गौरैया एक ऐसी चिड़िया है, जो इंसान के घर आँगन में घोसला बनाकर उसके सबसे करीब रहती है। लेकिन शहरों के विस्तार और हमारी बदलती जीवन शैली से अब गौरैया विलुप्त होने के कगार पर हैं। इंसानों के बीच रहने वाली यह पक्षी बढ़ते शहरीकरण में खुद को ढाल नहीं पा रही है। आज हम आपको डॉक्टर रेणु देवी (Doctor Renu Devi) के बारे में बताएंगे जो गौरैया संरक्षण (Sparrow Protection) के लिए लोगों को जागरूक कर रही हैं।
डॉक्टर रेणु पेशे से एक शिक्षिका हैं उन्हें राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए भी चयनित किया जा चुका है। विद्यालय में पढ़ाने के साथ-साथ वह गौरैया की सुरक्षा और उनके संरक्षण के प्रति घूम-घूम कर लोगों को जागरूक कर रही हैं। (Sparrow Protection by Renu Devi) उनके इस मुहिम में उनके पति भी उनका साथ देते हैं। उन्होंने एक टीम का निर्माण किया है जो लोगों के बीच जाकर गौरैया के बारे में लोगों को बताते हैं। आइये जानते हैं डॉक्टर रेणु देवी जी के बारे में।
डॉक्टर रेणु देवी का परिचय (Who is Doctor Renu Devi)
डॉ. रेणु देवी प्राथमिक विद्यालय नवादा जनपद हापुड़, उत्तर प्रदेश में सहायक शिक्षिका हैं। स्कूल में पढ़ाने के बाद वह अपने पति दिनेश सिंह (Dinesh singh) और अपने पड़ोस के कुछ लोगों के साथ मिलकर लोगों को घरेलू चिड़िया गौरैया के संबंध में बताती हैं। उन्होंने गौरैया के लिए लकड़ी के कृत्रिम घोंसले (Sparrow’s Artificial Nest) भी बनवाये हैं। गौरैया संरक्षण के लिए वह 4 सालों से लगातार काम कर रही हैं।
बचपन से गौरैया के लिए प्रेम (Sparrow Love)
रेणु देवी का जन्म मोदीनगर (Modinagar) जिला गाजियाबाद में हुआ था। प्राथमिक शिक्षा भी उनकी वहीं से पूरी हुई। मोदीनगर से ही अपना स्नातकोत्तर पूरा करने के बाद उन्होंने संस्कृत से पीएचडी (PHD) की डिग्री प्राप्त की। बचपन से ही डॉ. रेणु के मन में समाज सेवा के लिए लगाव था। गौरैया की घटती संख्या को लेकर डॉ.रेणु हमेशा सोचती रहती थीं। इसी सोच के साथ उन्होंने अपने शादी के बाद गौरैया संरक्षण को लेकर अभियान की शुरुआत की।
पति का पूरा सहयोग
रेणु की शादी 2009 में दिनेश सिंह से हुई। उनकी 2 बेटियां भी हैं। दिनेश भी गौरैया संरक्षण अभियान में अपनी पत्नी का भरपूर साथ देते हैं। दोनों ने मिलकर साल 2017 में एक टीम बनाई है जिसका नाम उन्होंने “गौरैया की उड़ान” (Gaudaiya ki udaan) रखा है। इस टीम में डॉ. रेणु के पड़ोसी भी शामिल हैं। यह टीम घूम-घूम कर लोगों को जागरूक करती है। साथ ही साथ यह टीम गौरैया का संरक्षण भी करती है।
यह भी पढ़ें :- सरकारी नौकरी छोड़कर शुरू किया मवेशी पालन, आज डेयरी फार्म से आमदनी के साथ लोगों को दे रहे रोजगार
गौरैया के लिए कृत्रिम घर
