पुरुष प्रधान देश होने के बावजूद भी हमारे देश की महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी सफलता का ध्वज लहराने में कामयाब हो रही हैं। महिलाएं अब खेती में भी काफी उत्सुकता के साथ हिस्सा ले रही हैं और इसमें भी सफलता हासिल कर अन्य महिलाओं को जागरूक कर रही हैं।
इसी कड़ी में आज हम आपको छत्तीसगढ़ की दो बेटियों के बारे में बताएंगे जिन्होंने खेती कर अन्य लोगों के लिए उदाहरण कायम किया है। उन्होंने अपनी नौकरी को छोड़ कर खेती को चुना है और इससे अच्छा पैसा कमा रही हैं।
स्मरिका की कहानी
छतीसगढ़ (Chhattisgarah) के चरमुड़िया ग्राम से ताल्लुक रखने वाली स्मरिका (Samarika) ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सम्पन्न करने के बाद कम्प्यूटर साइंस से बीए (B.A) की डिग्री हासिल की और MBA किया। अच्छी खासी पढ़ाई करने के बाद उनकी नौकरी एक मल्टीनेशनल कंपनी में लग गई जहां उनकी सैलेरी 10 लाख पैकेज की थी।
छोड़ी नौकरी
उनके पिता एक कृषक थे और आजीविका के लिए खेती किया करते थे। लेकिन जब उनके पिता की तबीयत खराब हो गई तब स्मारिका ने सोचा कि वह नौकरी छोड़ दें ताकि पिता की देखभाल कर सकें। अब वह गांव आ गईं और यहां 23 एकड़ भूमि में खेती का श्रीगणेश किया। उन्होंने यहां मेहनत की और खेती में सफलता के ध्वज लहराने में कामयाब रहीं।
विदेशों में सब्जी निर्यात करने का है प्लान
उनके खेतों में आपको विभिन्न प्रकार की सब्जियां मिलेंगी जिनका निर्यात ओडिशा, यूपी, दिल्ली, बिहार, आंध्र प्रदेश, आदि शहरों में होता है। आगे वह चाहती हैं कि उनकी सब्जियां विदेश भी जाएं ताकि वह इससे अलग लाभ कमा सकें। हालांकि इसके लिए वह तैयारी में लगी हुई हैं और उम्मीद है कि वह अपने इस कार्य में भी सफलता हासिल कर लेंगी।
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वल्लरी की कहानी
वही छतीसगढ़ (Chhattisgarah) के कमरौद ग्राम से ताल्लुक रखने वाली वल्लरी (Vallari) ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सम्पन्न करने के बाद एमटेक किया। परन्तु उन्होंने किसी जॉब के चक्कर मे वक़्त जाया ना करते हुए खेती को ही अपना लक्ष्य बनाया। आज वह 24 एकड़ में खेती करती हैं जहां अमरूद, नारियल, स्ट्रॉबेरी, बांस, मिर्च तथा पपीता आदि लगे हैं। वह IGKV की सदस्य भी हैं।