नई तकनीकों का उपयोग कर आज किसान खेती, पशुपालन तथा मत्स्य पालन में बड़ी सफलता हासिल कर रहे हैं। अगर हम मत्स्य पालन के विषय में बात करें तो आज यह ग्रामीण क्षेत्रों में काफी तेजी से चांद नजर आ रहा है। किसान बायोफ्लॉक तकनीक की मदद से मत्स्य पालन कर अधिक लाभ अर्जित कर रहे हैं। इस तकनीक की मदद से कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा रहा है।
क्या है बायोफ्लॉक तकनीक
जानकारी के मुताबिक इस तकनीक द्वारा बायोफ्लॉक नाम की जीवाणु को मछलियों के टैंक में डाल दिया जाता है और जब मछलियों को खाना दे दिया जाता है और ये मछलियां खाने लगती है वे जितनी अधिक मात्रा में भोजन करके मल करेंगी उतनी अधिक मात्रा में मल निकलेगा। यह बायोफ्लॉक बैक्टीरिया मछलियों के उसी मल को प्रोटीन में तब्दील कर देता है और जब यह मछलियां इस प्रोटीन का सेवन करती है तो वह बहुत तेजी से विकसित होती है। -Biofloc Technology
कम लागत अधिक मुनाफा
अगर हम नॉर्मल मत्स्य पालन शुरू करते हैं तो इससे पानी अधिक गंदा होता है परंतु अगर बायोफ्लॉक बैक्ट्रिया को डालकर मत्स्य पालन किया जाता है तो टैंक में जो पानी में रहता है वह कम गंदा होता है एवं साफसुथरा रहता है, जिस कारण मछलियों को रोग ग्रसित नहीं होना पड़ता। ऐसे मछलियां अधिक जीवित रहती हैं और उनकी मृत्यु की संभावना काफी हद तक कम रहता है। जो लोग बायोफ्लॉक तकनीक की मदद से मछली पालन करते हैं उन्हें अधिक खर्चे भी नहीं उठाने पड़ते। अन्य मत्स्य पालन की अपेक्षा बायोफ्लॉक मत्स्य पालन में मुनाफा बहुत अधिक है। -Biofloc Technology
वर्षिक टर्नओवर 8 लाख
नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड के मुताबिक अगर आप एक टैंक से मत्स्य पालन शुरू करते हैं तो इसमें लगभग 1 लाख की लागत आती है वहीं अगर आपने 7 टैंक में मत्स्य पालन किया है तो लाभ लागत 7 लाख रुपए आएगी। इस प्रकार अगर आप वर्ष में दो बार मत्स्य पालन करते हैं तो आपको लगभग 8 लाख रुपए का लाभ होगा। -Biofloc Technology
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