भारत-पाकिस्तान के बीच वर्ष 1999 में काश्मीर के कारगिल जिले में हुए युद्ध को कारगिल युद्ध (Kargil War) या ऑपरेशन विजय (Operation Vijay) भी कहा जाता है। यह युद्ध काफी अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र में हुआ था जिससे दोनों देशों की सेनाओं को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन परिणाम भारत के पक्ष में हुआ और हमारे देश को इस युद्ध में विजय प्राप्त हुई।
कारगिल युद्ध से जुड़े अनेकों कीर्तिमान है, जिनमें से एक शौर्य गाथा है कारगिल गर्ल्स की, जिन्होंने युद्ध में लड़ रहे सैनिकों की काफी सहायता की और वॉर जोन में प्रवेश करके एयरफोर्स के रेस्क्यू मिशन का हिस्सा बनी। इसी कड़ी में चलिए जानते हैं अदम्य साहस का परिचय देने वाली भारत की इन बेटियों के बारे में।
कौन है वह साहसी बेटी?
दरअसल, हम बात कर रहे हैं भारत की बेटी पायलट गुंजन सक्सेना (Pilot Gunjan Saxena) और श्रीविद्या राजन (Pilot Shreevidya Rajan) की। ये दोनों ऐसी पहली महिला पायलट्स हैं जिन्हें वॉरजोन में भेजा गया था। परिवार का देश के प्रति अपार प्रेम देखकर गुंजन को भी बचपन से ही देश सेवा का जुनून था। वहीं उनके भाई और पिता ने भी भारतीय सेना में शामिल होकर देश की सेवा कर चुके हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज से शिक्षा पूरी करने के बाद गुंजन ने फ्लाइंग क्लब में भाग लिया।
अपने भाई और पिता को सेना में देखकर गुंजन भी सेना में शामिल होने और पायलट बनने की चाहत रखती थीं। हालांकि, उनके पिता ने कभी भी अपने बेटे और बेटी में फर्क नहीं किया। जैसा कि आप जानते हैं किसी भी सपने को पूरा करने के रास्ते में अनेकों प्रकार की चुनौतियां सामने आती है जिसका सामना करते हुए हमें अपने सपने को पूरा करना होता है। गुंजन के पायलट बनने के सपने को भी लोगों ने कई बार पीछे धकेलने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और लोगों की बातों से ध्यान हटाकर अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहीं।
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पूरे देश के लिए पेश की मिसाल
बता दें, पहले वायुसेना में महिलाओं की भर्ती नहीं होती थी, जिसके कारण शुरु में ये सिर्फ वोकेशनल कोर्स था। लेकिन उस दौरान ऐसा पहली बार हुआ कि वायुसेना में महिलाओं की भर्ती का आदेश मिला। इस मौके का फायदा उठाकर SSB में सफलता हासिल करके गुंजन इंडियन एयरफोर्स का हिस्सा बन गई। श्रीविद्या और गुंजन साल 1994 में पहली महिला पायलट ट्रेनी बैच का हिस्सा थीं। इन बेटियों द्वारा यहां तक पहुँचना सिर्फ अपने आप के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल थी, क्योंकि यह वैसा दौर था जब महिलाओं को युद्ध में नहीं भेजा जाता था। (Real Story of Kargil Girl’s Pilot Gunjan Saxena and Shreevidya Rajan.)
