एक दौर था जब लोग ये कहा करते थे, “अगर किस्मत में होगा तो सफलता एक दिन जरूर मिलेगी।” लेकिन आज का दौर ऐसा है कि जब तक आप परिश्रम ना करेंगे तब तक सफलता आपके कदमों को नहीं चूमेगी।
आज की हमारी यह कहानी एक ऐसी महिला की है जिन्होंने अपने परिश्रम के बदौलत सफलता को अपने कदमों में झुकाया और आज लोगों को भी रोजगार दे रही हैं। एक दौर ऐसा था जब उनके पिता पान के ठेले से आजीविका चलाया करते थे और आज एक दौर ऐसा है कि उनकी बेटी कम्पनी में सीइओ (CEO) है।
हर पिता की चाहत ‘बच्चे हासिल करें सफलता’
महाराष्ट्र (Maharastra) के एक छोटे से शहर अकोला के रहने वाले एक ऐसे पिता जिनकी गरीबी ने कमर तोड़ रखी थी। वह अपने परिवार के आजीविका के लिए ठेला लगाकर पान बेचा करते थे। इसी से उनके परिवार का गुजारा चलाता था। ये पिता गरीब तो था लेकिन चाहता था कि उसके बच्चे शिक्षा हासिल कर कामयाबी की सीढ़ी चढ़ें जिससे उन्हें गरीबी का सामना ना करना पड़े और वो गरीबी को पछाड़ते हुए सफलता हासिल करे। -KITS ‘s (Kajal Innovation & technical solution) CEO Kajal Rajvaidya’s success story
काजल राजवैद्य (Kajal Rajvaidya)
उस पिता के सिर पर उसकी पत्नी और 3 बच्चों की जिम्मेदारी थी परन्तु काम मात्र पान बेंचना। अब उन्होंने अन्य नौकरी की तलाश की तब उन्हें एक बैंक में जॉब मिली जो रिकरिंग एजेंट का था। इस जॉब में उन्हें लोगों के यहां जाना था और उनसे पैसे लेकर बैंक में डिपोजिट करना था। अब आप ये सोंच रहे होंगे कि ऊपर पंक्तियों में एक महिला की सफलता का जिक्र किया गया है लेकिन यहां एक पिता के विषय में क्यों बताया जा रहा है??? इसका उत्तर ये है कि वे वही पिता है जिनकी छोटी बेटी काजल राजवैद्य (Kajal Rajvaidya) हैं। आज काजल किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं उन्हें आज हर एक शख्स जानता है क्यूंकि वो सफलता की उस ऊंचाई पर पंहुची हैं जहां जाना हर युवा की ख्वाहिश होती है। -KITS ‘s (Kajal Innovation & technical solution) CEO Kajal Rajvaidya’s success story
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काजल राजवैद्य (Kajal Rajvaidya) ने चौथी क्लास तक की शिक्षा नगर परिषद विद्यालय से हासिल की। परन्तु आगे व्यवस्था कुछ खास नहीं था जिससे वह आगे की शिक्षा हासिल करें। वह पढ़ने में तेज-तर्रार थी परन्तु वित्तिय स्थिति सही नहीं होने के कारण शिक्षा के रास्ते में गरीबी बाधा बन रही थी। ऐसे में उन्होंने आगे की शिक्षा “मनुताई कन्या शाला” (Manutai Kanya shala) से ग्रहण की। दरअसल ये वही स्कूल है जिसके लिए सन 1911 में मनुताई बापट (Manutai Bapat) नाम की महिला ने युद्ध किया था। ये युद्ध इसलिए था कि महिलाओं को शिक्षा ग्रहण करने का अवसर दिया जाए ताकि वह खुद के पैरों पर खड़ा हो सकें। -KITS ‘s (Kajal Innovation & technical solution) CEO Kajal Rajvaidya’s success story
