Wednesday, December 13, 2023

पिता ने थामी झाड़ू ताकि बेटा बन सके ऑफिसर, बेटे ने भारतीय सेना में अफसर बनकर किया पिता का सपना पूरा

बच्चों की सफलता देखकर माता-पिता खुद को सफल मानते हैं‌। बच्चों को सफलता के पग पर अग्रसर देखना हर एक माता पिता का सपना होता है। कुछ ऐसी ही अनुभूति उत्तरप्रदेश के एक सफ़ाई कर्मचारी को भी हुई है। यह खुशी उनके बेटे ने भारतीय सेना में ऑफिसर बनकर दिया है।

पिता का सपना हुआ पूरा

उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) के सफाई कर्मचारी बिजेन्द्र कुमार (Bijendra Kumar) के 21 वर्षीय बेटे सुजीत कुमार (Sujit Kumar) ने भारतीय सेना में अधिकारी बनकर पिता का सर गर्व से उंचा कर दिया है। साथ ही चंदौली के बसिला गांव से ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाले पहले व्यक्ति भी बन गए हैं। सुजीत देहरादून के इंडियन मिलिट्री अकेडमी (IMA) से ग्रेजुएट हुए।

Son of sanitation worker from Uttar Pradesh becomes an Army Officer

लोगों की बातों को किया अनदेखा

सफाई कर्मचारी बिजेन्द्र कुमार (Bijendra Kumar) अपने बेटे की सफलता पर 10 वर्ष पहले का किस्सा याद करते हुए कहते हैं कि जब मैने गांव वालों के सामने कहा था, “मैंने झाडू उठाई है लेकिन मेरा बेटा बंदूक लेकर देश की सेवा करेगा’। इस बात पर सभी लोगों ने उनका मजाक बनाया था। कुछ लोगों ने यह भी कहा था, ‘इतना बड़ा मत सोचो’ लेकिन बिजेन्द्र कुमार ने किसी के भी बातों पर गौर न करके अपने बेटे को पढ़ने के लिए राजस्थान भेजा। उन्होंने अपने बेटे को ऑफिसर बनाने के लिए पूरी कोशिश की।

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कोरोना के वजह से समारोह में परिवार नहीं हुआ शामिल

सुजीत की दिली तमन्ना थी कि इस अवसर पर वे अपने माता-पिता के चहरे पर गर्व की छलक देख सकें लेकिन कोरोना सुरक्षा नियमों के कारण कैंडिडेट्स के परिवार को पासिंग आउट परेड समारोह में सम्मिलित होने की अनुमति नहीं थी। जिस वजह से सुजीत का परिवार इस समारोह में शामिल नहीं हो सका।

Son of sanitation worker from Uttar Pradesh becomes an Army Officer

गांव का नाम किया रोशन

सुजीत (Sujit) कहते हैं कि वह आर्मी में ऑर्डिनेंस कॉर्प्स जॉइन करेंगे। इस उपलब्धि को हासिल कर सुजीत यह उम्मीद करते हैं कि गांव और क्षेत्र के अन्य युवाओं को भी सेना में भर्ती होकर देश सेवा के प्रति जुनून बढ़ेगा। उनकी सफलता से गांव में खुशी का माहौल है।

पिता चाहते हैं अन्य बच्चे भी खुब पढ़ें

बिजेन्द्र अपने बड़े बेटे सुजीत की तरह ही अपने अन्य बच्चों को भी खुब पढ़ाना चाहते हैं। वे बताते हैं कि अपने बच्चों की शिक्षा के लिए वे वाराणसी में रहते हैं। उनकी पत्नी एक आशा कार्यकर्ता हैं और गांव में अकेली रहती हैं। बिजेन्द्र गांव आते-जाते रहते हैं। उनका कहना है कि बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए जितना हो सकेगा उतना करेंगे।

The Logically सुजीत को उनकी सफलता के लिए बहुत-बहुत बधाई देता है।