने कार्य कर रहे थे और वह 2 दिनों तक उनके साथ रहे क्योंकि और मरीजों का भी ध्यान रखना आवश्यक था। 2 दिनों तक पत्नी के साथ रहने के बाद अब वे ड्यूटी पर चले गए और रिश्तेदारों को पत्नी की देखभाल के लिए छोड़ा।
95 फीसदी हुआ लंग्स खराब
जब वह 30 को हॉस्पिटल गए तो पत्नी की हालत बेहद खराब हो चुकी थी। छोटे वेंटिलेटर पर पड़ी अनिता के लंग्स लगभग 95 फीसदी खराब हो चुके थे। डॉक्टरों ने यह कहा कि वह बच नहीं सकती जो सुरेश को कतई मंजूर नहीं था। उन्होंने अनिता की जान बचाने के लिए हर सम्भव प्रयास किया कि और जान की बाजी लगाने का निश्चय किया। अब उन्होंने अनिता मो प्राइवेट हॉस्पिटल जॉयड्स में एडमिट करवाया।
रोज इलाज में लग रहे थे लाखो रुपए
अनीता का वेट कम होते जा रहा था और 50 से 30 किलोग्राम की हो चुकी थी। खून की कमी भी शरीर में बेहद कम हो चुका था उनके दिल और लंग्स ईसीएमओ मशीन की मदद से ऑपरेट हो रहे थे। प्रतिदिन उनके इलाज में लाखों रुपए लग रहे थे जिस कारण सुरेश कर्ज लेने लगे। वह चाहते थे कि उनकी पत्नी किसी भी हालत में ठीक हो जाए।
हुईं हॉस्पिटल से डिस्चार्ज
वह लगभग 87 दिनों तक मशीनों के सहारे जीवित थी परन्तु अब उनके लंग्स में काफी सुधार आया और वो बात करने लगीं। डॉक्टर सुरेश का विश्वास और उम्मीद बना रहा और वह स्वस्थ होने लगी। वह काफी ठीक हो गई और हॉस्पिटल से डिस्चार्ज भी हुईं। उन्होंने अपनी पत्नी को बचाने के लिए MBSS की डिग्री के रजिस्ट्रेशन नम्बर 4 बैंकों में गिरवी रखी और 70 लाख रुपए लोन भी ली। उन्होंने अपनी हर चीज दाव पर लगाई सिर्फ ये चाहते हुए की उनकी पत्नी उनके सामने मरे नहीं और ऐसा हुआ भी आज उनकी पत्नी स्वस्थ्य हैं।