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कोरोना में गई नौकरी तो इस शख्स ने कबाड़ से बना डाला बोरवेल मशीन, आधे खर्च में कर देता है बोर

Chandan from Chhatisgarh made Borewell machine from scraps

कहते हैं…”मन के जीते जीत होती है और मन के हारे हार”! इसी प्रकार अगर इंसान कुछ करने से पहले यह तय कर ले कि उसे किसी भी कीमत पर सफल होना ही है तो उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। कुछ प्राप्त करने के लिए मन में ढूंढ विश्वास और उस कार्य को पूरा करने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। कुछ ऐसा ही किया है छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर के रहने वाले चंदन (chandan) ने। यह तो हम सब जानते हैं कि कोरोना काल में लाखों लोग बेरोजगार हो गए उनमें से एक चंदन भी थे। – Chandan from Chhattisgarh, made borewells from scrap after he lost his job during Corona.

नौकरी जाने के बाद भी हिम्मत नहीं हारे

हमारे आस-पास बहुत से ऐसे लोग हैं, जो एक बार नौकरी जाने के बाद हिम्मत हार जाते हैं और उन्हें लगता है कि अब जीवन में कुछ नहीं कर सकते हैं, परंतु चंदन ने ऐसा नहीं सोचा। नौकरी जाने के बावजूद भी वह हिम्मत रखे और सूझबूझ से काम लिए। नौकरी चले जाने पर सबसे बड़ी चिंता थी परिवार का पेट भरना। ऐसी परिस्थिति में चंदन कबाड़ से बोरवेल मशीन बनाए, जो अन्य बोरवेल मशीन से काफी अलग और अच्छा है।

35 से 40 हजार रूपए का आता है खर्च

चंदन द्वारा बनाया गया कबाड़ से यह बोरवेल मशीन 40 से 50 फीट तक आसानी से खुदाई करने में सक्षम है। जानकारों के अनुसार समान्य बोरवेल मशीन से खुदाई में 70 से 80 हजार रुपये का खर्च आता है, चंदन के इस मशीन में केवल 35 से 40 हजार रुपये ही लगता है और पानी भी पूरा आता है। चंदन बताते है कि जिस जगह पर पानी का लेवल ठीक है, वहां यह मशीन पूरी तरह से कारगर है। – Chandan from Chhattisgarh, made borewells from scrap after he lost his job during Corona.

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पिछले 30 साल से कुछ करने की थी रणनीति

चंदन बताते हैं कि उनको बोरवेल बनाने का आईडिया अचानक नहीं आया बल्कि वह इसके लिए पिछले 30 साल से काम कर रहे थे, परंतु नौकरी करने के साथ वह इस पर ज्यादा फोकस नहीं कर पा रहे थे। ऐसे में जब कोरोना के दौरान उनकी नौकरी चली गई तो उन्हें इसके लिए पूरा समय मिला और वह बोरिंग मशीन को लेकर कुछ इनोवेशन करने का फैसला किया। बस फिर क्या था शूरू हुई कबाड़ से बोरवेल मशीन बनाने की तैयारी।

पिछले 1 साल में कर चुके हैं 20 बोर

चंदन अपने बोरवेल के जरिए आसानी से गन्ने के खेत में 4 से 5 घंटे पानी डाल लेते हैं। अपने खेतों में इस्तेमाल करने के अलावा चंदन गांव के अन्य लोगों के खेतों में भी जाकर अपने मशीन का इस्तेमाल करते हैं। यह उनके कमाई का एक अच्छा जरिया भी बन चुका है। चंदन बताते हैं कि अब वह हर महीने अपने बोरवेल से 15000 रूपए तक कमा लेते हैं। इस मशीन को कहीं ले जाना बहुत आसान है क्योंकि वह समान्य मशीन से छोटा है। चंदन पीछले एक साल में 20 बोर कर चुके हैं। लोगों के लिए भी चंदन के बोरवेल से बोर करवाना आसान है क्योंकि यह अन्य मशीनों से सस्ता है। – Chandan from Chhattisgarh, made borewells from scrap after he lost his job during Corona.

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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