आजकल लोग परिपूर्ण, सक्षम शरीर और सभी सुविधाओं के बावजूद भी जिंदगी से हार मान लेते हैं और किस्मत का रोना रोते हैं। वहीं कोई शारीरिक अक्षमता के बावजूद भी हिम्मत और हौसले से असंभव को भी संभव कर लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन जाते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है विद्या (Vidya) की, जो 11 वर्षों तक बिस्तर पर पड़ी रही लेकिन हार नहीं मानी और छत्तीसगढ की पहली व्हीलचेयर फूड डिलीवरी वुमेन (First Wheelchair Food Delivery Woman Of Chandigarh) बनकर मिसाल पेश की है।
एक घटना ने बदल दिया जीवन
विद्या (Vidya), बिहार (Bihar) राज्य के समस्तीपुर (Samastipur) की रहनेवाली हैं। उनका भी जीवन सामान्य लोगों की तरह ही गुजर रहा था कि तभी एक हादसा हो गया। वह बताती हैं कि, यह बात साल 2007 की है जब अपने गांव में साइकिल चला रही थी और अचानक बैलेंस बिगड़ने की वजह से वे पुल के नीचे गिर गईं। उसके बाद उन्हें जब होश आया तो पता चला कि वह हॉस्पिटल में भर्ती थी।
उसी दौरान उन्हें डॉक्टरों से जानकारी मिली कि वे अब फिर से अपने जीवन में खुद के पैरों पर नहीं चल सकेंगी। इस खबर ने विद्या और उनके पैरंट्स के दिल को झकझोर के रख दिया था। विद्या के पैरों का इलाज कराने के लिए उनके माता-पिता ने जी तोड़ कोशिशें की लेकिन हर डॉक्टर उन्हें यह विश्वास दिलाने में सफल नहीं रहा कि विद्या दोबारा से चल सकेगी। बार-बार प्रयास करने और असफल होने के बाद पैरंट्स की हिम्मत टूट गई जिसके बाद विद्या के लिए बिस्तर ही सहारा बन गया।
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लोग कहते थे ‘इसे जहर दे दो’
हम सभी समझ सकते हैं कि शरीर के किसी भी हिस्से के बिना जिंदगी जीना कितना कठिन होता है। खासकर तब जब जिंदगी बिस्तर पर कटने लगे। 11 वर्षों तक बिस्तर ही विद्या की दुनिया बन गई थी। जो भी उन्हें देखने आता फिर चाहे वह अपने रिश्तेदार हो या अन्य, सभी एक ही बात कहते थे ‘इसे जहर दे दो, कम से कम इसे हो रहे कष्ट से छुटकारा तो मिलेगा।’ (First Wheelchair Food Delivery Woman of Chandigarh)
रिहैब सेंटर ने दिया नया जीवन
विद्या कहती हैं कि हालत इतनी खराब हो गई थी कि उनकी पीठ पर घाव निकल आए थे, इस तकलीफ से छुटकारा पाने के लिए वह भी मन ही मन भगवान से दुनिया से जाने की प्रार्थना करती। लेकिन कहते हैं न जाको राखे साइयां मार सके न कोय। इश्वर की कृपा से उनके किसी जानकार व्यक्ति ने विद्या के बारें में चंडीगढ़ स्पाइनल रिहैब सेंटर को जानकारी दी, जिसके बाद उन्होंने विद्या के परिवार से सम्पर्क किया।
साल 2017 में विद्या अपने इलाज के लिए चंडीगढ़ आ गई, जहां स्पाइनल रिहैब सेंटर के CEO निक्की पवन कौर ने विद्या के बेडसोल बिमारी जो लगातार सोए रहने की वजह से उनके पीठ में हुई थी, का ऑपरेशन करवाया। विद्या ने वहां कई लोगों को देखा जिन्हें देखने के बाद उन्हें खुद के अंदर भी जीने की लालसा जगी। जीने की इच्छा लेकर उन्होंने रिहैब सेंटर में ही स्पोर्ट्स ज्वाइन कीया जहां वह बास्केटबॉल लान टेनिस, स्विमिंग और टेबल टेनिस खेलने लगीं। इतना ही नहीं उन्होंने स्कूबा डाइविंग और फैशन शो में भी हिस्सा लिया।
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टेबल टेनिस की नेशनल प्लेयर रह चुकी हैं विद्या
वर्तमान में विद्या अपने सेंटर में लोगों को योग का प्रशिक्षण भी देती हैं जबकी वे टेबल टेनिस की नेशनल प्लेयर रह चुकी हैं लेकिन गाइडेंस के लिए कोचिंग की सुविधा नहीं मिलने की वजह से वे इस क्षेत्र में आगे बढ़कर कुछ खास कमाल दिखाने में असमर्थ हैं। लेकिन यदि उन्हें कोचिंग की सुविधा मिले तो वे बहुत ऊंची उड़ान भर सकती हैं। विद्या के हौसले का अन्दाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने व्हीलचेयर ओपन नेशनल टेबल टेनिस टूर्नामेंट में दो स्वर्ण पदक भी अपने नाम किया है।
लोग करते हैं सपोर्ट
विद्या आगे कहती हैं कि, उनकी नौकरी की बात सुनकर उनके माता-पिता को बेहद प्रसन्नता है। उन्हें इस बात से बेह्द खुशी है कि वह आज नौकरी कर रही हैं। वर्तमान में वह इलेक्ट्रिक स्कूटर के माध्यम से ऑर्डर डिलीवर करने जाती है। उन्होंने बताया कि लोग उनका बहुत स्पोर्ट करते हैं साथ ही सभी उन्हें बातचीत करना चाहते हैं लेकिन समय की कमी के वजह से ऐसा सम्भव नहीं हो पाता है। Vidya, The First Wheelchair Food Delivery Woman of Chandigarh.
दिक्कते सभी को है, उससे निकलने की कोशिश करें
शरीर पैरालाइज्ड होने के बावजूद भी विद्या अपने काम को बहुत ही अच्छे तरीके से कर रही हैं। वे अपने इसी जुनून और जज्बे की वजह से आज “चंडीगढ़ की पहली व्हीलचेयर फूड डिलीवरी वुमन” बनकर सभी के लिए प्रेरणा की बेहद खुबसूरत मिसाल पेश की है। वह कहती हैं कि, स्वास्थ लोगों की अपनी दिक्कते हैं तो दिव्यांगों की भी अपनी समस्याएँ हैं। ऐसे में कठिनाइयों से उबरने का प्रयास करना चाहिए जब उम्र बीत जाएं तो अफसोस न हो कि हमने कोशिश नहीं की।
The Logically विद्या के हौसले और जुनून की प्रशंशा करता है।