Covid -19 ने पूरी दुनिया के अनेकों परिवारों की जिंदगी को बदल कर रख दिया है। कई लोगों की नौकरी चली गई, कितनों के व्यवसाय बंद हो गए, अनेकों घर का एकलौता कमाने वाला शख्स हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह गया तो वहीं अनगिनत लोगों ने अपनों को हमेशा के लिए खो दिया। इनती बड़ी नुकसान झेलने के बावजूद भी कुछ लोग ऐसे हैं जिन्होंने हार नहीं मानी और हिम्मत करके फिर से उठकर खड़ा हुए और एक नई जिंदगी शुरु की।
यह कहानी भी एक ऐसी ही महिला की है, जिसने कोरोना में पति से बिछड़ने का दुख सहने और खुद कोरोना से जंग जितने के बाद हिम्मत जुटाई और 87 की उम्र में आचार और चटनी का कारोबार (Pickled Business) कर रही है। तो आइए जानते हैं इस प्रेरणादायी महिला के बारे में विस्तार से-
कौन है वह महिला?
यह कहानी है उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) की राजधानी लखनऊ की रहनेवाली उषा गुप्ता (Usha Gupta) की, जो अपने हौसले और जज्बे से चर्चा का विषय बनी हुई है। कोरोना महामारी में जिंदगी और मौत के बीच जंग जीतकर आई उषा वर्तमान में घर पर ही आचार और चटनी का व्यवसाय कर रही हैं। इस कारोबार से जो भी मुनाफा होता है उसे वह गरीबों में बांट देती हैं। वह कहती हैं कि अभी तक जितनी जिंदगी बची है उससे वह गरीबों और असहायों की सहायता करना चाहती हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने वर्ष 2021 में होममेड आचार और चटनी का कारोबार शुरु किया था। उसके बाद वह अपने द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट को सोशल मीडिया के जरिये देश भर के लोगों के पास पहुंचा रही हैं। जब उन्होंने बिजनेस शुरु किया, उस समय एक महीने में ही उन्होंने 200 बोतल की बिक्री कर दी। उसके बाद उससे हुई आमदनी को उन्होंने कोविड मरीजों और अन्य जरुरतमंदों के बीच दान कर दिया। (Pickled With Love Business Started by Usha Gupta.)
खुद तो कोरोना से जंग जीत गईं लेकिन पति ने हमेशा के लिए साथ छोड़ दिया
उषा गुप्ता की तीन बेटियां हैं और वे पेशे से डॉक्टर हैं और वह दिल्ली में रहती हैं। वहीं उनके पति उत्तरप्रदेश में सरकारी इंजीनियर के पद कार्य करते थे। लेकिन जिस तरह कोविड महामारी ने पूरी दुनिया के लोगों पर कहर बनकर टूटा था, उसी प्रकार उषा और उनके पति भी इस महामारी की चपेट में आ गए। मानो जैसे उनके ऊपर पहाड़ टूट पड़ा हो।
कोरोना के चपेट में आने के बाद उषा और उनके पति दोनों एक माह तक हॉस्पिटल में एडमिट थे, लेकिन भाग्य का लिखा कोई नहीं जानता है। लंबे समय के बाद उषा तो कोरोना से जंग जीत गईं, लेकिन उनके पति इस जंग में हार गए और हमेशा-हमेशा के लिए जीवन की डोर से मुक्त हो गए।
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पति के साथ छोड़ जाने के बाद भी नहीं मानी और हौसले से बढ़ी आगे
एक औरत के लिए उसका पति ही सबकुछ होता है। ऐसे में पति के जाने के बाद किसी भी औरत की जिंदगी में जैसे सुनापन छा जाता है। मीडिया से बातचीत के दौरान उषा कहती हैं कि, पति के स्वर्गवासी हो जाने के बाद उनकी जिंदगी में उदासी भर गई थी , मानों जैसे सिर्फ दुख का ही बसेरा हो। अब खुद के लिए कुछ करने के लिए कुछ बचा नहीं था। वह आगे कहती हैं कि, हॉस्पिटल में इलाज के दौरान लोगों को जिंदगी और मौत के बीच जूझते देखा था, कोई ऑक्सीजन के लिए तड़प रहा था, तो किसी को इलाज नहीं मिल पा रहा था। वहीं कई जिंदगियां तो तबाह हो गईं, और अनेकों लोग अपनों को हमेशा के लिए साथ छोड़कर चले गए। लोगों की ऐसी स्थिति देखकर उषा को यह एहसास हुआ कि बाकी का बचा जीवन अब जरुरतमंदों और असहायों की मदद में बितानी चाहिए। अपनी इसी सोच के साथ उषा ने हिम्मत किया और जिंदगी में आगे बढ़ने का फैसला किया। (Pickled With Love Business Started by Usha Gupta).