वर्ष 1999 में कारगिल वॉर के दौरान कुछ भारतीय जवान द्रास घाटियों में फंसे हुए थे और उस दौरान उनतक सहायता पहुंचाना बेहद आवश्यक था। चूँकि, सभी पुरूष सैनिक युद्ध में व्यस्त थे ऐसे में उस समय सभी के सामने परेशानी यह थी कि वीर सैनिकों को मदद कैसे पहुंचाया जाएं। उसी समय यह फैसला किया गया कि इस काम को महिलाओं को दिया जाएं और उन्हें वॉर जोन में जवानों की मदद के लिए भेजा जाएं।
इस फैसले के बाद जब गुंजन और श्रीविद्या से पूछा गया तो तो दोनों में बिना सोचे और डरे बड़े ही निडरता और अदम्य साहस का परिचय देते हुए हामी भर दी। बता दें कि उस समय गुंजन की उम्र महज 25 वर्ष थी। पाकिस्तान और भारत के बीच हो रहे अंधाधुंध फायरिंग के बीच सैनिकों तक सहायता पहुंचाना सरल नहीं था, लेकिन देश की इन दोनों बेटियों के इरादे चट्टान जैसे मजबूत थे।
दिया अदम्य साहस का परिचय
श्रीविद्या और गुंजन ने देश के वीर सैनिकों की मदद करने के लिए चीता हेलीकॉप्टर से उड़ान भड़ी और युद्ध में चल रहे गोलाबारी से अपने आप को सुरक्षित रखते हुए आखिरकार जवानों तक पहुंच गई। वहाँ उन्होंने उनके लिए भोजन और दवाइयां पहुंचाई और साथ ही घायल हो चुके कुछ जवानों को अपने साथ वापस भी लेकर आई। इसके अलावा पाकिस्तानी आर्मी का जायजा लेने के लिए उन्होंने कई बार LOC के करीब से उड़ान भी भरी थीं। यह एक ऐसा समय था जब गुंजन और श्रीविद्या ने खुद को साबित करने के साथ-साथ लोगों को भी यह दिखा दिया कि महिलाएं भी अपने देश के लिए लड़ सकती हैं और उसकी रक्षा भी कर सकती हैं। वास्तव में ये पल बेहद गौरवान्वित करने वाला था। (Real Story of Kargil Girl’s Pilot Gunjan Saxena and Shreevidya Rajan.)
किसी भी नए पायलट के लिए 13 हजार फीट की उंचाई से हेलिकॉप्टर को हेलीपैड पर उतारना बेहद मुश्किल होता है, लेकिन देश की दोनों बेटियों ने इस काम को कई बार अंजाम दिया था। वहीं एक समय ऐसा आया था जब पाकिस्तानी आर्मी ने उनके हेलिकॉप्टर को अपने मिसाइल का निशाना बना लिया लेकिन श्रीविद्या और गुंजन ने अपने आप को बचा लिया और अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए पुन: उड़ान भड़ी। बता दें कि, मुश्किल घड़ी में काम आ सके इसके लिए उस समय गुंजन अपने पास राइफल और बंदूक भी रखती थी।
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गुंजन को अपने साहस और देश सेवा के प्रति प्रेम के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। गुंजन ऐसी पहली महिला ऑफिसर हैं जिन्हें इस सम्मान से सम्मानित किया गया है। (Gunjan Saxena, the first Indian woman to be awarded the Shaurya Chakra) हालांकि, उस समय महिलाओं को अधिक अवसर प्रदान नहीं किए जाते थे इसलिए महज 7 वर्ष बाद ही गुन्जन का करियर खत्म हो गया। उनके कारनामे को देखते हुए ही उन्हें कारगिल गर्ल्स के नाम से जाना जाता है।
गुंजन के जीवन पर बन चुकी है फिल्म
बता दें कि, कारगिल गर्ल गुंजन सक्सेना (Kargil Girl Gunjan Saxena) पर एक फिल्म भी बन चुकी है, जिसमे जान्ह्वी कपूर ने गुंजन का किरदार निभाया है। इस फिल्म का नाम “गुंजन सक्सेना- द कारगिल गर्ल” है और इसमें गुंजन की जिंदगी के बारे में दिखाया गया है।
उस समय कारगिल गर्ल्स ने भले ही फाइटर प्लेन नहीं उड़ाया, लेकिन अपने कार्य से ऐसी मिसाल पेश की, कि उनसे अनेकों महिलाओं को प्रेरणा मिलती है। वर्तमान में महिलाएं फाइटर प्लेन उड़ाने और युद्ध में हिस्सा लेकर यह साबित कर रही हैं कि औरतें चाहें तो सबकुछ कर सकती हैं।