Wednesday, December 13, 2023

जानिए उस पाकिस्तनी कर्नल के बारे में जिसे भारत मे पद्मश्री सम्मान दिया गया, अभी भी पाकिस्तान में है मोस्ट वांटेड

भारत देश में अपने उत्कृष्ट कार्यों के लिए कई महान हस्तियों को पद्मश्री से सम्मानित किया जाता है। पर एक बार ऐसा भी हुआ है जब किसी पाकिस्तानी सेना के अफ़सर को सम्मानित किया गया हो। यह सुनकर आप थोड़े चकित हो सकते हैं पर यह सच है। भारत में पहली बार जिस पाकिस्तानी अफसर को पद्मश्री से सम्मानित किया गया उनका नाम था “काजी सज्जाद अली जहीर”। कर्नल काली सज्जाज अली जहीर वो शख्स हैं, जिनकी तलाश पिछले 50 सालों से पाकिस्तान को है और इनका चेहरा देखते ही पाकिस्तान की सेना में आज भी आग लग जाती है। (Col Quazi Sajjad Ali Zahir Padma Shri Award)

काजी सज्जाद अली जहीर पाकिस्तानी सेना में कर्नल के पद पर थे। दरअसल,कर्नल जहीर ने पाकिस्तानी सेना के कई खुफिया दस्तावेजों को भारत को सौंपा था। इतना ही नहीं उन्होंने बांग्लादेश मुक्ति वाहिनी के हजारों लड़कों को सैन्य ट्रेनिंग भी दी थी। उनके इस काम से पाकिस्तान इतना गुस्से में आ गया था कि वहां की सरकार ने कर्नल जहीर को मौत का फरमान भी सुना दिया था। पाकिस्तान से अपनी जान की रक्षा कर कर्नल जहीर भारत आ गए और हमेशा के लिए यहीं रह गए। कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर के कार्यों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान में से एक पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया है। यब सब देखकर भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान को काफी मिर्ची भी लगी थी। आइये जानते हैं की कैसे कर्नल जहीर ने भारत की इतनी मदद की। (Col Quazi Sajjad Ali Zahir Padma Shri Award)

सैनिक के परिवार में जन्में (Col Quazi Sajjad Ali Zahir)

काजी सज्जाद का जन्म पूर्वी पाकिस्तान में हुआ था जो अब बांग्लादेश का हिस्सा है। वह एक सैन्य परिवार से आते हैं। उनके पिता ब्रिटिश आर्मी में तैनात थे। उन्होंने दूसरे विश्व युद्ध में म्यांमार में लड़ाई लड़ी थी। 1971 के भारत-पाक युद्ध से कुछ ही समय पहले काजी सज्जाद अली जहीर पाकिस्तानी फौज में भर्ती हुए थे। उस वक्त पूर्वी पाकिस्तान जो अब बांग्लादेश का हिस्सा है वहां सेना की क्रूरता को देखकर उनका दिल दहल गया। वह उस वक्त पाकिस्तान के सियालकोट सेक्टर में तैनात थे। पाकिस्तानी फौज की क्रूरता से वह इस हद तक परेशान हुए कि उन्होंने एक दिन सेना के अहम दस्तावेज और मैप अपने जूते में छिपाकर पाकिस्तान से भारत भाग आए। उन्होंने किसी की भी परवाह किए बिना सीधा भारत की ओर रुख किया।

परिवार को किया गया परेशान (Col Quazi Sajjad Ali Zahir)

भारत आने के बाद काजी सज्जाद अली जहीर के परिवार वालों को काफी परेशान किया गया। बांग्लादेश में जो उनका घर था उसे पाकिस्तानी सेना के द्वारा आग के हवाले कर दिया गया। किसी तरह उनके परिवार के लोगों ने पाकिस्तानी सेना से जाना बचाई थी। उनके भारत आने से पाकिस्तानी सेना इस प्रकार बौखला गई थी कि उन्होंने
सज्जाद अली जहीर के लिए मृत्यु का फरमान भी जारी कर दिया था। उन्हें पाकिस्तान सरकार द्वारा देशद्रोही घोषित कर दिया गया था। पाकिस्तानी सेना ने बांग्लादेश के लोगों पर इतने जुल्म किए, कि कर्नल जहीर को यह सब बर्दाश्त नहीं हो पाया था और उन्होंने यह कसम खा ली थी कि इसका बदला वह जरूर लेंगे। इसी के साथ उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ हल्ला बोल दिया था।

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खाली हाथ भारत आए (Col Quazi Sajjad Ali Zahir)

कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर जब भारत आए थे तो उनके पास बस पाकिस्तान के जरूरी दस्तावेज थे। सेना ने जब उनकी तलाशी ली थी तो उनके पास कुछ अहम दस्तावेज बरामद हुए थे। पहले तो भारतीय सेना ने उनको पाकिस्तान का जासूस समझा, लेकिन उनको पठानकोट ले जाया गया जहां वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने उनसे पूछताछ की। पूछताछ के दौरान उन्होंने पाकिस्तानी सेना की योजना के बारे में जो बातें बताई उस पर सेना ने कार्रवाई की और वो जानकारी सही निकली थी। उन्होंने बांग्लादेश को आजाद कराने के कई कार्य किए थे। उन्होंने पाकिस्तानी सेना के क्रूर रवैये को देखा था जिसके वजह से वह बहुत आहत हुए थे। बांग्लादेश को आजाद कराने के लिए मुक्ति वाहिनी को छापामार युद्ध की ट्रेनिंग देने के बाद उनको बांग्लादेश भी भेजा गया था। जहाँ उन्होंने हजारों बांग्लादेशी नागरिकों को सैन्य प्रशिक्षण भी दिया था। पाकिस्तान के खिलाफ 1971 की लड़ाई में उन्होंने भारतीय सैनिकों के साथ आपसी समन्वय बनाते हुए काम किया और फिर उन्होंने मुक्ति वाहिनी के सैनिकों के साथ मिलकर पाकिस्तान के खिलाफ गुरिल्ला वार शुरू किया था।

भारत सरकार ने किया सम्मानित (Col Quazi Sajjad Ali Zahir)

1971 के जंग में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल काजी सज्जाद को भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान (Padma Shri Award) से भी सम्मानित किया। यही नहीं लेफ्टिनेंट कर्नल काजी सज्जाद को बांग्लादेश में बीर प्रोतिक जो कि भारत के वीर चक्र के बराबर है सम्मानित किया गया। साथ ही साथ बांग्लादेश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान स्वाधीनता पदक से भी सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने पूरे निडरता से जिस प्रकार भारत की मदद की वह सचमुच काबिले तारीफ है। उनके निर्भीकता की प्रशंसा अब हर तरफ होती है।

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