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MBA के बाद विदेश की अच्छी नौकरी छोड़कर लौट आईं स्वदेश, आज हाइड्रोपोनिक खेती से कमा रहीं लाखों रुपए

आजकल युवा वर्ग के लोग भी अपने नए-नए तरीकों और नई-नई तकनीकों से खेती करने में जुटे हुए हैं। खेती करने का ट्रेंड धीरे-धीरे युवा में काफी बढ़ रहा है। जो युवा विदेशों में नौकरी करते हैं या फिर विदेशों में पढ़ाई कर रहे हैं वह भी अपने स्वदेश आकर और नए तरीकों को अपना करके खेती करने में लगे हैं। आज हम आपको एक युवा लड़की पूर्वी (Poorvi) के द्वारा किए जाने वाली उन्नत कृषि के बारे में बताएंगे।

आजकल लोग ज्यादातर हाइड्रोपोनिक तरीकों (Hydroponic Method) से खेती करना पसंद करते हैं। हाइड्रोपोनिक खेती (Hydroponic Farming) ऐसी खेती है जिसमें बिना मिट्टी के उत्पादों को उपजाया जाता है और उसमें जरुरी खनिज और उर्वरक को पानी के माध्यम से दिया जाता है। हाइड्रोपोनिक तरीकों से खेती करने के लिए सिर्फ तीन चीजें पानी पोषक तत्व और प्रकाश की जरूरत होती है। जिसकी वजह से खास करके युवा पर के लोग हाइड्रोपोनिक खेती को अपना करके अच्छी कमाई करते हैं। हम आज एक ऐसी लड़की के बारे में बताएंगे जिन्होंने लंदन से पढ़ाई करके फिर अपने स्वदेश आ करके हाइड्रोपोनिक तरीकों से खेती कर रही है और इस हाइड्रोपोनिक खेती से लाखों रुपए की कमाई कर रही हैं।

पूर्वी (Poorvi) उत्तर प्रदेश (Uttarpradesh) के इटावा (Etawa) शहर के एक छोटे से गांव फूफई (Fufai) की रहने वाली हैं। पूर्वी जब छोटी थी तब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। जिसके बाद उनके मां सरस्वती मिश्रा ने उनका पालन-पोषण किया। उनकी प्रारंभिक शिक्षा सेंट मेरी स्कूल इटावा से की। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वह देहरादून चली गईं। उसके बाद मास्टर डिग्री MBA करने के लिए UK चले गए। पूर्वी MBA के डिग्री हासिल करने के बाद एक बाइक कंपनी में मार्केटिंग नौकरी करने लगी। परंतु कोरोना के समय लॉकडॉन लग जाने के बाद पूर्वी अपने घर वापस आ गईं। इसके बाद इनके मन में हाइड्रोपोनिक खेती करने के बारे में सोचा।

Purvi Mishra quited her foreign job and started hydroponic farming
पूर्वी (उत्तर प्रदेश)

पूर्वी (Poorvi) बताती हैं कि जब पूरे देश में कोरोना फैला हुआ था। तो उस वक्त अपने हेल्थ को स्वस्थ रखने के लिए हमारे शरीर को पोषक तत्व का मिलना बहुत जरुरी था। इसीलिए हमने उसी समय मन में ठान लिया कि हम हाइड्रोपोनिक तरीके से खेती करेंगे। पूर्वी यह भी बताती हैं कि हमारी मां मेरी प्रेरणा रही हैं। उन्होंने मुझे काफी कुछ सिखाया है और समझाया भी है। उन्होंने मुझे यह भी बताया कि जीवन में अगर कुछ अलग करना है। तो हमें सामाजिक रुप से भागीदारी जरुर निभाना चाहिए।

पूर्वी कहती हैं कि मेरा सपना है कि मैं महिला किसान के रूप में यहां के लोगों को अपने स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए स्वास्थ्यवर्धक फल और सब्जियां लोगों को काफी सस्ते दामों में घर बैठे उपलब्ध करा सकें तथा इस हाइड्रोपोनिक फार्मिंग को बेहतर तरीके से खेती करके सब्जी या फल उपजा सकते हैं और इसे बाजारों में बेचकर आप एक अच्छी रकम कमा सकते हैं।

