मवेशी पालन भारत में व्यवसाय के तौर पर बृहद तरीके से उभरकर सामने आ रहा है। एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें आपको लाभ छोड़कर हानि का सामना बहुत कम हीं करने को मिलता है।
आज हम आपके लिए मवेशीपालन से जुड़ी एक ऐसी कहानी लेकर आएं हैं जो काफी रोचक और आकर्षक है। इस लेख को पढ़ने और वीडियो को देखने के बाद आप ये सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि मैं भी मवेशीपालन ही क्यों ना अपना लूं??
वैसे तो पहले हमारे यहां लोगों का ये मानना था कि जो बकरी पालन या खेती करते हैं वह अनपढ़ होते हैं लेकिन आज वक्त कुछ और है। आज अधिकतर लोग उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी मवेशीपालन तथा खेती से अपनी एक अलग पहचान बना रहे हैं। उन्हीं लोगों में से एक हैं सरकारी स्कूल के एक ऐसे अध्यापक जिन्होंने 3 वर्षों से बकरीपालन कर लोगों के बीच स्वयं की एक अलग पहचान बनाई है। चलिए जानते हैं उनके विषय में विस्तार से और उनके फार्म से जुड़े वीडियो भी देखते हैं।
शिक्षक काशीराम यादव
काशीराम यादव (Kashiram Yadav) पेशे से एक सरकारी स्कूल के शिक्षक हैं लेकिन वह बकरीपालन के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं। उनका रेवाड़ी हरियाणा (Hariyan) में शेजल फार्म (Shejal farm) है जिसका संचालन वह लगभग 3 वर्षों से कर रहें हैं। वह सिर्फ बकरीपालन नहीं करते बल्कि वह मल्टीपल फार्मिंग के तहत बतख, मुर्गी आदि मवेशिपालन किया है। उन्होंने अपनी फार्मिंग 1 एकड़ में फैलाई हुई है। -Multiple farming by Kashiram Yadav from Hariyana
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इस नस्ल की बकरियां हैं मौजूद
शुरुआती दौर में उन्होंने मात्र 10 बकरी और 1 बकरे से इसकी शुरुआत की थी और आज उनके पास सैकड़ो मवेशियां हैं। उन्होंने अपने फार्म में बरबरी बकरी तथा अफ्रीकन बकरी रखी है जो काफी बेहतर होती है। ये बरबरी नस्ल की बकरियां चारा के तौर पर कोई भी चारा खा लेती हैं जिस कारण उनके चारे को लेकर कोई परेशानी नहीं होती। उनके पास जो बोर यानी अफ़्रीकन नस्ल की बकरियां हैं जो उन्होंने कर्नाटक से मात्र 2 जोड़ा ही मंगवाई थी। -Multiple farming by Kashiram Yadav from Hariyana
ये बोर नस्ल की बकरियों का वेट लगभग 1 क्विंटल तक हो जाता है जिस कारण इन्हें रखने में परेशानियां होती हैं। वहीं जो बरबरी नस्ल की बकरियां है उनके साथ ऐसी कोई समस्या नहीं होती। हालांकि उन्हें अपनी बकरियों को बेचने के लिए मार्केट का दौरा नहीं करना पड़ता क्योंकि अधिकतर कस्टमर यहीं से आकर बकरियों को खरीद ले जाते हैं। -Multiple farming by Kashiram Yadav from Hariyana
वीडियो यहाँ देखें:-👇👇
1 एकड़ में फैला है ये फार्म
उन्होंने बकरियों को रखने के लिए 20×80 का शेड तैयार किया है जिसमें लगभग 3 लाख रुपए की लागत आई। उन्होंने शेड के नीचे लकड़ियों का इस्तेमाल किया है और इसमें होल भी बनाए हुए हैं ताकि इनके अपशिष्ट नीचे गिर जाए और उसे निकालकर उर्वरक के तौर पर उपयोग किया जा सके। यह बकरियां गर्मियों और सर्दियों दोनों मौसम के अनुकूल होती है। वुडन फ्लोरिंग का एक और फायदा है कि इसे बकरियों को कोई बीमारी नहीं होती क्योंकि यह जल्दी सूख जाता है। अत्यधिक गीलापन होने के कारण ही कहीं फार्मिंग में बकरियों को बीमारी होती है इसीलिए उन्होंने फ्लोरिंग के लिए लकड़ी का उपयोग किया है ताकि इसकी उनको लाभ हो सके। -Multiple farming by Kashiram Yadav from Hariyana
अपने फॉर्म में उन्होंने मुर्गियां भी रखी है जिसमें कड़कनाथ और देसी नस्ल की मुर्गी है। वह उनके खाने के लिए वह जैविक उत्पाद का ही उपयोग करते हैं। मुर्गियों की बिक्री की बात हो, अंडे की सेलिंग हो या फिर इसके द्वारा निर्मित कोई अन्य उत्पाद की तो सभी चीजों की बिक्री बेहतर हो जाती है। उन्हें फार्म से किसी भी प्रोडक्ट की बिक्री के लिए बाजारों का दौरा नही करना पड़ता। -Multiple farming by Kashiram Yadav from Hariyana
फॉम में हैं गाय, मुर्गी, खरगोश तथा मछलियां भी
इसके अतिरिक्त उनके फॉर्म में खरगोश, गाय और मछलियां भी है हालांकि कुछ प्रॉब्लम के कारण उन्हें मछलियों के टैंक को कम करना पड़ा और आज उनके पास मात्र मछलियों का एक टैंक है। हालांकि वह मछलियों की संख्या को बढ़ाना चाहते हैं परंतु इसके लिए वह प्लास्टिक नहीं बल्कि सीमेंट के टैंक का उपयोग करेंगे। वह कहते हैं कि मछलियों के एक टौंक से लगभग 1 लाख रुपए का लाभ प्राप्त हो जाता है। यहां उन्होंने विलुप्त हुए पेड़ भी लगाई है ताकि कोई अगर यहां आए तो वह इस पेड़ के विषय में अच्छी तरह जान सके। -Multiple farming by Kashiram Yadav from Hariyana
दूसरों के लिए सलाह
उनके फार्म में आपको मशरूम का एसी फार्म भी तैयार किया हुआ देखने को मिलेगा। हालांकि यह अभी स्टार्ट नहीं हुआ है परंतु बहुत ही जल्द इसका शुभारंभ होने वाला है। वह कहते हैं कि अगर कोई शख्स यह व्यवसाय प्रारंभ करना चाहता है तो छोटे स्केल पर करें ताकि अच्छी तरह इसके विषय में जान सके। हालांकि इसका अधिक फायदा किसानों को मिलेगा क्योंकि वह अपनी खेती के साइड में इसकी शुरुआत कर अनेकों लाभ उठा सकते हैं। अगर आप भी चाहें तो उनके फार्म जाकर उनसे जानकारी ले सकते हैं वह बताते हैं कि मैं रविवार के दिन फ्री रहता हूं क्योंकि बाकी दिनों में मैं अपने बच्चों को शिक्षा देता हूं। –Multiple farming by Kashiram Yadav from Hariyana