Saturday, December 9, 2023

कभी फीस भरने के नहीं थे पैसे तो मां ने मजदूरी कर पढ़ाया, आज बेटा SDM बनकर कायम की सफलता

पूरी दुनिया में मां से बड़ा योद्धा कोई नहीं है। ये अपने बच्चे को हर स्थिति में अच्छी तरह समझती है और उसे काबिल बनाने के लिए पूरी जी जान लगा देती है। इस वाक्या का उदाहरण हैं राजस्थान (Rajasthan) की शांति देवी (Shanti Devi)। उन्होंने अपने बच्चे को पढ़ाने के लिए मजदूरी की खून पसीना बहाया और उसके उज्जवल भविष्य के लिए हर मुमकिन प्रयास किया। आज उनका बेटा आरएएस (RAS) ऑफिसर है। आज उनका सीना चौड़ा हो जाता है जब लोग उन्हें एसडीयम (SDM) की मां कहते हैं।

मां करती थी मजदूरी

शांति देवी राजस्थान से ताल्लुक रखती हैं और उनके 5 बच्चे हैं। उन्होंने अपने बच्चों को काबिल बनाने के लिए हर उस विषम परिस्थितियों का सामना डटकर किया जो बच्चों के भविष्य में रोड़ा बन कर खड़े हो रहे थे। आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उनके रास्ते में बहुत सी रुकावट आई परंतु उन्होंने हार नहीं माना, उन्होंने कभी खेतों में मजदूरी किया ताकि वह बच्चों को शिक्षित कर सके। उन्हें उम्मीद थी कि कि उनके बच्चे अपने नाम के साथ-साथ अपने मां के परिश्रम को समझेंगे और उनका नाम भी रोशन करेंगे। आज वही मां मजदूरी नहीं करती बल्कि बच्चों को देख कर सलाम ठोकती है।

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पालतू पशु भी बेच दी

जानकारी के अनुसार कभी-कभी ऐसा भी वक्त आता था कि वह बच्चों की फीस नहीं भर पाती थी क्योंकि उनके पास पैसे नहीं होते थे। ऐसे में उन्होंने यह तय किया कि वह अपने पालतू पशुओं को बेंचेंगी और फिर फीस भरेंगी। उन्होंने ऐसा किया भी ताकि उनके बच्चे की पढ़ाई में मुश्किल है ना आए।

बच्चों ने समझा तकलीफ, पाई सफलता

उनके बच्चों ने भी अपनी मां की तकलीफों को जाया नहीं जाने दिया। आज कोई नर्सिंग ऑफिसर है तो कोई बड़े-बड़े हॉस्पिटल में कार्यरत हैं। अगर हम उनके छोटे बेटे हुक्मीचंद की बात करें तो वह पढ़ने में काफी तेज थे। उन्होंने आठवीं से लेकर 12वीं कक्षा तक प्रथम स्थान प्राप्त किया। आज वह आरएएस (RAS) ऑफिसर है।

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हुक्मीचंद ने अपने इंटरमीडिएट की परीक्षा संपन्न करने के बाद बीटेक किया आगे वह प्रशासनिक सेवा की तैयारी में लगीं। उन्होंने जी तोड़ मेहनत किया और वर्ष 2018 में 18 वीं रैंक से प्रशासनिक सेवा में सफलता हासिल की। आज उनकी मां को लोग एसडीएम की मां कहते हैं जिससे वह काफी खुश होती है।