स्कूल जाने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे जिस कारण वह 4 किलोमीटर की लंबी दूरी पैदल तय किया करती थीं। उन्होंने अपनी कठिनाइयों को रास्ता बनाया और आगे बढ़ते हुए सफलता की इबारत लिखने के लिए तैयार होती रहीं। ये बचपन की बात है जब वह टीबी पर रोबोट्स का प्रोग्राम देख रहीं थी उसी वक्त उन्होंने ये तय कर लिया था कि वह रोबोट्स से जुड़ी ही शिक्षा ग्रहण करेंगी। अब उन्होंने पॉलिटेक्निक में दाखिला लिया और इलेक्ट्रॉनिक सब्जेक्ट से पढ़ाई जारी की ताकि रोबॉट्स के सपने को पूरा कर सकें। -KITS ‘s (Kajal Innovation & technical solution) CEO Kajal Rajvaidya’s success story
लोन लेकर इंजीनियर की पढ़ाई पूरी की
जिंदगी का पहिया अच्छा खासा चल रहा था तब तक एक कठिनाई और सामने आ गई। उनके पिता का जॉब छूट गया क्योंकि बैंक में ताला लग गया। अब उन्होंने ये निश्चय की घर की आर्थिक स्थिति में मदद करने के लिए डिप्लोमा के बाद नौकरी करेंगी। परन्तु उनके पिता की चाहत बच्चों को सफलता की ऊंचाई पर पंहुचना था इसलिए उन्होंने हार नहीं मानी और 3 लाख रुपए की राशि लोन लेकर काजल की इंजीनियरिंग पूरी कराई। -KITS ‘s (Kajal Innovation & technical solution) CEO Kajal Rajvaidya’s success story
उनकी पढ़ाई सम्पन्न होने के बाद जब कैम्पस सिलेक्शन हुआ तो मात्र 5 हजार का जॉब ऑफर किया गया। उस दौरान उन्हें जोर का झटका लगा क्योंकि ये जॉब 12वीं के छात्रों को दिया जा रहा था। अब उन्होंने ये पश्न पूछा कि आखिर इंजीनियरिंग करने के बाद भी ये जॉब उन्हें क्यों मिला तो उत्तर मिला कि उनके पास सिर्फ डिग्री है प्रेक्टिकल नहीं। अब उन्होंने प्रेक्टिकल के क्षेत्र में ज्ञान बढ़ाने का निश्चय किया। क्योंकि 5 हजार के जॉब से वह अपने पढ़ाई में लिए गए लोन को कभी नहीं चुका पाती। -KITS ‘s (Kajal Innovation & technical solution) CEO Kajal Rajvaidya’s success story
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बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया
काजल के पास कोई तकनीकी चीजें नहीं थी जैसे मोबाइल या लैपटॉप जिससे वह जानकारी हासिल करें। अब उन्होंने खर्च के लिए बच्चों को पढ़ाना प्रारंभ किया और कैफे से रोबोटिक्स के विषय में जानकारी कलेक्ट करने लगीं। उन्होंने स्वयं एक सिलेबस तैयार किया और पुणे गईं और कॉलेज में जाकर बच्चों को प्रेक्टिकल के महत्व को समझाने लगीं। लेकिन यहां बच्चों को सिर्फ अंकों में रुचि थी डिग्री में नही। अब उन्होंने पांचवीं कक्षा के बच्चों को रोबोटिक्स के विषय में सिखाना प्रारम्भ किया। उन्होंने स्वयं रोबोटिक्स वर्कशॉप का निर्माण किया। -KITS ‘s (Kajal Innovation & technical solution) CEO Kajal Rajvaidya’s success story
अपनी कम्पनी का किया श्री गणेश
