आज किसान तरह-तरह की फसलों की खेती कर सफलता हासिल कर रहे हैं। ज्यादातर किसान अपने परंपरागत कृषि को छोड़कर कई तरह के व्यवसायिक फसल व नई तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हीं सफल कृषकों में से एक नाम लोभी राम (Lobhi Ram) का भी है, जिन्होंने औषधीय खेती कर सफलता का ऐसा मुकाम हासिल किया जो दूसरों के लिए भी प्रेरणा बना। आईए हम जानते हैं लोभी राम के औषधीय खेती के बारे में…
हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के सेईकोठि(Soikothi) के निवासी लोभी राम कृषि विभाग (Agriculture Department) में कॉन्ट्रैक्ट पर फोर्थ ग्रेड कर्मचारी की नौकरी कर रहे थे। खेती से उनका बहुत लगाव था जिसके कारण उनके मन में यह विचार आया कि मैं खेती से बेहतर कर सकता हूं। इसलिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और खुद को खेती के तरफ मोड़ लिया।
लोभी राम शुरुआती तौर पर खुद के खेतों में औषधीय पौधों की खेती शुरू की। अपनी मेहनत और जानकारी के बदौलत उन्हें शुरुआत से ही सफलता मिलनी शुरू हो गई। धीरे-धीरे उन्होंने दायरा बढ़ाया और अपने सभी खेतों पर औषधीय फसलों की खेती शुरू कर दी। यहां सफलता मिलने के बाद अबे अपने गांव के अन्य किसानों की जमीन को लीज पर लेकर उस पर खेती करने लगे। यदि वर्तमान की बात करें तो वह आज लगभग 400 बीघा जमीन पर खेती कर रहे हैं।
लोभी राम (Lobhi Ram) आपने औषधीय खेती से ना सिर्फ खुद का भला कर रहे हैं बल्कि बड़े स्तर पर और दिए फसल की खेती से वह अन्य लोगों को भी रोजगार मुहैया करा रहे हैं। उनके द्वारा उत्पादित औषधीय पौधों का डिमांड देश के अनेक शहरों जैसे महाराष्ट्र, किन्नौर, पुणे, दिल्ली, कोलकाता एवं बेंगलुरु आदि में है। वह अपने द्वारा उगाए गए जड़ी-बूटियों को इन राज्यों में बृहद मात्रा पर भेजते हैं।
खेती के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के कारण उन्हें कई मंचों पर सम्मानित किया जा चुका है। कई लोग उनसे औषधीय फसलों की खेती सीखने आते हैं। अपने सफल खेती से लोभी राम ने कृषकों को भी प्रभावित किया है और अन्य किसान भी लोभी राम से सीख कर सफलता प्राप्त कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में उन्हें राज्य स्तरीय पुरस्कार के लिए भी नामांकित किया जा चुका है।