Sunday, December 10, 2023

जानिए आखिर टायर का रंग काला ही क्यों होता है? एक समय सफेद रंग का टायर हुआ करता था

सड़कों पर अनेकों तरह की गाड़ियों को चलते हुए आपने देखा है, जिनका रंग और डिजाइन भिन्न-भिन्न होता है। लेकिन यदि आपने गौर किया होगा तो देखा होगा कि इनसब में एक बात की समानता होती है और वह है गाड़ियों का टायर।

जी हां दुनियाभर में चलने वाली गाड़ियों के टायर का रंग काला होता है, जबकि उनके मॉडल और डिजाइन में अंतर देखने को मिलता है। हालांकि, शुरु से ही गाड़ियों के टायर का रंग काला नहीं होता था। एक समय ऐसा था जब मटमैले और सफेद रंग के टायरों का प्रचलन था। ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या वजह है जिससे कंपनियों ने सफेद और मटमैले रंग के टायरों के जगह काले रंग के टायर बनाने शुरू कर दिए।

बता दें कि, वर्ष 1917 के पहले गाड़ियों के टायर के रंग सफेद और मटमैला होते थे। उस समय टायरों के लिए प्राकृतिक रबर का इस्तेमाल किया जाता था, जो रंग में हल्का सफेद और मटमैला होता था। उस दौर में टायर बनाने के लिए प्राकृतिक रबर के साथ छेड़छाड़ नहीं किया जाता था, जिससे उसके रंग में कुछ खास परिवर्तन नहीं आता था। लेकिन समय बदलने के साथ-साथ गाड़ियों में बदलाव हुए और कंपनियों पर परफोर्मेंस का प्रेशर बढ़ा।

परफोर्मेंस को बेटर करने और टायरों के क्वालिटी में सुधार लाने के लिए कंपनियों ने तरह-तरह के प्रयोग करना शुरू कर दिए। नए प्रयोग कर दौरान टायरों को मजबूती देने और लंबे समय खराब नहीं होने के लिये उसमें जिंक ऑक्साइड मिलाया जाने लगा।

Why tyre colour is black

इस प्रकार टायर की क्वालिटी को बढ़ाने के लिए कंपनियों ने कई प्रयोग किए, लेकिन साल 1917 के बाद रबर में कार्बन को मिश्रित किया जाने लगा। कार्बन की मिलावट करने के कारण प्राकृतिक रबर का रंग काला हो जाता था, यही कारण है कि सफेद और मटमैले रंग के टायरो के स्थान पर काले रंग के टायरों का चलन शुरु हो गया।

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रबर में कार्बन मिलाने का एक उद्देश्य यह था कि टायरों को मजबूती प्रदान किया जा सके, क्योंकि सूरज की तेज औए गर्म रोशनी में टायरों को क्षति पहुंची थी और उनमें दरारे आ जाती थी। इसलिए कंपनियों द्वारा कार्बन का प्रयोग किया जाने लगा ताकि धूप मे रहने पर भी टायर को अधिक नुकसान न पहुंचे।

दरअसल, कार्बन सूर्य से आनेवाली अल्ट्रावॉयलेट किरणों को ब्लॉक करने का काम करता है जिससे सूर्य की तेज रौशनी सीधे टायर पर नहीं पड़ती है। इसके अलावा कार्बन युक्त टायर को कटने-फटने का डर भी कम रहता है। इन्हीं सब फायदों को देखते हुए कंपनियों ने टायर बनाने के लिए कार्बन का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, जिसके कारण गाड़ियों के टायर का रंग काला होता है।

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