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पूर्वी ने इटावा शहर से लगभग 8 किलोमीटर दूर फूफई ग्राम में हाइड्रोपोनिक खेती (Hydroponic Farming) करने की शुरुआत की। इन्होंने ऑटोमेटिक फार्म बैंक टू रूट्स तैयार किया। पूर्वी कहती हैं कि हमें सामान्य खेती करने में पानी की आवश्यकता बहुत होती है। परंतु इस हाइड्रोपोनिक तकनीक को अपना कर खेती करने में सामान्य खेती की अपेक्षा इसमें 10% पानी की आवश्यकता पड़ती है। और खास बात यह है कि इस हाइड्रोपोनिक तरीके से खेती करने में मिट्टी की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इस तकनीक में फसलों को सूर्य का प्रकाश मिलते रहना अत्यंत आवश्यक है। और अगर जहां सूर्य का प्रकाश नहीं मिलता है। वहां पर प्रकाश की व्यवस्था की जाती है।

पूर्वी इस हाइड्रोपोनिक तरीकों से ब्रोकली, ओक लेट्यूस, बेल पेपर, पाक चाय, चैरीटोमेटो और बेसिल की खेती कर रही हैं। इन सारी सब्जियों की सबसे ज्यादा मांग बड़े-बड़े होटलों में होती है। इन सब्जियों को पर्यटक काफी पसंद करते हैं। आज हाइड्रोपोनिक खेती करके पूर्वी आज लाखों की कमाई कर रही हैं।

हाइड्रोपोनिक खेती से कमा रहीं लाखों रुपए

पूर्वी हाइड्रोपोनिक तरीके से खेती करने के लिए 5 हजार स्क्वायर फीट में पॉलीहाउस तैयार किए हैं। पॉलीहाउस को तैयार करने में पूर्वी को 25 लाख रुपए की लागत आई है। इन्होंने हाइड्रोपोनिक का सारा सेटअप बाहर से मंगवाई हैं। इस खेती में सिर्फ पानी नारियल का स्क्रेप बुरादा का प्रयोग होता है। इसमें NFT टेबल लगाया गया है जिसमें पानी का किलो होता है। इसके बाद पानी इसमें दोबारा से साइकिलिंग होती है। इस हाइड्रोपोनिक तरीके से जो सब्जी उपजाती है वह हमारे शरीर के इम्यूनिटी को मजबूत करता है।

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जनता कृषि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राजेश त्रिपाठी बताते हैं कि हाइड्रोपोनिक तरीकों से सब्जियां उगाई जाती है उन सब्जियों में काफी गुणवत्ता होती है। इसके साथ-साथ यह हमारे शरीर के लिए काफी लाभदायक है। वह बताती हैं कि पूर्वी को जनता कृषि महाविद्यालय से हाइड्रोपोनिक खेती करने के लिए समय-समय पर सहयोग दिया जाता है। उद्यान विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉ. ए.के. पांडे बताते हैं कि हाइड्रोपोनिक खेती सिर्फ और सिर्फ पानी पर निर्भर होती है। इस तरीके से खेती करने में मिट्टी का उपयोग बिल्कुल नहीं किया जाता। जिसकी वजह से इसमें कोई भी कीटनाशक पदार्थ का उपयोग नहीं किया जाता। हाइड्रोपोनिक खेती पूरे तरीके से ऑर्गेनिक और स्वस्थ होती है। इन पौधों में से जितने भी फल और सब्जी उपजते हैं वह हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होती है।

हाइड्रोपोनिक खेती

आहार विशेषज्ञ डॉक्टर अर्चना बताती हैं कि हाइड्रोपोनिक तरीकों से जो सब्जियां ऊगाई जाती है उसमें विटामिन और खनिज तत्व काफी परिपूर्ण मात्रा में होती है। इसे हम सलाद, जूस, बर्गर, सैंडविच जैसे खाने वाली चीज में कर सकते है। साथ-साथ इनके पौधे पूरी तरह से ऑर्गेनिक खोते हैं। इस हाइड्रोपोनिक सब्जियों का सेवन करने से हमें उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, ओबेसिटी जैसे रोगों के लिए काफी लाभदायक होता है। इन सब्जियों को ज्यादातर कॉन्टिनेंटल चाइनीस फास्ट फूड पिज्जा पास्ता होटल रेस्टोरेंट जैसे जगहों पर काफी मात्रा में किया जाता है।

बिना मिट्टी के जलवायु को नियंत्रित करके की जाने वाली खेती को हाइड्रोपोनिक खेती कहां जाता है। और यह खेती हमारे देश में काफी तेजी से किया जा रहा है। यहां के युवा लोग इस खेती को करने में काफी दिलचस्पी रखते हैं और वे इस हाइड्रोपोनिक खेती से अच्छे पैसे भी कमा रहे हैं।

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