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जानिए भारत के आखिरी गांव “माना” के उन रहस्यों के बारे में, जिसे जानने के लिए लोग हज़ारों मील तय करते हैं

उत्तराखंड (Uttarakhand) राज्य अपनी प्राकृतिक सुन्दरता और खुबसूरती के कारण विश्व भर के पर्यटकों के बीच काफी प्रसिद्ध है। यही कारण है कि, यहां की गावों और शहरों की मनोरम सुन्दरता को देखने और उसका आनन्द उठाने के लिए विश्व भर के सैलानियों की भीड़ जमा रहती है। उत्तराखंड को देवभूमि भी माना जाता है, जो अकल्पनीय और अद्भूत पौराणिक कथाओं को अपने भीतर समेटे हुआ है। इसकी यही खासियत इसे भारत के अन्य राज्यों से अलग बनाती है।

उत्तराखंड के चमोली जिले में 3115 मीटर की उंचाई पर स्थित माणा (Mana Village) भी एक ऐसा गांव है, जो अपनी अप्रीतम सुन्दरता से पर्यटकों को आकर्षित करता है। इसकी खुबसूरत वादियां और अद्भूत नजारों को देख हर कोई यहीं का होकर रह जाता है। यदि आप बद्रीनाथ से यहां जा रहे हैं तो आपका ट्रिप बेहद ही यादगार होगा। बद्रीनाथ से इस गांव की दूरी 3 किमी है, जहां पहुंचने का सफर बेहद ही सुहावना और खुबसूरत होता है। इस गांव के मुख्य द्वार पर लिखा हुआ है, ” द लास्ट इंडियन विलेज” (भारत का आखिरी गांव) (The Last Indian Village “Mana”)

ये तो थी माणा गांव से जुड़ी कुछ बातें। आइए अब जानते हैं यहां की घूमने वाली जगहों के बारें में, जहां की सैर आपके मन को सुकून और शांति का अनुभव कराएगी। इसके साथ ही वहां से जुड़ी कुछ मिथक भी जानेंगे।

माणा में घूमने वाली जगहें-

सरस्वती नदी के किनारे पर बैठने का एक अलग ही सुख है-

जैसा कि आप जानते हैं इस नदी का नाम हिन्दू धर्म में विद्या की देवी माँ सरस्वती के नाम पर रखा गया है। इतना ही नहीं, यह नदी 100 मीटर बहने के बाद माणा के केशव प्रयाग में बहने वाली अलकनंदा नदी से मिल जाती है, जिसके कारण इसे “गुप्त गामिनी” भी कहा जाता है। यह भीम पुल के पास स्थित एक विशाल पत्थर से निकलती है। पतली धारा होने के बावजूद भी इस नदी के पानी की आवाज आपको कान बंद करने पर मजबुर कर देंगी।

इसके अलावा हमारे हिन्दू धर्म का एक बहुत ही प्रमुख ग्रंथ की रचना भी इसी नदी के किनारे हुई थी। इससे जुड़ी पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह कहा जाता है कि जब महर्षि व्यास महाभारत की रचना कर रहे थे तो इस नदी के पानी की आवाज उनके काम में विघ्न डालने का काम कर रही थी। परिणामस्वरुप उन्हें क्रोध आया और उन्होंने सरस्वती नदी को लुप्त हो जाने का श्राप दे दिया। (The Last Indian Village Mana)

Interesting facts about indian last village mana

भीम पुल (Bheem Pul) की सैर जरुर करें

सरस्वती नदी के ऊपर प्राकृतिक रुप से पत्थरों से निर्मित एक पुल है, जिसे भीम पुल कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, कहा जाता है कि जब पांचों पांडव द्रौपदी के साथ स्वर्ग जा रहे थे तो यह नदी उनके रास्ते में पड़ती थी। द्रौपदी को इस नदी को पार करने में किसी भी प्रकार की समस्या न हो और वह सरलता से इसे पार कर सके, इसके लिए भीम ने एक बहुत ही विशाल पत्थर उठाकर रख दिया था। इतना ही नहीं इस नदी के पास में ही एक पैर का निशान हैं जो लगभग 20 फीट लम्बा है। इसके बारें में यह कहा जाता है कि वह भीम के पैरों के निशान हैं।

