हर माता-पिता अपनी संतान को बहुत मेहनत व त्याग के साथ बड़ा करते हैं उनका सपना होता है कि भविष्य में उनकी संतान उन्हे हर वो सुख देगी जिसे वो अपनी औलाद को बड़ा व शिक्षित करने के दौरान प्राप्त नही कर पाये और यही संतान का कर्त्तव्य भी है। इसी कथन को आत्मसात करते हुए उत्तर प्रदेश स्थित सहारनपुर(Saharanpur, UP) निवासी वैभव अग्रवाल (Vaibhav Agrawal) ने अपनी मेहनत, लगन व प्रयासों से अपने पिता के किराना स्टोर को एक ऐसा नया व मॉर्डन लुक दे दिया कि केवल दो साल के भीतर ही 5 करोड़ रुपये का टर्न ओवर उन्हे मिला है।
वैभव ने पिता की दुकान को किया मॉर्डनाइज़
यूपी के छोटे से शहर सहारनपुर में रहने वाले 31 वर्षीय वैभव अग्रवाल ने जब अपने पिता के किराना स्टोर को रिस्टार्ट करने का फैसला लिया तो उन्होनें पाया कि यूं तो उनके पिता के स्टोर उन्नत है लेकिन उसमें शहरी डिपार्टमेंट स्टोर की सुख-सुविधाओं का अभाव है जिसके लिए ज़रुरी है कि इसे एक नया लुक दिया जाये।
केवल दो साल में पाया 5 करोड़ का टर्न ओवर
पिता के किराना स्टोर का शहरीकरण करते हुए वैभव ने जब उसे मॉर्डनाइज़ करने का फैसला लिया तब शायद वो खुद भी नही जानते थे कि वे केवल दो वर्षों में ही एक ऐसी कंपनी किरण–स्टोर (Kiran Store) का निर्माण कर देगें जिसका टर्न ओवर सिर्फ दो साल में ही 5 करोड़ रुपये होगा।
व्यवसाय मे लाभ प्राप्ति के लिए पिता के संघर्ष को देख लिया फैसला
2006 में, वैभव के पिता संजय अग्रवाल (Sanjay Agrawal) ने केवल 17 साल की उम्र व 10,000 रुपयों के साथ कमला स्टोर नाम से अपनी दुकान शुरु की थी। धीरे-धीरे अपने कठिन परिश्रम के द्वारा उस 10 X 20 स्कवायर फीट के स्टोर को 1500 स्कवायर फीट में भी बदल दिया। लेकिन इस उन्नति और संघर्ष के बाद भी स्टोर निरंतर लाभ अर्जित करनें में असफल था। पिता को अधिक लाभ कमानें, व्यवसाय में बढ़ोतरी या अन्य निवेश में पूंजी की कमी व संभापित जोखिमों से निपटनें के लिए संघर्ष करते देख वैभव ने इस पूरे प्रोसेस में एक बदलाव लाने का फैसला लिया।
वैभव ने किरण-स्टोर कंपनी से किया स्टार्टअप
वैभव ने अपनी स्टार्टअप कंपनी किरण-स्टोर (Kiran Store) के ज़रिये पिता के किराने के कारोबार को बढ़ाने में तो मदद की ही है साथ ही भारत के 12 शहरों में 100 से ज़्यादा दुकानें भी बनाई जो वर्तमान में किरण-स्टोर स्टार्टअप से बेनेफिट ले रही हैं। उनके इस स्टार्टअप ने केवल दो साल में ही 5 करोड़ रुपये का टर्न ओवर प्राप्त किया है।
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वैभव का स्टार्टअप एक व्यापक स्तर पर कर रहा है काम
वैभव के इस प्रोजेक्ट की सफलता ने उन्हें भारत के छोटे शहरों में चलने वाले सभी किराना स्टोर्स में आधुनिकीकरण लाने का एक व्यापारिक विचार दिया। जिसमें उन्होने सफलता भी हासिल की और यह प्रोजेक्ट उनके व अन्य स्टोर मालिको के लिए एक जीत साबित हुआ है। अपने इस प्रोजेक्ट के ज़रिये वैभव अन्य स्टोर्स को दालों, मसालों और अन्य उत्पादों के अलावा नियमित रुप से आय के एक निश्चित साधन प्राप्त करा रहे हैं।
वैभव कहते हैं – “मैनें 2018 में अपनी कंपनी को भारतीय किराना स्टोर कंपनी के अंडर रजिस्टर कराया और 2.5 लाख रुपये से इसे शुरु किया, अपने प्रोजेक्ट के तहत हमनें जनवरी 2021 तक 12 शहरों में 50 किराना स्टोर के साथ काम किया है, जिनमें मुख्य रुप से टियर-1(Tier-1) और टियर-2 (Tier- 2) के शहरों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है”
