कोरोना महामारी की वजह से लाखों लोगों की जिंदगी बर्बाद हो गई है। इस महामारी के दौरान किसी परिवार में मातम छाया तो किसी को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। कुछ ऐसा उत्तराखंड के पौड़ी जिले के रहने वाले सतिंदर रावत के साथ भी हुआ था। उन्हें इस महामारी में लगे लॉकडाउन के कारण अपनी नौकरी गवानी पड़ी, परंतु उन्होंने हार नहीं मानी। वे अपने गांव आ गए और महज दो वर्षों में मशरूम की खेती द्वारा महीने के 2.5 लाख रुपए की कमाई करने लगे। साथ ही 10 ऐसे लोगों को रोजगार भी दिया, जिनकी नौकरी कोरोना की वजह से चली गई थी।
आइए जानते हैं इनके बारे में
सतिंदर रावत (Satinder Rawat) उत्तराखंड के पौड़ी जिले के रहने वाले हैं। उनकी उम्र 46 वर्ष है। उन्हें रिटेल मार्केटिंग में काफी अच्छा तजुर्बा है। उनकी पत्नी सपना ने बायोलॉजी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है। सतिंदर ने लगभग 20 वर्षों तक इस क्षेत्र में काम किया है। पहले वे भारत में ही रहते थे पर बाद में वे दुबई शिफ्ट हो गए।
खेती की कोई जानकारी नहीं थी
सतिंदर बताते हैं कि उनका कोई बिजनेस प्लान नहीं था। वे खेती-बाड़ी के बारे में बहुत कम जानकारी रखते थे। उन्होंने बताया कि जब उनकी कंपनी की तरफ से अप्रैल में नोटिस मिला तब उन्होंने अपनी कैरियर को लेकर आगे का प्लान करना शुरू किया। उन्होंने बताया कि खेती करने का उनका कोई इरादा नहीं था पर उनकी पत्नी को खेती-बाड़ी में लगाव पहले से ही था, इसलिए उन्होंने गांव लौटकर खेती करने का प्लान बनाया।
शुरू की खेती
साल 2020 के जुलाई में सतिंदर अपने गांव लौट आए। गांव आकर उन्होंने अपने बिजनेस शुरू करने के बारे में सोचा और अलग-अलग लोगों से मिलने लगे। उनकी पत्नी सपना के पिता एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट में कार्यरत थे इसलिए उन्होंने उनसे भी सलाह ली। सबकुछ समझने के बाद उन्होंने मशरूम की खेती करने का सोचा। उनकी सोच थी कि वह कुछ ऐसा करे जिससे कम समय में ज्यादा मुनाफा हो और बाकी लोगों को भी इससे रोजगार मिल सके। यही कारण है कि वे पारंपरिक खेती ना करके मशरूम की खेती करने लगे।
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झोपड़ी में शुरू की मशरूम की खेती
मशरूम की खेती के लिए सतिंदर ने रामनगर के किसानों से ट्रेनिंग ली। इसके बाद उन्होंने मशरूम उगाने और खाद बनाना सीखा। सितंबर 2020 में उन्होंने लीज पर 1.5 एकड़ जमीन ली और मशरूम की खेती करने लगे। मशरूम की खेती के लिए उन्होंने पक्के मकान की बजाए झोपड़ी (hut model) बनाकर कार्य शुरू किया।
कैसे हुई शुरूआत?
मशरूम की खेती के लिए सतिंदर ने दो झोपड़ी बनवाई। उन्होंने अपनी पहली शुरुआत जनवरी में की और दो महीने बाद से ही मशरूम निकलना शुरू हो गए। इसके बाद उन्होंने इसे लोकल मंडियों में सप्लाई करना शुरू किया। धीरे-धीरे उन्होंने बड़े होटल और रेस्टोरेंट में भी सप्लाई करना आरंभ कर दिया। पहली बार में ही उन्हें लगभग 6 लाख रुपए तक की कमाई हुई। फिलहाल वे दो तरह की मशरूम की खेती कर रहे हैं। पहला बटन मशरूम और दूसरा ओयस्टर मशरूम। जिससे उन्होंने करीब 2.5 टन मशरूम की मार्केटिंग की है।
सोशल मीडिया के माध्यम से कर रहे मार्केटिंग
मशरूम की मार्केटिंग के लिए सतिंदर सोशल मीडिया और लोकल रिटेलर्स की सहायता ले रहे हैं। उन्होंने अपनी कंपनी का नाम ‘श्रीहरी एग्रोटेक’ रखा है। फिलहाल वे अपनी कंपनी के जरिए उतराखंड के बाहर उत्तरप्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश जैसे शहरों में भी मशरूम की सप्लाई कर रहे हैं।
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Amazon और Flipkart के जरिए करेंगे मार्केटिंग
सोशल मीडिया, लोकल मंडियों, होटल और रेस्टोरेंट जैसे जगहों पर सप्लाई करने के बाद वे अब बहुत जल्द Amazon और Flipkart के जरिए भी मार्केटिंग करने का सोच रहे हैं। सतिंदर ने लगभग 10 लोगों को रोजगार भी दिया है। साथ ही झोपड़ी के पास कुछ जमीन खाली पड़ी थी, जिसमें उन्होंने सब्जियों की खेती करना भी शुरू कर दिया है।
कैसे करें मशरूम की खेती?
