Wednesday, December 13, 2023

नीलगिरी में बसे टी स्टूडियो को महिलाएं करती हैं संचालित, विदेशों में भी होती है चाय की सप्लाई

हमारे यहां लोग चाय के बहुत शौकीन हैं। यहां हर गली, नुक्कड़ चौराहे पर एक चाय की दुकान मिल जाएगी। जहां अधिकतर व्यक्ति चाय की चुस्कियां लेते हुए, गप करते दिखेंगे।

नीलगिरी के चाय के विषय में अगर हमें या आपको लिखने के लिए कहा जाए, तो यह थोड़ा कठिन होगा। हरे-भरे इस इलाके में लाल रंग की एक छोटी-सी इमारत है, जो सभी का ध्यान स्वयं की तरफ आकर्षित करता है। यह इमारत मुस्कान खन्ना का टी-स्टूडियो है। यह Tea-Studio नीलगिरी के कट्टाबट्टू में स्थित एक छोटे से गांव में है। यह स्थान चेन्नई से लगभग 550 किलोमीटर दूरी पर है। इस स्टूडियो की स्थापना 2018 में हुई थी। आज दक्षिण भारत के सर्वश्रेष्ठ स्टूडियो वाले श्रेणी में अपना स्थान दर्ज़ करा चुका है।

हर तरह की टी है उपलब्ध

यहां की टी-स्टूडियो में हर तरह के चाय का उत्पादन ग्राहकों की अनुसार किया जाता है। बात अगर ब्लैक टी की हो, तो यह 4 तरह के होते हैं। वहीं ग्रीन टी 6 और वाइट टी 3 आकोंग टी 2 तरह के होते हैं। यहां के मौसम में चाय के गर्माहट से लोगों को आनंद मिलता है।

Tea-Studio from Nilgiri is running by local women

सभी कर्मचारी हैं महिलाएं

इस Tea-Studio की सबसे खास बात सिर्फ यह है कि यहां जितने भी कर्मचारी कार्य करते हैं, वह सभी औरतों हैं। वह पास के ही गांव की निवासी हैं। वही Tea-Studio की ऑनर यानी कि मुकेश खन्ना कुन्नूर के निवासी है, जो यहां से लगभग 20 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। पर्यावरण संरक्षण के लिए यहां पतियों और भुनने से लेकर सभी प्रक्रियाएं एलपीजी द्वारा किया जाता है।

Tea-Studio from Nilgiri is running by local women

चाय की पत्तियां होती है जैविक

मुस्कान प्रति माह करीब 2 हज़ार किलोग्राम तक चाय की पत्तियां खरीदती है। उनके द्वारा खरीदी गई चाय की पत्तियां संपूर्णतः जैविक हुआ करती है। इनके उत्पादन में कहीं भी केमिकल का उपयोग नहीं होता। चाय के पतियों के उत्पादन में गोबर की खाद का उर्वरक होता है। पत्तियों के खरीदने दौरान मुस्कान उनकी निरीक्षण करने के बाद ही उसे खरीदती हैं।

Tea-Studio from Nilgiri is running by local women

महिलाओं की आयु 23- 48 साल तक

यहां पर काम करने वाली महिला कर्मचारियों की उम्र 23 से लेकर 48 वर्ष तक है। स्टूडियो में कार्य करने वाली वैधेगी नाम की एक कर्मचारी ने यह जानकारी दिया कि उन्हें शुरुआती दौर में कार्य करने में थोड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। यहां चित्रा, शर्मिला, कलिवानी, कुंजम्मा और शर्मिला नाम की 5 कर्मचारी दिहाड़ी मजदूरी किया करती थी। उन्हें हर रोज 320 रुपए की राशि मिलता है। वही वैधेगी प्रतिमाह 13 हज़ार रुपए कमाती है। वह प्रमुख चाय निर्माता है। यहां पर जो अकाउंटेंट है, उसकी सैलरी भी 12 हज़ार के करीब है। महिला कर्मचारियों में से कुछ लड़कियां हैं। कुछ ऐसे भी महिलाएं शामिल हैं, जो घरेलू उत्पीड़न से परेशान हैं। यहां नई अनुभव के साथ खुश हैं।

यहां प्रति माह लगभग 400 से लेकर 500 किलोग्राम तक चाय को बेचा जाता है। खास बात यह है कि जब आर्डर मिलते हैं, तभी उनका निर्माण होता है। यहां के उत्पाद जापान, कनाडा, यूरोप उत्तरी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में निर्यात किया जाता है। कुछ छोटा सा भाग हमारे देश में भी बिकता है। लाभ का लगभग 2% भाग यहां की महिलाओं कर्मचारियों एवं स्थानीय लोगों के सहयोग के लिए रखा जाता है, ताकि वहां के बच्चों को शिक्षा से जोड़कर हर चीज की जानकारी दी जा सके।