पर्यावरण का स्वच्छ होना हमारी जिंदगी का सबसे अहम और सबसे जरुरी मुद्दा है। पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए पेङ-पौधों की अधिकता चाहिए। ऐसे में लोग जगह की कमी वाली समस्या की बात करते हैं, यदि इस संदर्भ में गहराई से सोचा जाए और मन में ये बात आज कि विश्व का सबसे बड़ा रेगिस्तान सहारा को पेङ-पौधों को लगाकर उसे हरा-भरा बना दिया। बात सुनकर अजीब लगता है कि इतने बड़े मरुस्थल में आखिर पेङों की श्रृंखला कैसे लगाया जाए..क्या यह संभव है, इसके क्या लाभ-हानि हैं…आज बात इसी की…
जंगलों से काफी पेड़ों की कटाई की जा रही है और इन पेड़ों की लकड़ियों से फर्निचर तथा कई प्रकार के सामान बनाए जा रहे हैं। पेड़ों की कटाई के कारण वातावरण में ऑक्सीजन की धीरे-धीरे कमी होती जा रही है। इसके साथ-साथ वातावरण में काफी मात्रा में प्रदूषण फैलाने के कारण पेड़-पौधे भी सुख जाते हैं।
इसके साथ-साथ गाड़ियों से निकलने वाले कार्बन जो काफी हानिकारक होता है और वातावरण को अशुद्ध कर देता है। जिससे हम लोगों को शुद्ध ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण कई प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए हम लोगों को पर्यावरण को बचाने के लिए पेड़-पौधों को लगाना अत्यंत आवश्यक है जिससे हमें उन पेड़-पौधों से शुद्ध ऑक्सीजन मिल सके।
क्या आपने सोचा है कि अगर सहारा रेगिस्तान के बंजर जमीन को हरी-भरी बना दी जाए तो क्या होगा। सहारा रेगिस्तान के बंजर जमीन को हरियाली में बदलने से हम लोगों को कई फायदे मिल सकते हैं। आपको हम इसके बारे में अपने लेख के द्वारा बताएंगे। इसके साथ-साथ हम एक वीडियो भी साझा करेंगे जिस से आपको समझने में काफी आसानी होगी।
सहारा रेगिस्तान की बंजर जमीन
आजकल सड़कों पर कई गाड़ियां प्रतिदिन दौड़ती रहती है जिससे उन गाड़ियों से निकलने वाले कार्बन काफी हानिकारक होते हैं। परंतु इस समस्या से निपटने के लिए एक योजना तैयार की जा रही है। यह योजना सहारा रेगिस्तान के बंजर जमीन को हरा भरा बनाने का है। इस योजना से हमें जलवायु परिवर्तन से लड़ने में काफी मदद मिलेगी। और इस सहारा रेगिस्तान को हरा भरा बना देने से गाड़ियों से निकलने वाले कार्बन को आसानी से सोख लेगी और शुद्ध ऑक्सीजन प्रदान करेगी। फिलहाल अभी सहारा रेगिस्तान के पूरे मरुस्थल इलाके को हरा-भरा बनाने की योजना तैयार की जा रही है। इस बंजर जमीन को एक काफी घनी हरियाली वाली क्षेत्र बनाने की योजना तैयार की जा रही है।
सहारा रेगिस्तान को हरा भरा बनाने की योजना सफल हो जाती है तो हर साल जो 7.6 अरब टन जो कार्बन पूरे वातावरण में बनते हैं। उस कार्बन को इस सहारा रेगिस्तान की हरियाली योजना से हटाया जा सकता है। परंतु सहारा रेगिस्तान की बंजर जमीन काफी क्षेत्र में फैला हुआ है। इतने बड़े क्षेत्र को हरा-भरा बनाना काफी कठिन है इसके साथ-साथ इसमें काफी खर्च भी आएंगे।
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बंजर जमीन को हरियाली में परिवर्तित
सहारा रेगिस्तान की बंजर जमीन लगभग 86 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यानी आप अभी कह सकते हो कि सहारा रेगिस्तान का यह बंजर जमीन अमेरिका जितना बड़ा है। इतने बड़े क्षेत्र को हरा भरा बनाना कोई आसान काम नहीं है। इस बंजर जमीन को हरियाली में परिवर्तित करने के लिए लगभग हर साल 20 खरब डॉलर की आवश्यकता होगी। परंतु यह खर्च तो एक शुरूआत है इससे आगे आने वाले कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
