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B.Tech और MCA करने के बाद इन दोस्तों ने खोला आधुनिक बकरी फार्म, सालाना करोडों रुपये कमाते हैं

भारत की अगर बात करें तो पशुपालन यहां लोग खूब करते हैं। जानवरों से लगाव,इनके रखरखाव और इनसे एक अलग अपनापन लोगों का यहाँ देखने को मिलता है। भारत में बड़े स्तर पर पशुपालन का कारण यह भी है कि यहां के जलवायु दशाओं एवं वनस्पति के कारण भारत के पास समृद्ध प्राकृतिक संसाधन हैं।

आपको बता दें कि भारत का विश्व में भैसों की संख्या में प्रथम स्थान, गाय और बकरी (Goat Farm) के संदर्भ में द्वितीय स्थान और भेड़ों की संख्या के मामले में तीसरा स्थान है। यहां लोग पशुपालन करके साल में करोड़ो रूपये कमा रहे हैं। आज हम आपको भारत देश के हरियाणा राज्य के रहने वाले नरेंद्र (Narendra) और लोकेश (Lokesh) के बारे में बताएंगे जिन्होंने यदुवंशी गोट फार्म (Yaduvanshi Goat Farm) की शुरुआत की और आज बकरी पालन करके करोड़ो रुपये कमा रहे हैं। हमलोगों ने उनसे बात की तो उन्होंने कई बिंदुओं को सामने रखा। बकरी पालन को लेकर उनके द्वारा बताई गई बातों को हम आज आपके सामने रखेंगे। आइये जानते हैं इसके बारे में।

आर्मी स्कूल से हुई पढ़ाई

नरेंद्र (Narendra) और उनके मित्र लोकेश (Lokesh) हरियाणा राज्य में महेन्द्रगढ (Mahendragarh) जिले के नारनौल के रहने वाले हैं। दोनों की दोस्ती बचपन से ही थी। दोनों की शुरुआती शिक्षा आर्मी स्कूल से संपन्न हुई। इसके बाद नरेंद्र ने B.Tech किया और उनके मित्र लोकेश ने MCA की पढ़ाई पूरी की। दोनों में इतनी दोस्ती थी कि उन्होंने साथ-साथ पढ़ाई को पूरा किया।

Duo friend narendra and lokesh yaduvanshi goat farm haryana
नरेन्द्र, यदुवंशी गोट फार्म

नौकरी भी करनी पड़ी

नरेंद्र ने बताया कि वह और उनके दोस्त लोकेश जब साथ में पढ़ाई करते थे तो दोनों का मन व्यापार (Business) करने का नही था। बाद में दोनों के नौकरी के दौरान उन्होंने यह योजना बनाई की आगे व्यापार करते हैं। दोनों की नौकरी अच्छी लगी थी और लाखों रुपये वो कमा रहे थे पर दोनों ने यह योजना बनाई की खुद का कुछ करते हैं। इसी सोच के साथ दोनों ने बकरी फार्मिंग (Goat Farming) की शुरुआत कर दी।

बकरियों के लिए कैंपस

The Logically से बात करते हुए नरेंद्र (Narendra) बताते हैं कि अगर कोई बकरी पालन (Goat Farming) के विषय में सोच रहा है तो सबसे पहले इसके लिए एक बड़ा कैंपस होना जरूरी है। नरेंद्र और लोकेश (Lokesh) ने भी सबसे पहले बकरी पालन के लिए लगभग 3.5 एकड़ का कैंपस तैयार किया। जिसमें उन्होंने डेढ़ एकड़ जमीन बकरियों के लिए और 2 एकड़ जमीन बकरियों के हरी-हरी घास (Green Grass) के लिए सुरक्षित रखा।

लोकेश, यदुवंशी गोट फार्म

बकरियों के लिए खुद का चारा (Yaduvanshi Goat Farm)

इतने बड़े कैंपस के होने से नरेंद्र और लोकेश को दूसरों पर निर्भर होना नही पड़ता है। वह खुद के परिसर में हरी-हरी घास को उगाकर बकरियों को खिलाते हैं। यह घास पूरे तरह आर्गेनिक होते हैं। इनमें किसी भी प्रकार के खाद का उपयोग नही किया जाता है। हरी-हरी घास के साथ-साथ सूखे चारों का भी निर्माण यही हो जाता है। यानी कि बकरियों को खिलाने के लिए उन्हें दूसरों पर निर्भर होना नही पड़ता है।

