अभी तक आपने कई IAS, IPS की कहानियां पढ़ी और सुनी है। आपने ध्यान देने पर पाया होगा कि सिविल सर्वेंट की कहानियों में एक बात की समानता थी और वह मेहनत थी। आज की हमारी यह कहानी भी एक ऐसे ही IPS ऑफिसर की है जिसने शिक्षा के अभाव वाले क्षेत्र से निकलकर पहले रेलवे में गैंगमैन की नौकरी और फिर अपनी मेहनत से ओड़िशा में IPS अधिकारी बनकर मिसाल पेश कर दी। चलिए जानते हैं उस IPS अधिकारी के बारें में-
कौन हैं वह IPS आधिकारी?
हम बात कर रहे हैं राजस्थान (Rajasthan) के दौसा जिले (Dausa District) के अभानेरी गांव (रामगढ़ पचवारा) में जन्में प्रह्लाद मीणा (Prahlad Meena) की, जो एक गरीब किसान परिवार से सम्बंध रखते हैं। चूंकि, खेती-बाड़ी आजीविका का साधन था और महज 2 बीघा जमीन थी। ऐसे में पूरे परिवार का भरण-पोशन करना काफी चुनौतीभरा था लेकिन परिवार का पेट भरना भी तो जरुरी था। इसी सोच के साथ उनके माता-पिता दूसरों के खेतों में काम करते थे ताकि परिवार का जीवनयापन हो सके।
सरकारी स्कूल से की 12 वीं की पढ़ाई पूरी
प्रह्लाद मीणा (Prahlad Meena) पढ़ने में काफी होशियार थे और 10 वीं की परीक्षा में वे अपने स्कूल में प्रथम स्थान पर आए थे। उनकी पढ़ाई देखकर कई लोगों ने उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए साइन्स विषय लेने का सुझाद दिया। उन्हें भी इन्जीनियर बनने का सपना था इसलिए वे भी साइंस विषय से ही इंटर करना चाहते थे। लेकिन उनकी आर्थित स्थिति बहुत खराब थी जिस वजह से वे बहार जाकर पढ़ाई नहीं कर सकते थे। वहीं इलाके में लोगों में शिक्षा के प्रति जागरुकता की बहुत कमी थी जिस वजह से वहां आसपास विज्ञान का कोई स्कूल-कॉलेज नहीं था। ऐसे में सरकारी स्कूल से ही उन्होंने मानविकी विषय से इंटरमीडिएट की शिक्षा हासिल की।
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रेलवे ग्रुप डी में हुआ चयन
12वीं की पढ़ाई करने के दौरान ही उनके गांव के एक लड़के का चयन रेलवे के ग्रुप डी में हो गया। उस लड़के की सफलता देखकर और अपनी आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए उन्होंने भी गैंगमैन बनने का फैसला किया और इसकी तैयारी में जुट गए। उसके बाद साल 2008 में जब वे स्नातक के दूसरे वर्ष की शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तो उनका चयन भुवनेश्वर बोर्ड से रेलवे ग्रुप डी में हो गया। वे इससे संतुष्ट नहीं हुए और आगे अपनी पढ़ाई जारी रखी। उसी साल उनका चयन स्टेट बैंक में सहायक के पद पर हो गया।
नौकरी के साथ पढ़ाई करते हुए SSC CGL में मिली सफलता
प्रह्लाद मीणा (IPS Prahlad Meena) ने नौकरी के साथ पहले स्नातक की और आगे की पढ़ाई भी चालू रखी। दो साल के बाद ही साल 2010 में भारतीय स्टेट बैंक में परिवीक्षाधीन के पद के लिए उनका चुनाव किया गया। इतना ही नहीं उन्होंने SSC CGL की परीक्षा में सफलता हासिल की और इस बार वे रेलवे में सहायक अनुभाग अधिकारी के लिए चयनित हुए।
बनना चाहते थे अपने क्षेत्र के पहले सिविल सर्वेंट
इतनी सारी सफलता मिलने के बाद भी उनका सफर अभी भी नहीं रुका। वे नौकरी के साथ-साथ सिविल सर्विसेज (Civil Services) की परीक्षा की तैयारी भी करने लगे। वे सिविल सर्विसेज की परीक्षा में सफलता हासिल करके वे उन सभी ग्रामीण छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ाना चाहते थे, जिनमें प्रतिभा होते हुए भी आत्मविश्वास की कमी थी। हालांकि, UPSC में सफलता हासिल करने के पीछे की एक वजह यह भी थी कि वह अपने पचवारा क्षेत्र का पहला सिविल अधिकारी बनना चाहते थे।
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असफलताओं से नहीं मानी हार
प्रह्लाद मीणा (IPS Prahlad Meena) ने साल 2015 में UPSC की परीक्षा दी लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी। उसके बाद उन्होंने हार न मानते हुए हिन्दी ऑनर्स से MA की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया और इसके साथ ही नेट जेआरएफ (Net JRF) की तैयारी भी करने लगे। उसके बाद उन्होंने राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की गई लेक्चरर की परीक्षा दी लेकिन इसमें भी उन्हें असफलता ही हाथ लगी। लेकिन वे निराश नहीं हुए और फिर दोगुनी इच्छा-शक्ति और मेहनत से UPSC की तैयारी करने लगे।
साल 2016 में हासिल हुई UPSC में सफलता
उन्होंने साल 2016 में फिर से संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा दी और इस बार उनकी मेहनत रंग लाई। वे इस परीक्षा में सफल हुए और उनका चयन भारतीय पुलिस सेवा में ओड़िशा कैडर में हो गया। इस तरह से बिना हताश हुए लागातार मेहनत के फलस्वरुप ही उन्हें इतना भी मुकाम हासिल हुआ।
कैंडिडेट को देते हैं सुझाव
UPSC की तैयारी करनेवाले अधिकांश छात्र एक ही विषय के एक किताब को बार-बार पढ़ने के बजाय वे अलग-अलग किताबों को पढ़ना अधिक महत्वपूर्ण समझते हैं। इसे में UPSC की तैयारी कर रहे कैंडीडेट्स को प्रह्लाद मीणा (IPS Prahlad Meena) सलाह देते हैं कि, एक ही विषय के अलग-अलग किताब को एक बार पढ़ने से बेहतर है एक ही किताब की बार-बार पढ़ा जाएं। इससे चीजें समझ में भी आएंगी।