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कहा जाता है कि हमारे शरीर में जिस प्रकार फेफड़े होते हैं ठीक उसी प्रकार पेड़-पौधे पृथ्वी का फेफड़ा है। आजकल घने जंगल की काफी कटाई की जा रही है जिससे चलते धीरे-धीरे पेड़-पौधों की कमी होती चली जा रही है। परंतु पर्यावरण को बचाने के लिए हमें काफी पेड़ो की जरुरत है। जिससे गाड़ियों से निकलने वाले कार्बन को सोख ले। अगर एक हेक्टेयर जमीन में पेड़ लगा दिया जाए तो यह पेड़ एक गाड़ी से 100 किलोमीटर दूर चलने पर जितना कार्बन निकलता है उतना एक हेक्टेयर में लगे पेड़ कार्बन को सोख लेता है। इसलिए अगर हम सहारा रेगिस्तान के कई लाख हेक्टेयर में पेड़-पौधे लगाते हैं तो हमें जलवायु परिवर्तन के खिलाफ हमारी इस पर्यावरण की लड़ाई में काफी सहयोग मिलेगा। परंतु समस्या यहां उत्पन्न होती है कि इतने बड़े क्षेत्र में हम कैसे या सब कर पाएंगे। इसके लिए हमें सबसे पहले छोटे स्तर पर काम करना चाहिए। जिससे आगे चलकर के सहारा रेगिस्तान के बंजर जमीन को हरा भरा कर सकें।
चीन का कुबुकी इकोलॉजीकल रेस्टोरेशन प्रोजेक्ट
छोटे स्तर पर काम करने के लिए आपको चीन के कुबुकी इकोलॉजीकल रेस्टोरेशन प्रोजेक्ट के बारे में जानना पड़ेगा। चीन के कुबुकी इकोलॉजीकल रेस्टोरेशन प्रोजेक्ट में एक तिहाई कुबुकि डेजर्ट को 30 साल के समय में करीब लगभग 70 भिन्न-भिन्न पौधों के प्रजातियां को लगाकर के यहां की जमीन को हरा भरा बनाया गया था। परंतु सहारा रेगिस्तान की बंजर जमीन पर हरियाली लाना मुश्किल है। क्योंकि यहां की पृथ्वी काफी गर्म है।
हम यहां की जमीन को पेड़-पौधे या फसल लगाकर हरा-भरा कर सकते हैं। तथा इन पेड़ों की और फसलों की सिंचाई करने के लिए सहारा के तट नमक निकला हुआ पानी को इस प्रकार लाना है कि पानी यहां की गर्म जलवायु के कारण वाष्प बनकर उड़ ना जाए इसके लिए पाइप को जमीन के अंदर से पेड़ों के जड़ तक ले जाना होगा।
इस सहारा रेगिस्तान में पेड़ लगाने के लिए नीलगिरी (यूकेलिप्टस) का पेड़ काफी अच्छा पेड़ होता है। क्योंकि नीलगिरी पेड़ गर्म तापमान को सह लेता है। यह काफी दमदार भी होता है। इसके साथ-साथ यह तेजी से बढ़ने के साथ इस रेगिस्तान जैसे क्षेत्र के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। नीलगिरी का पेड़ जैसे ही वह बढने लगेगा और पेड़ में जड़ें आने लगेंगी तो यह नीलगिरी का पेड़ स्थिर होने लगता है जिससे मिट्टी में जरूरी पोषक तत्व आ जाते हैं। जिसके कारण यहां अधिक से अधिक मात्रा में बारिश होने लगेगी। और जब बारिश अधिक मात्रा में होने लगेगी तो सहारा रेगिस्तान के तापमान 8 डिग्री सेल्सियस नीचे आ जाएगा।
नुकसान
सहारा रेगिस्तान के जमीन को हरी-भरी बनाने के लिए इसमें काफी लागत लगेगी जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय सरकार को इसमें योगदान देना चाहिए। इसके साथ-साथ अगर हम सहारा रेगिस्तान को हरा-भरा बना देते हैं तो इसमें और भी कई दिक्कतें आने की संभावना हो जाती है। सबसे पहले अगर यह सहारा रेगिस्तान में पेड़ों के लगने से यहां का क्षेत्र नम होने लगेगा। जैसे ही यहां का क्षेत्र नम होगा वैसे ही टिड्डियों का प्रकोप बढ़ने लगेगा। टिड्डियां एक ऐसी प्रजाति है जो एक छोटे टिड्डियों ढाई हजार लोगों को खाना अकेले खा जाती है। जो यहां के लिए काफी नुकसान दायक हो सकती है।
सहारा रेगिस्तान को हरा-भरा बनाने के लिए सबसे बड़ी समस्या यह है कि आगे चलकर के पर्यावरण पर क्या असर पड़ सकता है। जब सहारा रेगिस्तान में आंधी चलती है तो यहां की रेत आंधियों में उड़ कर अटलांटिक महासागर को पार करने के बाद दक्षिण अमेरिका में जमा हो जाता है। जिससे यह रेत रास्ते में अपने अंदर नमी सोख लेती है। और जब यह आसमान से नीचे की ओर गिरती है तो इसके साथ बारिश होती है। और यह बारिश अफ्रीका के जंगल अमेजन पर गिरता है। जिससे यह के इकोसिस्टम को वह पानी देता है जिसकी इसे जरूरत होती है।
अगर सहारा रेगिस्तान को हरा-भरा बना दें तो हम लोगों को कार्बन उत्सर्जन की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। परंतु इस योजना से कोई दूसरे ग्रह का नुकसान पहुंचाना क्या सही हो सकता है। इसके लिए हमें इन बड़े क्षेत्र को हरा-भरा बनाने से अच्छा है हमें पर्यावरण पर अच्छे से ध्यान देना चाहिए और अपने आसपास की जगह को हरा-भरा रखना चाहिए जिससे हमें शुद्ध रुप से ऑक्सीजन मिल सके।