उन्होंने स्कूल का दौरा करना प्रारम्भ किया ताकि बच्चों को वर्कशॉप से रूबरू कराएं। लेकिन इस बीच समस्या ये आती की लोग उनसे कम्पनी के विजिटिंग कार्ड तथा नाम पूछते थे। अब उन्होंने वर्ष 2015 मे KITS (Kajal Innovation & technical solution) की नींव रखी। यहां विजय भटाड़ एवं अर्जुन देवराकर ने उनकी मदद की जिससे KITS (Kajal Innovation & technical solution) की कम्पनी सफलता की ऊंचाई पर पंहुची। आज उनके कम्पनी में अमेरिका के क्लाइंट भी मौजूद हैं। -KITS ‘s (Kajal Innovation & technical solution) CEO Kajal Rajvaidya’s success story
कम्पटीशन में मिली सफलता
इतना व्यस्त शेड्यूल होने के बावजूद भी वह अपने शुरुआती स्कूल जाया करती और लड़कियों को रोबोटिक्स के विषय में बताती। इसी दौरान उन्हें एक कम्पटीशन में मौका मिला ताकि बच्चों को रोबोटिक्स के लिए तैयार कर सकें। उन्होंने 2 टीमों को तैयार किया जिसमें उन्हें एक टीम से सफलता मिली और उनकी कम्पनी का डिमांड बढ़ गया और हजारों ऑफर सामने थे परन्तु उन्होंने अपने स्कूल की बच्चियों को तैयार करने का रास्ता चुना। -KITS ‘s (Kajal Innovation & technical solution) CEO Kajal Rajvaidya’s success story
अब काजल अपने निवास स्थान अकोला आईं और यहीं पर दफ्तर खोल दिया। वह मनुताई कन्या शाला जाती और बच्चियों को सिखाती। एक प्रतियोगिता के दौरान यहां की बच्चियों को जब एंट्री नहीं मिली तब उन्होंने ये निश्चय किया कि अब वह उन सबको अंतराष्ट्रीय लेवल के कम्पटीशन के लिए तैयार करेंगी। एक प्रतियोगिता जिसका नाम फर्स्ट लेगो लीग था उसके लिए तैयारी करना प्रारंभ किया। हालांकि इसके लिए समय बहुत कम था परन्तु उन्होंने हर नहीं मानी बच्चियों की सारी जिम्मेदारी उठाते हुए अपना कार्य जारी रखा। -KITS ‘s (Kajal Innovation & technical solution) CEO Kajal Rajvaidya’s success story
एक वक्त ऐसा आया जब उन्हें व्हील चेयर पर बैठना पड़ा क्योंकि उनके पैर में चोट लग गया था। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपना कार्य जारी रखा। अब वो दिन आ गया जब प्रतियोगिता हुई यहां जो बच्चे फर्स्ट रैंक पर आते वह अमेरिका जो सेकेंड रैंक पर आते वह जापान और तीसरे रैंक पर आते वह सिंगापुर जाने वाले थे। अब सबको रिजल्ट का इंतजार था। रिजल्ट ऐसा आया जिससे सब चौक गयें क्योंकि रिजल्ट में पहला स्थान मनुताई कन्याशाला की बच्चियां लाईं। -KITS ‘s (Kajal Innovation & technical solution) CEO Kajal Rajvaidya’s success story
हो चुकी हैं सम्मानित
काजल के क्लास के बच्चों को ऑटोमेशन बायोमेडिकल इंस्ट्रूमेंट तथा रोबोटिक्स के साथ सॉफ्टवेयर आधारित सर्विसेज का प्रशिक्षण दिया जाता है। आज उनकी कम्पनी में सिंगापुर तथा अमेरिका के क्लाइंट्स हैं। उन्होंने कई नेशनल तथा इंटरनेशनल अवार्ड जीता है। उन्हें आईटीई के बेस्ट एंटर प्रेन्योर तथा यूएसए के टाइम्स रिसर्च पुरस्कार तथा स्टार्टप इंडिया के एग्रीकल्चर इनोवेशन पुरस्कार अपने नाम किया है। KITS ‘s (Kajal Innovation & technical solution) CEO Kajal Rajvaidya’s success story