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प्रेम का कोई सिद्धांत नहीं, प्रेम केवल प्रेम करने से ही जाना जा सकता है: ओशो

अगर चुप्पी न कह सके प्रेम को तो
शब्द कभी भी नहीं कह पाएंगे

प्यार, वास्तव में इस दुनिया की सबसे खूबसूरत भावना है लेकिन समझने और समझाने के लिए बहुत हीं मुश्किल है। ‘प्यार’ पर एक लाख से ज़्यादा कविताएँ लिखी गई हैं, हमारे पास कई अमर प्रेम कहानियां हैं, अनगिनत फिल्म और गाने बनें हैं लेकिन इन सभी के बावजूद, प्यार का शब्दों में वर्णन कर पाना उतना हीं नामुमकिन लगता है।

शायद जिस तरह विज्ञान हवा को परिभाषित करता है, “One can’t see it, only feel it” हम प्यार के बारे में भी कह सकते हैं, इसे देखा नहीं जा सकता, केवल महसूस किया जा सकता है। महज़ किसी की ख़ामोशी और उपस्थिति भी प्यार को परिभाषित कर सकती है, नज़रों से बात हो सकती है और हाथ पकड़ कर हिम्मत दी जा सकती है।

Osho

ओशो का मानना है कि प्रेम केवल प्रेम करने से ही जाना जा सकता है। यह कोई ऐसी चीज नहीं है, जिसके बारे में की गई बौद्धिक चर्चा से उसे समझा जा सके। प्रेम कोई सिद्धांत नहीं है। यदि तुम उससे कोई सिद्धांत बनाने की कोशिश करो, तो वह बेबूझ हो जाएगा। यह बाउल गीत का पहला दृष्टि बिंदु है, वहां ऐसी चीजें हैं, जिसे तुम केवल करने के बाद या वैसा होने के बाद ही जान सकते हो।

यदि तुम तैरना नहीं जानते, तो यह भी नहीं जानते कि वह है क्या, और उसके बारे में जानने का फिर कोई उपाय है ही नहीं। तुम बाहर जाकर एक हजार एक तैराकों से उसके बारे में चर्चा सुन सकते हो, लेकिन फिर भी वह है क्या, तुम इसे कभी जान न सकोगे। यह किसी भी तरह से समझ में न आने वाली बात है, तुम्हें उसे समझने के लिए तैरना सीखना ही होगा। तुम्हे नीचे नदी में जाना होगा, तुम्हें जोखिम उठाना होगा, डूबने का खतरा उठाना होगा।

यदि तुम बहुत—बहुत चालाक हो, तो तुम कह सकते हो— “मैं नदी में तब तक कदम न रखूंगा, जब तक तैरना न सीख लूं।’’ बात है तो तर्कपूर्ण, मैं नदी में कदम कैसे रखूं जब तक मैं तैरना न सीख लूं? इसलिए पहले मुझे तैरना सीखना चाहिए। केवल तभी मैं नदी में कदम रख सकता हूं। लेकिन तब तुम तैरने के बारे में कुछ भी जानने में समर्थ न हो सकोगे, क्योंकि तैरना सीखने के लिए तो तुम्हें नदी में कदम रखना ही होगा। तैरना केवल तैरने के द्वारा ही जाना जा सकता है, वैसे हीं प्रेम केवल प्रेम करने से जाना जा सकता है, प्रार्थना केवल प्रार्थना करने के द्वारा ही जानी जाती है, इसके अतिरिक्त अन्य कोई मार्ग है भी नहीं।

प्यार किसी को गहराई तक जानने में हैं। वास्तव में प्यार, प्यार करने, क्षमा करने और हालात मन मुताबिक़ नहीं होने पर भी हमेशा साथ चलने के बारे में है। प्यार जादुई है, चमत्कारी है। यह बेसर धातु को सोने में, पृथ्वी को आकाश में और मानव को परमात्मा में बदल देता है।

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