The Logically से बात करते हुए डॉक्टर रेणु ने बताया कि फरवरी माह से गौरैया (Sparrow) अंडे देने शुरू कर देती हैं। ऐसे में वह अंडे देने के लिए सुरक्षित घर की तलाश करती है, जहां वह अपना घोसला बना सके ‘गौरैया की उड़ान’ (Gaudaiya ki udaan) टीम जो कि पिछले पांच वर्षों से लुप्त होती गौरैया को बचाने के लिए और उनकी संख्या को बढ़ाने में लगी हुई है। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए उनकी उड़ान टीम द्वारा जगह- जगह पर गौरैया के लिए कृत्रिम घर लगवाए गए हैं और लोगों को गौरैया को बचाने के लिए जागरूक भी किया जा रहा है।
पढ़ाने में भी अव्वल डॉ. रेणु
समाज सेवा के साथ-साथ डॉक्टर रेणु पढ़ाने में भी अव्वल हैं। प्राथमिक विद्यालय नवादा जनपद हापुड़ में सहायक शिक्षिका के रुप में कार्यरत डॉक्टर रेणु राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए भी चयनित हो चुकी हैं। शिक्षण क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है और रेणु को इसके लिए चुना गया था। विद्यालय में भी वह बच्चों को गौरैया संरक्षण के बारे में बताती हैं साथ ही साथ अन्य क्रियाकलापों के द्वारा बच्चों को समाज सेवा से जोड़ती हैं। बच्चे भी अपनी शिक्षिका के पढ़ाने के तरीका को खूब पसंद करते हैं।
बच्चों का अभियान से जोड़ा
डॉ.रेणु का कहना है कि बच्चे देश के भविष्य होते हैं। उन्हें बचपन से जिस तरह का पाठ पढ़ाया जाएगा वह आगे भी उसी तरह काम करेंगे इसलिए छोटे बच्चों को गौरैया (Sparrow) के बारे में बताना बहुत ही जरूरी है। गौरैया की घटती जनसंख्या मानव जीवन के लिए भी सही नही है। अगर छोटे बच्चों को इसके बारे में बताया जाए तो वह बड़े होकर गौरैया का बचाव कर सकते हैं जिससे गौरैया को बचाया जा सकता है। इसलिए लगातार छोटे बच्चों को वह अभियान से जोड़ रही हैं। पर्यावरण संरक्षण (Environment protection) के बारे में भी वह बच्चों को बताती हैं।
लकड़ी के घोसलें निशुल्क लगाए
डॉ रेणु ने लकड़ी के करीब 100-150 कृत्रिम घोंसले अपने पड़ोसियों के घरों के आंगन में निःशुल्क लगवाये हैं। उन्होंने अपने सगे संबंधियों के घर में भी यह कृत्रिम घोसलें लगवाए हैं स्कूल में भी शिक्षिका द्वारा गौरैया के लिए घोंसले लगाकर बच्चों को जागरूक किया गया है। अब इन कृत्रिम घोंसलों में गौरैया आनी शुरू भी हो गई हैं। जिन्हें घरों के लोग दाना पानी भी खिलाते हैं। यह इन घोसलों का पूरा ख्याल भी रखती हैं। साथ ही साथ गौरैया के खाने-पीने का भी अच्छा ख्याल रखा जाता है।
यह भी पढ़ें :- बांस से बने इस टिफिन बॉक्स को देखें, आकर्षक होने के साथ पर्यावरण के लिए है अनुकूल, लोगों में मची लेने की होड़
महिलाओं का मिल रहा सहयोग
The Logically से बात करते हुए डॉ रेणु देवी ने बताया कि टीम में उनके घर हापुड़ की महिलाएं भी हैं जो घरेलू चिड़िया गौरैया (Sparrow Protection) को बचाने के लिए उनका साथ देती हैं। वह भी गौरैया को बचाने के लिए लोगों को जागरूक कर रही हैं। रेणु के टीम में पति दिनेश सिंह, पड़ोसी प्रीति यादव, सीमा अरोड़ा, रूपांजल, चारू, तान्या आदि शामिल हैं। वह लोगों के बीच जाकर कृत्रिम घोंसले लगवाती हैं साथ ही साथ गौरैया के बारे में बताती भी हैं। टीम के सदस्यों के द्वारा छोटे बच्चों को अधिक जोड़ा जाता है।
