मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में रहकर मनुष्य हमेशा अपने पथ पर अग्रसर रहता है। मनुष्य का जानवरों से भी प्रेम पुराने समय से देखा गया है। कुछ लोगों को तो जानवरों से इतना प्यार होता है कि वह अपने पूरे जीवन को पशुपालन में ही लगा देते हैं। जानवरों के प्रति इतना लगाव ही मनुष्य को श्रेष्ठ बनाता है।
आज हम आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बताएंगे जो पिछले 40 वर्षों से लगातार गायों की सेवा कर रही हैं। फ्रेडरिक इरिना (Friederike Irina Bruning) जर्मनी (Germany) से भारत आई यहां की संस्कृति और सभ्यता को देख वो इतनी मोहित हो गई कि उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन गायों की देखभाल और सेवा करने के लिए समर्पित कर दिया। आइये जानते हैं इनके बारे में।
गाय से अत्यधिक लगाव
जर्मनी (Germany) के बर्लिन शहर की रहने वाली फ्रेडरिक इरिना ब्रूइनिंग उर्फ सुदेवी दासी जी 40 साल पहले भारत में पर्यटक के तौर पर घूमने आईं थी। लेकिन फ्रेडरिक ब्रुइनिंग को मथुरा शहर इतना पंसद आया कि उन्होंने यहां के एक आश्रम से दीक्षा ली। जिसके बाद वो पूजा-पाठ में लीन रहती थी।
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गौसेवा के भावना जागृत
एक दिन फ्रेडरिक इरिना ब्रूइनिंग (Friederike Irina Bruning) ने देखा कि गाय का एक बछड़ा कराह रहा है। उसका एक पैर टूटा हुआ था। सभी लोग उसे देखकर निकल रहे थे। उन्हें उस बछड़े को देख वेदना जागी और उसे वो अपने आश्र्म ले आईं। जिसके बाद उन्होंने उसकी देखभाल की। बछड़े की देखभाल करते हुए उनके अंदर गौसेवा करने की भावना जागृत हो गई।
भारत आया मन को पसंद
गायों की सेवा (cow service) करते हुए ब्रुइनिंग (Friederike Irina Bruning) ने भारत में ही रहने का फैसला कर लिया। पहले तो उनके पास केवल 10 गायें थीं लेकिन धीरे-धीरे गायों की संख्या बढ़ती गई। आज उनके पास 100 से अधिक गायें हैं। ये गायें दूध नहीं देती हैं बल्कि इनमें से ज़्यादातर वो हैं जो या तो बीमार होती हैं या फिर दूध न देने के कारण लोग उन्हें लावारिस छोड़ देते हैं। फ्रेडरिक इरिना ब्रूइनिंग उर्फ सुदेवी दासी के पिता ने उन्हें कई बार अपने देश चलने को कहा लेकिन गौसेवा में लीन ब्रुनिंग ने वापस जाने से मना कर दिया।
आश्रम का निर्माण किया
गायों की सेवा करने के लिए ब्रुइनिंग (Friederike Irina Bruning) ने अपने पिता से मदद ली। उनके पिता प्रतिवर्ष गायों की देखभाल के लिए पैसे भेजते हैं। क़रीब साढ़े तीन हज़ार वर्ग गज में फैली ब्रुइनिंग की इस गौशाला में लगभग 1200 गायें रहती हैं। इनमें से कई गायें बीमार हैं या फिर अपाहिज। कुछ गायें अंधी भी हैं। इन गायों की सेवा में सहायता के लिए आस-पास के क़रीब 70 लोग ब्रुइनिंग के साथ रहते हैं।
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इलाज की भी व्यवस्था
गाय के लिए यहां विशेष सुविधाऐं प्रदान की गई हैं। यहां गौ के इलाज के लिए तमाम दवाइयां उनके घर पर ही रखी रहती हैं और ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टर भी आकर गायों का इलाज करते हैं। गौशाला के रख-रखाव और गायों के इलाज पर सालाना उनका बीस लाख रुपये से ज़्यादा का ख़र्च आता है। किसी भी गाय की तबियत खराब होती है तो उसका उचित इलाज यहाँ संभव हो जाता है।
सरकार ने किया सम्मानित
फ्रेडरिक इरीना ब्रूनिंग (Friederike Irina Bruning) के उच्च कार्यों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान में से एक पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया है।आज फ्रेडरिक इरिना ब्रूइनिंग (Friederike Irina Bruning) की जितनी भी तारीफ की जाए कम है। लोगों को आज फ्रेडरिक इरीना ब्रूनिंग से प्रेरणा लेने की जरूरत है।
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