Sunday, December 10, 2023

बिहार के ब्रजकिशोर कर रहे हैं कमाल, स्ट्राबेरी की खेती में 50 हज़ार खर्च कर कमाए 4 लाख रुपये

यदि मन में कुछ करने की लगन और सच्ची निष्ठा हो तो हमें हमारा लक्ष्य पाने से कोई नहीं रोक सकता। फिर चाहे उसे हासिल करने के लिये पहाड़ तोड़कर रास्ता बनाना हो या मिट्टी से सोना निकालना। मनुष्य अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प से बंजर भूमि को भी उपजाऊ बना सकता है। हमारे देश के किसान इस बात को बिल्कुल सही साबित करते हैं।

आज हम आपको ऐसे ही बिहार के एक किसान के बारें में बताने जा रहें हैं जिन्होंने अपने लगन से बिहार की जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती कर एक मिसाल कायम किया है। स्ट्रॉबेरी की खेती से वह किसान लाखों की कमाई कर रहें हैं। स्ट्रॉबेरी खाने के अनेको फायदे हैं। इसमें कई तरह के विटामिन और लवण युक्त पदार्थ है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी सिद्ध होते हैं। खासकर यह रूप को निखारने के लिये अचूक उपाय है। स्ट्रॉबेरी कील-मुहांसे, चेहरे की रंगत निखारने, दांतो की सफेदी के लिये फायदेमंद होता है।

आइये जानते है उस किसान के बारें में जिन्होंने बिहार में स्ट्रॉबेरी (Strawberry) की फसल उगाकर सबके लिये नई मिसाल कायम की है।

strawberry

बृजकिशोर मेहता (Brijkishor Mehta) बिहार (Bihar) के औरंगाबाद (Aurangabad) जिले के कुटूंबा प्रखंड के चिक्की बिगहा गांव के रहनेवाले हैं। उन्होंने इण्टरमीडिएट तक की पढ़ाई की है। बृजकिशोर भी वर्ष 2012 तक एक आम किसान की तरह काम करते थे। वे भी दूसरे किसानों की तरह सब्जियां उगाकर उसे बेचकर अपने परिवार का जीवन यापन करते थे। वे बचपन से ही बिहार की जमीन पर स्ट्रॉबेरी उगाना चाहते थे। वे हमेशा अपने इस सपने को सफल बनाने की कोशिश में लगे रहते थे। मेहता जी ने जब स्ट्रॉबेरी की खेती करने का विचार किया तो लोगों ने कहा कि यहां की मिट्टी पर स्ट्रॉबेरी को उपजाना सम्भव नहीं है। बृजकिशोर मेहता जी ने बताया कि कृषि विभाग के ऑफिसर्स ने भी कहा दिया था कि बिहार में स्ट्रॉबेरी का उत्पादन नहीं किया जा सकता है। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने दृढ़ निश्चय कर लिया कि स्ट्रॉबेरी की उपज कर के ही मानेंगे।

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परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के कारण उनका बेटा गुड्डू (Guddu) भाग्यवश हरियाणा (Hariyana) के हिसार चला गया और वहां वह स्ट्रॉबेरी की खेती के कार्य में लग गया। जब ब्रिजकिशोर वहां स्ट्रॉबेरी की खेती देखने के लिये गये तो उन्होंने वहां की जलवायु देखी तो पाया कि बिहार की जलवायु भी वैसी ही है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी देखा कि बिहार के मिट्टी जैसी ही हरियाणा की भी मिट्टी है। यह सब देखने और समझने के बाद ब्रिज किशोर मेहता ने विचार किया कि जब हरियाणा में स्ट्रॉ बेरी का उत्पादन किया जा सकता है तो हमारे बिहार में इसकी खेती करना कैसे सम्भव नहीं है।

 strawberry farming

एक तरफ जहां बिहार में किसान धान, गेंहू उगाकर अपना जीवन यापन कर रहें थे, वहीं दूसरी तरफ बृजकिशोर मेहता ने कृषी विज्ञान केंद्र के तकनिकी निर्देशन में साल 2013 में स्ट्रॉबेरी की खेती का कार्य आरंभ कर दिया। बिहार में स्ट्रॉबेरी की खेती पहली बार हो रही थी, इसलिए उसमें थोड़ी बहुत दिक्कतें भी आई। लेकिन बृजकिशोर ने अपने जुनून और कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से स्ट्रॉबेरी की खेती में सफल हुए। उन्होंने अपने 16 कट्ठा जमीन पर स्ट्रॉबेरी की फसल उगाई तथा पहले ही सीजन में उन्होंने 4 लाख 86 हजार का फायदा भी कमाया।

उसके बाद मेहता जी ने 6 मजदूरों को 9 हजार की तनख्वाह पर रख लिया। उनकी मेहनत से खेती चल निकली और वे कामयाब हुयें। आज कई किसान बृजकिशोर मेहता के रास्ते पर चलकर स्ट्रॉबेरी की फसल उगा रहें हैं और अच्छी-खासी आमदनी भी कमा रहें हैं। सितंबर के माह में इसकी फसल को लगाया जाता है तथा मार्च मे उसे निकाल कर बाजार में बेच दिया जाता है।

Brijkishore mehta

स्ट्रॉबेरी की खेती एक एकड़ की भूमि पर करने से लगभग 50 हजार की लागत आती है। इससे फायदा लगभग पौने 4 लाख के करीब होता है। बाजार में स्ट्रॉबेरी की कीमत 3600 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से है। आपकों बता दे कि एक एकड़ जमीन पर 96 क्विंटल स्ट्रॉबेरी उगाया जा सकता है।

औरंगाबाद की पहचान अब स्ट्रॉबेरी की खेती से होने लगी है। बिहार के अन्य जिले के किसान भी स्ट्रॉबेरी की खेती देखने पहुंच रहें है तथा उनसे प्रेरित भी हो रहें हैं।

बृजकिशोर मेहता द्वारा की गई स्ट्रॉबेरी की खेती का देखें वीडियो :-

The Logically बृजकिशोर मेहता को स्ट्रॉबेरी की खेती करने के लिये शुभकामनाएं देता है। इसके साथ ही बिहार के जमीन पर भी अपनी मेहनत और लगन से स्ट्रॉबेरी उगाने की बात को सही साबित करने के लिये उनकी प्रशंसा करता है।