व्यास गुफा (Vyas Cave)

महर्षि व्यास ने इसी गुफा में चारों वेद और गीता की रचना की थी, इसी कारण से इस गुफा का नाम व्यास गुफा पड़ा। यह भी माना जाता है कि व्यास जी ने भगवान गणेश को महाभारत की कहानी सुना रहे थे और महाभारत जैसे प्रमुख ग्रंथ की रचना कर रहे थे। इसके अलावा इस गुफा की छत की बनावट कुछ इस प्रकार है कि जिसे देखने के बाद लगता है कि ताड़ के पत्तों पर किसी ने कुछ लिखा हो। वहीं इस पत्थर को व्यास पुस्तक के नाम से भी जाना जाता है। इसके बारें में यह कहानी प्रचलित है कि लंबे वर्ष बीतने के बाद पुस्तक पत्थर में तब्दील हो गई है।

गणेश गुफा जहां हुई थी प्रमुख ग्रंथ महाभारत की रचना

हालांकि, व्यास गुफा से कुछ ही दूरि पर गणेश गुफा (Ganesh Cave) भी स्थित है, जिसके बारें में कहा जाता है महर्षि व्यास ने अपनी गुफा से भगवान गणेश को इसी गुफा में महाभारत सुनाई थी। उसके बाद भगवान गणेश ने इस ग्रंथ की रचना की। अब आप सोच रहें होंगें कि क्या व्यास गुफा से गणेश गुफा तक महर्षि व्यास द्वारा बोले जा रहे शब्द गणेश जी को सुनाई दी थी?

हालांकि, इस बारें में गहराई तक माणा गांव के लोग ही सोच सकते हैं और इसके बारें में सच्चाई जान सकते हैं। क्योंकि पौराणिक कथाओं के अनुसार धर्म से प्रसिद्ध इस गुफा में वर्तमान में बच्चे क्रिकेट खेलते हैं और वहां की औरतें सिलाई-बुनाई करती हैं।

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भारत के अन्तिम चाय की दूकान (India’s Last Tea Shop) पर चाय की चुस्की का आनन्द जरुर लें।

वैसे तो चाय सभी का पसंदीदा पेय है, लोगों के दिन की शुरुआत ही इसी के साथ होती है। वहीं लोगों को यात्रा के दौरान भी चाय की चुस्की लेना काफी पसंद होता है। ऐसे में यदि आप माणा गांव (Mana Village) की अद्भूत और अप्रीतम सुन्दरता को समेटने के लिए निकले हैं, तो भारत के आखिरी चाय की दुकान पर चाय का स्वाद जरुर लें। हालांकि, पर्यटकों के बीच चाय की ये दुकान काफी मशहूर है। यहां आनेवाले सभी सैलानी इस दुकान की चाय का लुत्फ उठाना नहीं भूलते हैं।

यह फोटो लेने के लिए भी काफी अच्छी जगह है, वहीं यहां की ग्रीन टी बेहद स्वादिष्ट होती है। यदि आप भी यहां जा रहे हैं तो यहां चाय की चुस्की जरुर लें।

बद्रीनाथ (Badrinath)

बद्रीनाथ को मंदिरों का शहर कहा जाता है, जो माणा से 3 किमी की दूरी पर स्थित है। यदि आप भगवान महावीर विश्वास करते हैं और उनमें श्रद्धा रखते हैं तो मई से लेकर नवम्बर तक का महीना आपके लिए परफेक्ट है। लेकिन यदि आप इसके विपरीत हैं तो इन कुछ महिनों में न जाकर दूसरें माह में जाएं और वहां की अद्भूत छटा का लुत्फ उठाएं।

माणा गांव के आस-पास स्थित एडवेंचर

माणा पास की ड्राइव

यदि आप ड्राइव करने के शौकीन हैं और इस प्रकार का एडवेंचर का आंनद उठाना चाहते हैं तो माणा पास की ड्राइव आपके लिए परफेक्ट है। यहां जाने के लिए सबसे पहले जोशीमठ आर्मी से आज्ञा लेनी पड़ती है, क्योंकि यह चीन के बॉर्डर के पास स्थित है। वहीं माणा गांव से इसकी दूरी 50 किमी है।