नातिन ने दिया आइडिया
उषा (Usha Gupta) बताती हैं कि, उनकी नातिन का नाम डॉ. राधिका बत्रा है जो गरीबों की सहायता करने हेतु NGO चलाती हैं। उनसे बात करके उषा ने अपनी इच्छा जाहिर किया, जिसके बाद डॉ. राधिका ने उन्हें आचार का बिजनेस करने का सुझाव दिया, क्योंकि उषा आचार बहुत ही अच्छा बनाती हैं। ऐसे में राधिका ने कहा कि क्यों न इसी हुनर की लोगों के बीच मार्केटिंग की जाएं। राधिका ने सुझाव दिया कि इस कारोबार से जो भी आमदनी होगी उसे आप गरीबों में दान कर देना, इससे उनकी मदद हो जाएगी, आपका मन भी लगेगा साथ ही आत्मा को शांति भी मिलेगी।
Pickled With Love नाम से शुरु किया व्यवसाय
नातिन द्वारा सुझाया गया यह आइडिया उषा (Usha Gupta) की काफी पसंद आया, लेकिन उम्र के इस पड़ाव में इनती मेहनत करना आसान नहीं था। हालांकि, सभी ने उनके हौसले को बढ़ाया और उनके सहयोग से उषा ने इस कारोबार को शुरु किया और अपनी तरफ से पुरजोर कोशिशें की। उन्होंने अपने इस बिजनेस का नाम “Pickled With Love” रखा। उनके इस कारोबार की मार्केटिंग और रिसोर्सेज के काम का जिम्मा नातिन ने खुद संभाला।
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अभी तक 65 हजार लोगों को खिला चुकी हैं खाना
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उषा ने अभी तक आचार के बिजनेस से मिले पैसों से लगभग 65 हजार जरुरतमंदों को भोजन करा चुकी हैं। उनके द्वारा किया गया यह कार्य बेहद प्रशंसनीय है। उषा गुप्ता के अनुसार, वह देश के अलग-अलग राज्यों में आज भी ऐसे लोगों की पहचान कर रही हैं, जिन्हें वास्तव में मदद की जरुरत है। उनके द्वारा किए जा रहे नेक काम में कुछ बाहरी संस्थाएं भी उनकी सहायता करती हैं।
यह महज कारोबार नहीं, लोगों की उम्मीदें है
जाहिर सी बात है उम्र के इस पड़ाव में इन्सान थक जाता है और शरीर कमजोर हो जाता है। 87 वर्षीय उषा (Usha Gupta) भी काम करते-करते थक जाती हैं और उनके शरीर में दर्द होने लगता है। इसके बावजूद भी वे निरंतर काम में लगी रहती हैं। इतना ही नहीं कई बार तो उन्हें दवा खाकर काम करना पड़ता है, क्योंकि उनका मानना है कि उनके द्वारा शुरु किया गया यह कारोबार महज एक बिजनेस नहीं है, इससे कई लोगों की काफी उम्मीदें जुड़ी हुई हैं। ऐसे में उनका मानना है कि जब तक शरीर में जान है तबतक वे गरीबों की सहायता करती रहेंगी। Pickled With Love Business Started by Usha Gupta.
ऊषा गुप्ता द्वारा किए गए इस प्रयास की हम बेहद सराहना करते हैं।