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अपने शौक को बना डाला कमाई का जरिया, बोनसाई प्लांट की शुरू की नर्सरी, वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने का है लक्ष्य

अक्सर लोग अपना करियर सेट करने में अपने शौक को कहीं पीछे छोड़ देते हैं क्योंकि उन्हें डर होता है कि शौक को रोजगार का जरिया बनाने पर कमाई हो पाएगी या नहीं, लेकिन कुछ लोग अपने शौक को हीं अपना रोजगार बना लेते है। उनमें से एक है विकास उज्जवल (Vikas Ujjwal), जिन्होंने अपने बचपन के शौक को हीं अपनी कमाई का जरिया बना लिया। – Vikas Ujjwal is making his hobby in his job and growing a bonsai plant.

यूट्यूब की मदद से घर पर लगाए पौधे

उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के रहने वाले विकास को बचपन से हीं पेड़-पौधों का बहुत शौक था। यूट्यूब पर वीडियो देखकर उन्हें यह आईडिया आया कि वह अपने शौक को अपना रोजगार बना सकते हैं। विकास यूट्यूब की मदद से घर पर हीं पौधा लगाना शुरू किए। आज विकास के पास अलग-अलग तरह के चार हजार से ज्यादा पौधे हैं, जिसमें 100 से ज्यादा तो बोनसाई हैं जिससे हर महीने उन्हें 30-40 हजार की कमाई होती है।

Vikas made source of income to his hobby

बचपन से था पेड़-पौधों का बहुत शौक

विकास बताते हैं कि वह अपने बिजनेस की शुरूआत केवल 23 हजार रुपए से किए थे। उन्हें बचपन से हीं पेड़ पौधों का बहुत शौक था और इसी शौक को उन्होंने अपना बिजनेस बना लिया। उनके पास लगभग 100 से अधिक वैरायटी हैं, जिसमें ऐरिका पाम, साइकस, सेंसोविरिया, पोनीटेल पाम, पीस लिली, फोनिक्स पाम, बम्बू पाम, पेट्रा क्रोटॉन, गुडलक प्लांट, जैसे कई पौधे है।

बोनसाई के क्षेत्र में गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराने की चाहत

विकास को बोनसाई पौधा तैयार करने का बहुत शौक था और आज उनके पास 19 साल पुराना फाइकस पांडा का पेड़ और 10 साल पुराना जेड प्लांट का भी बोनसाई है। आज पूरे जिले में विकास अपने बोनसाई के लिए जाने जाते हैं। आपको बता दे कि विकास बोनसाई में अपना नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कराना चाहते हैं। वर्तमान में पुणे की प्राजक्ता काले का नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है। उनके पास करीब चार हजार बोनसाई हैं। – Vikas Ujjwal is making his hobby in his job and growing a bonsai plant.

पांच हजार से ज्यादा पेड़ तैयार करने का है लक्ष्य

अब विकास का लक्ष्य आने वाले कुछ साल में पांच हजार से ज्यादा पेड़ तैयार कर गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कर बागपत जिले का नाम रोशन करने का है। विकास उज्ज्वल बताते हैं कि अगर आप अपने शौक को ही अपना बिजनेस बना लेंगे तो आपको सफलता जरूर मिलेगी और यह विकास का शौक ही तो था, जिसमें उन्होंने बोनसाई के पौधे लगाने का बिजनेस शुरू किया।

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बोनसाई की शुरुआत जापान से शुरू हुए थी

विकास की नर्सरी से पौधे खरीदने के लिए बागपत के अलावा मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली, बिजनौर, बुलंदशहर से भी लोग आ रहे हैं। आपको बता दें कि बोनसाई की शुरुआत जापान से शुरू हुए थी। जापानी भाषा में बोनसाई का मतलब है “बौने पौधे” यह काष्ठीय पौधों को छोटे, आकर्षक रूप प्रदान करने की एक जापानी कला है। इन लघुकृत पौधों को गमलों में उगाया जाता है।

बोनसाई पौधे घर को देते हैं नया लूक

बोनसाई पौधों के समूह को घर में रख कर घर को एक हरी-भरी बगिया बनाया जा सकता है। बोनसाई पौधों को गमले में इस प्रकार उगाया जाता है कि उनका प्राकृतिक रूप तो बना रहे, लेकिन वह आकार में बौने रह जाए। विकास बताते हैं कि बोनसाई पौधों को ज्यादातर घर या दफ्तरों में ही सजावट के लिए रखा जाता है। यह आकर्षण का केंद्र होते हैं क्योंकि यह देखने में बिल्कुल ऑर्टिफिशियल पौधे जैसा लगता है।

8-10 हजार रूपए होती है कीमत

विकास के अनुसार बोनसाई साइज के पेड़ बनाने में अलग मेटेरियल लगता है, जिसमें बहुत सी चीजें मिक्स की जाती है। यह कोकोपिट, वर्मी कंपोस्ट, पेरालाइट, 3 एमएम की बजरी, मिट्टी, बालू रेत से तैयार होता है। उसके बाद इन पौधों का अच्छे से ध्यान रखना पड़ता है, जैसे समय पर खाद डालना, पानी बदलना पड़ता हैं आदि। बोनसाई पौधे को तैयार होने में लंबा समय लगता है, परंतु जब यह पौधा पूरी तरह तैयार हो जाता है तो इसकी किमत 8-10 हजार होती है। – Vikas Ujjwal is making his hobby in his job and growing a bonsai plant.

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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