हमारे जीवन में हमारा स्वास्थ्य (Health) बहुत ही महत्वपूर्ण है। यदि जब कभी भी हमारा जीवन किसी खतरे में होता है या फिर किसी भी प्रकार की कोई शारीरिक व मानसिक समस्या होती है, तो हम डॉक्टर के पास जाते हैं और डॉक्टर हमारे संबंधित परेशानियों को दूर करते हैं। चिकित्सा विज्ञान का क्षेत्र बहुत ही ज्यादा बढ़ा है और इसमें विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य समस्याओं के लिए विभिन्न प्रकार के विशेषज्ञ डॉक्टर मौजूद होते हैं। डॉक्टर को भगवान का रूप भी कहा जाता है क्योंकि एक डॉक्टर के इलाज के द्वारा ही इंसान को नया जीवन मिलता है। (Success Story of Dr. Dilip Kumar Singh)
आज हम आपको बिहार (Bihar) के भागलपुर के रहने वाले डॉ. दिलीप कुमार सिंह के बारे में बताएंगे जिन्हें गॉड फादर भी कहा जाता है। आज के दौर में ज्यादातर डॉक्टर शहर में रहकर प्रैक्टिस करना पसंद करते हैं दिलीप कुमार सिंह ने अपने गांव को ही अपने कार्यस्थल के रूप में चुना। 93 साल के हो चुके डॉ. दिलीप कुमार सिंह जी आज भी मरीजों का इलाज करते हैं। वह लाखों मरीजों का मुफ्त में ईलाज कर उनकी सहायता कर चुके हैं।उनके इसी सेवा को देखते हुए भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च सम्मान में से एक पद्मश्री सम्मान से उन्हें सम्मानित किया है। आइये जानते हैं उनके बारे में।
President Kovind presents Padma Shri to Dr Dilip Kumar Singh for Medicine. A general medical practitioner, he treated and rehabilitated 382 Lepers. He is also associated with treating alcoholics and spreading awareness about cancer. pic.twitter.com/ng5xLh64HA
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 9, 2021
मरीजों के लिए सेवा की भावना (Dr. Dilip Kumar Singh)
डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह भागलपुर में पीरपैंती प्रखंड के रहने वाले हैं। मरीजों के लिए उनकी सेवा इस कदर है कि आज 93 साल की उम्र में भी वो लोगों का इलाज कर रहे हैं। उन्होंने करीब 68 साल में लाखों गरीबों का मुफ्त ईलाज किया है। आज भी वह मरीजों को देखते हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन भागलपुर (IMA Bhagalpur) के ‘गॉड फादर’ रहे डॉ. सिंह ने गरीबों और बेसहारा लोगों को जीवनदान देने के लिए डॉक्टरी के पेशे को अपनाया था। उन्हें हमेशा से डॉक्टर बनने की चाहत थी और उन्होंने कड़ी मेहनत करके अपने सपने को पूरा किया।
कॉलरा के इलाज में सक्रिय (Dr. Dilip Kumar Singh)
डॉ दिलीप की प्राथमिक शिक्षा पीरपैंती से ही हुई। हाईस्कूल की पढ़ाई उन्होंने भागलपुर से की। फिर पटना मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की।इसके बाद इंग्लैंड से इन्होंने डीटीएम एंड एच किया है। 1953 में भागलपुर के कई प्रखंडों में कॉलरा फैला तो इसके इलाज में ये काफी एक्टिव रहे। देश में पोलियो के इलाज को लेकर भी इनका अहम योगदान माना जाता है। गांव में दो पोलियो के मरीज मिलने के बाद उन्होंने अपने खर्च पर विदेश से ग्यारह सौ फाइल पोलियो की दवा मंगाई। फिर गांव-गांव में घूमकर बच्चों को दवा पिलाई। हालांकि, उनके इस जज्बे को देखकर आइएमए बुक ऑफ रिकार्ड और लिमका बुक ऑफ रिकार्ड में उनका नाम दर्ज हुआ।
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कभी नही मानी हार (Dr. Dilip Kumar Singh)
डॉ. दिलीप केवल चिकित्सा के क्षेत्र में ही अपने द्वारा किए गए कार्यों के लिए प्रसिद्ध नहीं है, बल्कि अपने हाईस्कूल की पढ़ाई के दौरान वो आजादी की लड़ाई में भी शामिल हुए थे। इंटर की पढ़ाई के दौरान उनकी उम्र करीब 19 साल की थी। उस समय मां का साथ छूट गया। वहीं, जब 27 साल के हुए तो पिता का भी साया उठ गया। परिवार में बड़ा होने के नाते परिवार की सारी जिम्मेदारियां उन्हीं के कंधों पर आ गईं, लेकिन उन्होंने अपने छोटे भाई-बहनों की जिम्मेदारी उठाने के साथ ही अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। खुद को मुकाम पर पहुंचाया और भाई और बहनों को को भी पढ़ा-लिखाकर अच्छा इंसान बनाया।
देश के लिए अगाढ़ प्रेम (Dr. Dilip Kumar Singh)
डॉ. दिलीप ने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद अमेरिका गए। वहां कुछ दिनों तक उन्होंने नौकरी की, लेकिन उनका मन वहां नहीं लगा। क्योंकि उनके मन में अपने देश की सेवा करने का जुनून सवार था। देश की सेवा करने के जज्बे ने उन्हें वहां से लौटने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद वह सीधे अपने गांव पीरपैंती लौट आए और गरीबों का इलाज करना शुरू कर दिया। हालांकि, जिस दौर में उन्होंने इलाज करना शुरू किया था, उस समय छुआछूत जैसी सामाजिक बुराई चरम पर थी। दौर वो था जब न सड़क थी, न बिजली थी और न ही टेलीफोन की सेवा। तब भी उन्होंने संघर्ष करते हुए मरीजों की सेवा करनी नही छोड़ी।
नेक काम के लिए पुरस्कार (Dr. Dilip Kumar Singh)
डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह को उनके चिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए सरकार द्वारा सेवा पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया।उन्हें और भी कई पुरस्कार मिल चुके हैं। डॉ.दिलीप ने हमेशा गरीबों और बेसहारा लोगों की मदद की। मरीजों को नई जिंदगी दी। समाज के लिए हमेशा खड़े रहे। आज डॉक्टर दिलीप से उन चिकित्सकों को सीखने की आवश्यकता है जो पैसों के लिए मरीज का इलाज नही करते। कही इलाज करने अगर दूर जाना हो तो अधिक पैसों की मांग करते हैं। आज डॉक्टर दिलीप के कार्यों से सिख लेने की जरूरत है।
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