यदुवंशी गोट फार्म का यह वीडियो देखें

तोतापुरी नस्ल की बकरियां

नरेंद्र और लोकेश के फार्म में जो भी बकरियां वह सभी तोतापुरी नस्ल (Totapuri Breed) की बकरियां हैं। वो कहते हैं कि यह नस्ल एक विशेष प्रकार का ब्रीड होता है जिसे सोचित सिरोचित और तोतापुरी (Totapuri Breed) को क्रॉस करके हाइब्रिड बनाया जाता है। उनका कहना है इस ब्रीड के बकरे एवं बकरियां जल्दी नही मिलते हैं। इसकी मांग अधिक है पर इसका जगह-जगह आभाव है। नरेंद्र और लोकेश ने इस विषय पर अध्ययन भी किया है।

हवादार शेड का निर्माण (Yaduvanshi Goat Farm)

नरेंद्र का कहना है कि अगर आप बकरी फार्म की शुरुआत करना चाहते हैं तो इसके लिए बड़े कैंपस के साथ-साथ अच्छे शेड का भी निर्माण करना होगा। उन्होंने इसके लिए फाइबर और सीमेंट (fiber and cement) से बने शेड (shed) की बात कही। नरेंद्र ने कहा कि अपने शेड के निर्माण में उन्होंने फाइबर और सीमेंट से बने चदरे का निर्माण किया है। पूरे शेडिंग में एक भी पिलर नही दिया गया है। पूरे में लोहे का भारी-भरकम बीम सिर्फ दिया गया है।

हवादार शेड की आवश्यकता

उन्होंने यह भी कहा कि अगर हवादार शेड बने तो अच्छा है क्योंकि हवादार शेड होने से बकरियों को रहने में परेशानी नही होती है। इसमें ठंड के दिनों में भी ज्यादा दिक्कत नही होती है। हवादार शेड बनाने का ही वह सुझाव देते हैं। उन्होंने ने शेड के अंदर खिड़कियों का भी निर्माण कराया है जिससे हवा का प्रवेश हमेशा होता रहे।

उम्र के हिसाब से बकरियां

नरेंद्र के फार्म कि बात करें तो यहां उम्र के अनुसार इन्होंने बकरियों के रहने की व्यवस्था की है। छोटी उम्र के बकरियों को एक जगह रखा गया है। वहीं जिन बकरियों की उम्र एक वर्ष है उनके लिए अलग व्यवस्था है।(Yaduvanshi Goat Farm)
एक वर्ष से अधिक उम्र के बकरियों के लिए भी अलग-अलग व्यवस्था है। वो कहते हैं कि बकरियों के कमरों में जो खिड़कियां हो वह जमीन से थोड़ी नजदीक रहे तो अच्छा है इससे जमीन भी ठंडा रहता है। अधिक ऊंचाई पर खिड़कियों को न रखने की वह लोगों को सलाह देते हैं।

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बकरियों का खास ख्याल

नरेंद्र और लोकेश के फार्म में बकरियों के रहने की समुचित व्यवस्था की गई है।(Yaduvanshi Goat Farm) परिसर के अंदर हरे-हरे पेड़ लगाए गए हैं जिससे बकरियों को छाया भी निरंतर मिलती रहे। कैंपस के अंदर इनके घूमने के साथ-साथ खाने-पीने की भी पूरी व्यवस्था की गई है। लोहे का फीडिंग स्ट्रक्चर लगाया गया है जो घूम भी सकता है साथ ही साथ इनके पानी पीने के लिए प्लास्टिक के छोटे-छोटे ड्राम की भी व्यवस्था की गई है ताकि इन्हें किसी भी प्रकार की समस्या न हो।

स्वास्थ्य का विशेष ध्यान

नरेंद्र और लोकेश के यदुवंशी गोट फार्म (Yaduvanshi Goat Farm) में बकरियों के स्वास्थ्य का भी विशेष ख्याल रखा जाता है। नरेंद्र का कहना है कि मैं अपने बच्चों की तरह इन बकरियों का ख्याल रखता हूं। इनके जन्म लेने से इनके बड़े होने तक इनके स्वास्थ्य का ख्याल वो रखते हैं। जन्म लेने के बाद इन्हें लगने वाले टीके,दवाइयां और खानपान की भी व्यवस्था अच्छे से की जाती है। समय-समय पर स्वास्थ्य को चेक भी किया जाता है।