मैसूर की मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते वक्त मिली प्रेरणा
2013 में बाबू बनारसीदास नेशनल इंस्टीट्यूड ऑफ टेक्नोलॉजी, लखनऊ से अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी करनें के बाद उन्होनें कुछ महीने अपनी दुकान पर काम किया जिसके बाद उन्होनें कैंपस प्लेसमैंट के ज़रिये मैसूर की एक मल्टीनेशनल कंपनी ज्वाइंन कर ली। वैभव बताते हैं – “ वहां खुदरा बाज़ार बिल्कुल अलग ढ़ग से काम करता है। जहां मैनें खुदरा दुकानों के लिए स्मार्ट स्टोर, विभिन्न उत्पाद मिश्रण और एक नियमित चेन सिस्टम को देखा, बस वहीं से इंस्पायर हो मैने खुदरा बाजार की इस गतिशीलता को अपने पिता की दुकान और अपने शहर में लानें का मन बना लिया, लगभग एक साल तक इसी दिशा में अनुभव लेनें के बाद मैनें 2014 में अपनी नौकरी छोड़ दी और वापस अपने शहर आ गया, यहां आकर और अनुभव लेने की इच्छा से मैनें बतौर सेल्स मैनेजर 10 हज़ार रुपये की तनख़्वाह पर एक कंपनी ज्वाइंन कर ली।”
अपने प्रोजेक्ट को साकार रुप देने के लिए अनेक जगहों से लिया अनुभव
2017 में मास्टर्स करनें के बाद एंटरप्रीन्योर वैभव दिल्ली की FMCG कंपनी में शामिल हो गए। वैभव बताते हैं – “इस नौकरी नें मुझे छह राज्यों – पंजाब, हरियाणा, यूपी, उत्तरांचल सहित अन्य कई राज्यों में खुदरा बाज़ार के लिए एक्सपोज़र दिया, यहां रहकर मैने बिक्री व वितरण के बारे में समझ ली, साथ ही बाज़ार क्षेत्रों के उत्पाद प्रवाह, प्रेज़ेन्टेशन और खान-पान के हर विवरण के बारे में भी जाना, हर क्षेत्र में अनुभव लेते हुए मैनें एक रिपोर्ट तैयार की जिससे मुझे कुछ हद तक थ्योरिटिकल और प्रैक्टिकल नालेज मिली”
अपनी टीम के साथ अपने प्रोजेक्ट को व्यापक रुप दे रहे हैं वैभव
वर्तमान में वैभव की टीम में 11 शिक्षक और कारखानें में शामिल 13 लोगों की टीम है। जहां वे के एस ज़ायका(KS Zayaka), द इंडियन किरण कंपनी (The Indian Kiran Company) और चाय इंडिया (Chai India) के अपनें ब्रांड नामों के अंडर अनाज, दालें व मसाले पैक करते हैं।
वन शॉप सोल्यूशंस का प्रावधान भी लेकर आये हैं वैभव
वैभव कहते हैं- “पारंपरिक स्टोर को स्मार्ट बनाने के अलावा हम स्क्रैच शॉप स्थापित करनें में भी मदद करते हैं। इसके अलावा हम किराने की दुकान के साथ-साथ वन शॉप सोल्यूशन (one-shop stop solution)भी लेकर आये हैं। हमारे पास हाईजिनिक, पैकड व क्वालिटी प्रोडक्ट्स हैं जहां क्लाइंट स्वेच्छा से अपने उत्पाद चुन सकते हैं। स्टार्टअप हर महीने 1000 रुपये की फीस लेता है।“
किराना स्टोरों का आधुनिकीकरण उन्हे दिग्गज कंपनियों से मुकाबला करनें मे सहायक होगा
वैभव कहते हैं- “वित्त वर्ष 2019-20 में, कंपनी ने 1 करोड़ रुपये का कारोबार किया था जो कि इस साल जनवरी तक ही 5 करोड़ रुपये पर आया है जिसमें अधिक भुगतान वाला प्रोजेक्ट सहारनपुर में था, जिससे 15 लाख रुपये का बिल दिया गया, इसके अलावा एक प्रोजेक्ट देहरादून और उत्तराखंड में चल रहा है जिससे अब तक 25 लाख की प्राप्ति हो सकी। यही रिटेल पार्टनर्स हमारे काम को बढ़ावा देते है और खुद भी अच्छा खासा मुनाफा प्राप्त करते हैं, कुल मिलाकर संगठित रुप से हम आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे में पारंपरिक स्टोरों का आधुनिकीकरण उन्हे घरेलू और वैश्विक बड़ी-बड़ी कंपनियों जैसे – अमेजन, फिल्पकार्ट और रिलांयस जैसी कंपनियो से प्रतिस्पर्धा करनें के लिए तैयार करेगा”
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