मशरूम की खेती के बारे में सतिंदर बताते हैं कि इसकी खेती झोपड़ी या घर में भी कर सकते हैं। इसकी खेती के लिए 15 से 20 डिग्री का टेंपरेचर होना अनिवार्य है। अगर गर्मी ज्यादा हो तो AC लगाया जा सकता है। अगर आप इसकी अलग-अलग प्रकार की खेती करना चाहते हैं, तो आपको अलग-अलग टेंपरेचर की भी जरूरत पड़ती है।
खाद कैसे करें तैयार?
सतिंदर ने बताया कि मशरूम की खेती के लिए सबसे पहले खाद की आवश्यकता होती है। खाद बनाने के लिए गेहूं का भूसा, चावल का चोकर, सल्फर नाइट्रेट, जिप्सम, मुर्गी की खाद और गुड़ के सीरे के आवश्यकता होती है। इन सभी को मिक्स करने के बाद सीमेंट के बने बेड पर डाल दिया जाता है। बेड की लंबाई और चौड़ाई दोनों 5 फिट की होनी चाहिए। खाद को बेड पर डालने के बाद इसमें पानी मिलाया जाता है, जिसके 30 दिनों बाद खाद सूख कर तैयार हो जाता है।
खाद बनने के बाद उसमें मशरूम के बीज को मिलाया जाता है। एक क्विंटल खाद में करीब 1 किलो बीज डाला जाता है। इसके बाद इसे पॉलीबैग में पैक करके झोपड़ी या रूम में रख दिया जाता है। रूम के दरवाजे को अच्छी तरह से बंद कर दिया जाता है ताकि हवा अंदर से बाहर ना निकल सके। लगभग 15 दिनों के बाद पॉलीबैग खोल कर उसमें दूसरी खाद नारियल टिप्स और धान की जली हुई भूसी मिलाई जाती है। प्रत्येक दिन इसके ऊपर से कम मात्रा में पानी डाला जाता है। इस प्रक्रिया को करीब 2 महीने करने के बाद पॉली बैग से मशरूम निकलना शुरू हो जाता है। एक बैग में लगभग 2 से 3 किलो तक मशरूम निकल जाता है। – know about mushroom cultivation by Satinder Ravat from Uttarakhand
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इसकी ट्रेनिंग कहां से ले?
मशरूम की खेती के लिए ऐसी कई संस्थान हैं, जहां इसकी ट्रेनिंग दी जाती है। इतना ही नहीं इसके लिए सर्टिफिकेट और डिप्लोमा लेवल का कोर्स भी होता है। अगर आप इसकी ट्रेनिंग लेना चाहते हैं तो ICAR- खुंब अनुसंधान निदेशालय, सोलन से ले सकते हैं। इसके अलावा हर राज्य में कुछ सरकारी और प्राइवेट ट्रेनिंग सेंटर है जहां से आप ट्रेनिंग ले सकते हैं। नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से इस संबंध में जानकारी लिया जा सकता है। यही नहीं कई किसान व्यक्तिगत लेवल पर भी इसकी ट्रेनिंग देते हैं। बहुत से लोग इंटरनेट के द्वारा भी इसकी जानकारी प्राप्त करते हैं। – know about mushroom cultivation by Satinder Ravat from Uttarakhand
साल में 8 से 10 लाख रुपए तक की कर सकते हैं कमाई
सतिंदर ने मशरूम की खेती से होने वाले कमाई के बारे में बताया कि इस खेती से कम लागत और बेहद कम समय में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। वे बताते हैं कि अगर आपके पास पहले से कोई पक्के घर है तो ठीक है, वरना आप भी झोपड़ी मॉडल के जरिए इस खेती को आसानी से कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि अगर आप खाद तैयार करने और मशरूम के बीज का खर्च देखें तो वह बहुत ही कम है। अगर देखा जाए तो 3 से 4 लाख रुपए की लागत में आप मशरूम की खेती की शुरुआत कर सकते हैं। – know about mushroom cultivation by Satinder Ravat from Uttarakhand
सतिंदर का कहना है कि एक साल में आप करीब तीन बार उपज का लुफ्त उठा सकते हैं, जिससे आपकी कमाई लगभग 8 से 10 लाख रुपए तक हो सकती है। इसके अलावा अगर आप अपने प्रोडक्ट को कुछ होटल और रेस्टोरेंट में भी भेज सकते हैं। आजकल मशरूम की डिमांड काफी तेजी से बढ़ रहे हैं और इससे मैंने प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं जिससे आगे चलकर और भी अच्छी कमाई हो सकती है।- know about mushroom cultivation by Satinder Ravat from Uttarakhand
मिलिट्री मशरूम एक बेहतर विकल्प
मशरूम एक मेडिसिनल प्रोडक्ट है। इसे ‘कीड़ा जड़ी’ के नाम से भी जाना जाता है। यह पहाड़ी इलाकों में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है और इसकी खेती चीन, भूटान, थाईलैंड और तिब्बत जैसी देशों में ज्यादा की जाती है। इतना ही नहीं यह स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद होता है और हाई एनर्जेटिक भी होता है। कहते हैं कि एथलीट्स और जिम करने वाले लोग इसे बहुत ज्यादा उपयोग करते हैं। अगर आप इसकी खेती करेंगे तो एक किलो मशरूम उत्पादन में करीब 70 हज़ार रुपए तक की लागत होंगी, पर इसे आप दो लाख रुपए के दर पर बेच सकते हैं। – know about mushroom cultivation by Satinder Ravat from Uttarakhand
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