ब्रूसेला नामक वायरस से डर

नरेंद्र का कहना है की बकरियों में ब्रूसेला नामक वायरस (Brucella virus) जल्दी बनता है। यह वायरस काफी खतरनाक होता है जो मनुष्यों में भी फैल जाता है इसके लिए वह समय-समय पर बकरियों का ब्लड टेस्ट भी करवाते रहते हैं। उनका कहना है कि कई लोगों का कहना है कि यदुवंशी गोट फार्म में बकरों को कुछ भी खिला दिया जाता है पर यह गलत है। वह बकरों को भी वही खिलाते हैं जो बकरियों को खिलाते हैं।

हजार से ऊपर बकरियां

इनके फार्म में अभी हजार से ऊपर की संख्या में बकरे-बकरियां हैं। यदुवंशी गोट फार्म (Yaduvanshi Goat Farm) जिन्हें अच्छे से पाला जाता है। पहले इसकी संख्या 500-600 थी पर बकरों संख्या में अब तेजी से वृद्धि हो रही है। वैसे इनके द्वारा बनाए गए कैंपस में लगभग 3000 की संख्या तक बकरियां रखी जा सकती हैं।

यदुवंशी गोट फार्म में पलती बकरियां

इस तरह होता है मुनाफा

यदुवंशी गोट फार्म के मुनाफे (Profit) की बात करें तो बकरों को मांस के लिए बेचकर और बकरियों के दूध को बेचकर आज नरेंद्र और लोकेश सालाना करोड़ों की कमाई कर रहे हैं। वह बकरियों के बरसे से बने खाद को भी बेचते हैं जिसके एक ट्रॉली गोबर की कीमत 2000 तक होती है। इससे भी अच्छी कमाई होती है। यह खाद के रुप में इस्तेमाल होता है जो खेतों के लिए काफी फायदेमंद है।

मुफ्त ट्रेनिंग की व्यवस्था

बकरी पालन के साथ-साथ नरेंद्र और लोकेश बकरी पालन की ट्रेनिंग भी देते है। अगर किसी के पास पैसों की कमी है तो वैसे लोगों को फ्री में ट्रेनिंग (Free Training) दिया जाता है। ट्रेनिंग में इनदोनों के द्वारा बकरी पालन से जुड़े उन तमाम चीजों को बताया जाता है जो जरूरी है। बकरी पालन में आने वाली परेशानी के बारे में भी बताया जाता है। इनसे ट्रेनिंग पाकर आज कई लोग अपना खुद का व्यापार खोल रहे हैं। इन्होंने अपने क्षेत्र में बकरी पालन को लेकर लोगों को जागरूक भी किया है।

क्या कहते हैं नरेंद्र

नरेंद्र कहते हैं कि आज के युग में बकरे का मीट हर कोई खाना चाहता है पर इसे पालना कोई भी नही चाहता है। अगर मीट खाना है तो बकरों को पालना भी पड़ेगा। बकरी पालन के लिए उनका कहना है कि जब तक जन्म लेने से लेकर बड़े होने तक बकरे-बकरियों का ख्याल नही रखा गया तब तक यह व्यापार सफल नही हो सकता है। अगर थोड़ी भी कमी की गई या लापरवाही किया गया तो यह आपके व्यापार को नुकसान पहुँचा सकता है और अगर सभी चीजों को अच्छे ढंग से किया जाए तो यह व्यापार आपको करोड़ो रूपये भी प्रदान करेगा।

अगर आपको भी यदुवंशी गोट फार्म (Yaduvanshi Goat Farm) के मालिक नरेंद्र और लोकेश से बकरी पालन के विषय में जानना है या ट्रेनिंग लेनी है तो आप उनसे व्हाट्स ऐप और कॉल के माध्यम से 9711430060 और 9050926075 नंबर पर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

इसके अलावा अगर आप बकरी पालन में रुचि रखते हैं तो यदुवंशी गोट फार्म के Youtube चैनल से जुड़ सकते हैं।

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