ट्रेकिंग का उठाएं आनंद

एडवेंचर के शौकीन लोगों के लिए माणा के आसपास वाले क्षेत्र बेहतर साबित होंगें। पर्यटक वहां ट्रेकिंग करने करने का लुत्फ उठा सकते हैं। इसके लिए आप माणा से शुरु होनेवाले ट्रेक जैसे, स्वर्ग रोहिणी, सतोपंथ लेक, वसुंधरा फॉल्स आदि जगहों पर ट्रेकिंग करके अपने ट्रिप को यादगार बना सकते हैं। यदि आप ट्रेकिंग के लिए किसी की सहायता लेना चाहते हैं तो बद्रीनाथ में काई गाइड करने वाले मिल जाएंगे।

भोजन (Foods)

बता दें कि, माणा गांव में खाने-पीने की अधिक दुकाने नहीं है, वहां आपको चाय और टपरी मिलेगी। ऐसे में भोजन के लिए माणा के आसपास क्षेत्र में बद्रीनाथ का बेहतर जगह है। भोजन के लिए आपको यहां जाना पड़ेगा या वहां से फूड पैक करवा के अपने साथ रख सकते हैं। इसके अलावा यहां कई सारे वेज रेस्टोरेंट भी मौजूद हैं, जहां के स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ ले सकते हैं। बता दें कि, आपको यहां शाकाहारी प्लेट से लेकर दक्षिण भारतीय डिश बहुत ही सरलता से मिल जाएंगे।

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कहां ठहरे?

हालांकि, माणा में लैंडस्लाइड्स होते रहते हैं ऐसे में आपके लिए बेहतर होगा कि आप जोशीमठ में अपने लिए ठहरने की वव्यवस्था करें। वहां स्थित द स्लीपिंग ब्यूटी होटल में आपको कोई सही सुविधा मुहैया कराई जाती है। साथ ही वहां ठहरने वाले लोगों को सुबह का नाश्ता भी दिया जाता है। इसके अलावा इस होटल की खिड़की से आप गढ़वाल पहाड़ों की खुबसूरती को निहार सकते हैं। पहाड़ों की खुबसूरती को देखने और ट्विन रूम का किराया 3800 रुपये है जबकी डबल रूम के साथ माउंटेन व्यू के लिए 3500 रुपये खर्च करने पड़ेंगे।

यहां जाने का पता- मनोहर बाघ, औली रोड, 246443 जोशीमठ, भारत

भारत के आखिरी गांव माणा (The Last Indian Village Mana) पहुंचने का सही समय

गर्मियों के मौसम इस गांव को घूमने के लिए उपयुक्त समय है, क्योंकि बरसात के मौसम मे यहां जानेवाले सभी रास्ते बंद हो जाते हैं। इसलिए बेहतर होगा कि आप यहां जून से सितम्बर महीने के बीच में ही जाएं।

कैसे पहुंचे माणा गांव?

सड़क मार्ग (Roadways) – यदि आपको बाई रोड ट्रेवल करना अच्छा लगता है तो आप देहरादून या हरिद्वार से टैक्सी या कैब बुक कर सकते हैं। इसके अलावा बद्रीनाथ या गोविंदनाथ के लिए बस से भी सफर तय कर सकते हैं। इस सफर को तय करने में आपको 7-8 घन्टे लगेंगे।

रेल मार्ग (Railway Route) – यदि आप माणा गांव तक का सफर ट्रेन से तय करना चाहते हैं, तो वहां की सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार जा सकते हैं। माणा से इसकी दूरी 275 किमी है।

हवाई मार्ग (Airways) – कई लोगों को हवाईजहाज से यात्रा करना काफी पसंद होता है, इससे समय की भी बचत होती है और सफर भी यादगार बनता है। यदि आप भी हवाईजहाज से इस गांव तक पहुंचना चाहते हैं तो आपको इसके सबसे नजदीकी हवाईअड्डा जो देहरादून के पास है, जॉली ग्रांट एयरपोर्ट जाना पड़ेगा।

उम्मीद करते हैं बताई गई जानकारी आपके सफर को सुखद बनाएगी।

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