विश्व गौरैया दिवस में विशेष
डॉक्टर रेणु और उनकी टीम के द्वारा विश्व गौरैया संरक्षण दिवस मनाया जाता है। जिसमें वह लोगों घरों में बैठकर बर्ड हाउस (Bird House) बनाती हैं। बर्ड हाउस बनाकर वह लोगों के बीच इसे बाटती भी हैं। साथ ही साथ इस बर्ड हाउस के जरिए यह संदेश देती हैं कि गौरैया के साथ-साथ चिड़िया पर्यावरण को बचाने के लिए कितना जरूरी है। उनके टीम के द्वारा अपने जिले के सरकारी भवनों में भी बर्ड हाउस लगाया जाता है। जिससे सरकारी भवनों में गौरैया अपने घर में आकर रह सके।
अभियान हो रहा सफल
रेणु कहती हैं कि पांच साल पहले हमलोगों ने जो सपना देखा था वह अब धीरे-धीरे सफल होता दिख रहा है। क्योंकि “गौरैया की उड़ान” अभियान आज सफल हो रहा है। उत्तरप्रदेश के हापुड़ जिले में अब गौरैया के महत्व को लोग समझने लगे हैं। “गौरैया की उड़ान” द्वारा लगवाए गए घोसलों में चिड़िया आ चुकी हैं और उन्होंने जो अंडे दिए थे उनसे बच्चे भी निकल रहे हैं। यह सब देखकर रेणु और उनकी टीम को बहुत अच्छा महसूस हो रहा है। जल्द ही भारत ले लोग इसके महत्व को समझने लगेंगे।
आगे भी चलती रहेगी मुहिम
डॉ.रेणु कहती हैं कि उनका यह मुहिम आगे भी और गति से चलता रहेगा। जब तक इस चिड़िया की जनसंख्या (Bird Population) नही बढ़ जाती यह रुकने वाली नही है। गौरैया के आशियाने से उन्हें सुकून मिलता है। पहले चरण में उनके द्वारा घोसलों का निर्माण किया गया,दूसरे चरण में इन घोसलों को अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों एवं अन्य लोगों को बाटा गया और तीसरे चरण में घर एवं सरकारी भवनों में इसे लगाया गया। साथ ही साथ बच्चों को भी इससे जोड़ा गया।
डॉक्टर रेणु का लोगों से आग्रह
The Logically के द्वारा डॉ.रेणु देवी लोगों से यह आग्रह करती हैं कि प्रतिवर्ष सभी विश्व गौरैया दिवस मनाएं जिससे गौरैया की चहचहाहट को वापस लाया जा सके। उन्होंने बताया कि इसके लिए लोगों को कृत्रिम घोंसलों एवं छत पर दाना-पानी रखकर गायब होती गौरैया चिड़िया को वापस लाने का प्रयास करना चाहिए।गौरैया पक्षी का संरक्षण करना और इन्हें लुप्त होने से बचाना जीवन का एक उद्देश्य होना चाहिए ताकि भविष्य में यह एक इतिहास का पक्षी बनकर ना रह जाए।
वीडियों देखें :-
The Logically डॉक्टर रेणु देवी के इस कार्य की सराहना करता है।
अगर आप भी डॉक्टर रेणु के इस मुहिम का हिस्सा बनना चाहते हैं तो आप डॉक्टर रेणु से उनके फ़ोन नंबर 8630945284 पर संपर्क कर सकते हैं। साथ ही साथ आप “गौरैया की उड़ान” के फेसबुक पेज पर भी उनसे जुड़ सकते हैं।
आपको अगर यह आर्टिकल अच्छा लगा हो, तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।